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Friday, 15 November, 2024
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चुनावी राज्य झारखंड में भाजपा ‘मजबूत’ स्थानीय नेतृत्व की कमी से जूझ रही है, PM, CM सांसद अभियान में जुटे

झारखंड में भाजपा के राष्ट्रीय नेता चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि राज्य में कोई भी भाजपा नेता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सत्ता से हटाने में सक्षम नहीं है.

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रांची: हरियाणा में पिछले हफ्ते हुई मतगणना के दौरान जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर अजेय बढ़त हासिल की, तो पार्टी की झारखंड इकाई के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कार्यकर्ताओं के साथ रांची में ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया. उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, “हरियाणा के लोगों ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के प्रधानमंत्री मोदी के अभियान को मंजूरी दे दी है. झारखंड और महाराष्ट्र में भी ऐसे ही नतीजे आएंगे.”

हरियाणा का फैसला झारखंड में भाजपा के लिए मनोबल बढ़ाने वाला रहा है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों में उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था, जहां कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पांच सीटें जीतने में सफल रहे, जो 2019 की तुलना में तीन अधिक है.

सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, ने 2019 की तुलना में अपने कुल वोट शेयर में 6 प्रतिशत से थोड़ा अधिक की वृद्धि देखी, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के वोट शेयर में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट आई.

झारखंड में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं, लेकिन भाजपा नेताओं के अनुसार, पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा राज्य में मजबूत स्थानीय नेतृत्व की कमी है.

2019 के झारखंड विधानसभा चुनावों में हार के दो महीने बाद, भाजपा ने मरांडी को वापस अपने साथ मिला लिया था — पार्टी के एक पूर्व नेता जो राज्य के पहले सीएम थे — उनके झारखंड विकास मोर्चा का अपने साथ विलय करके. अगले पांच सालों में हुए सात विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस-झामुमो ने छह सीटें जीतीं, जबकि भाजपा की सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन ने एक सीट जीती.

इसके अलावा, लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित पांच सीटों की हार, जिसमें तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की सीट भी शामिल है, ने मरांडी और अन्य स्थानीय नेताओं के प्रदर्शन को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं.

भाजपा ने राष्ट्रीय नेताओं को शामिल करके इन चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले कुछ हफ्तों में दो बार झारखंड का दौरा कर चुके हैं. उनकी आखिरी यात्रा दो अक्टूबर को पार्टी की 11 दिवसीय परिवर्तन यात्रा के समापन पर हुई थी.

इस यात्रा के दौरान एक दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रियों, अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ-साथ सांसदों ने बैठकों का नेतृत्व किया.

इस महीने की शुरुआत में हज़ारीबाग में परिवर्तन यात्रा के दौरान पीएम मोदी | फोटो: नीरज सिन्हा/दिप्रिंट
इस महीने की शुरुआत में हज़ारीबाग में परिवर्तन यात्रा के दौरान पीएम मोदी | फोटो: नीरज सिन्हा/दिप्रिंट

इनमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, पार्टी के झारखंड चुनाव प्रभारी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री — मोहन यादव, भजनलाल शर्मा और पुष्कर सिंह धामी — पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और सांसद मनोज तिवारी और रवि किशन समेत अन्य लोग शामिल थे.

राजनीतिक विश्लेषक बैजनाथ मिश्रा ने दिप्रिंट से कहा, “हेमंत सोरेन ने राज्य की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है. मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में राज्य में कोई भी भाजपा नेता उन्हें पीछे धकेलकर सत्ता छीनने में सक्षम नहीं है. पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अच्छी तरह जानता है कि राज्य के नेता चुनावी नैया पार नहीं लगा सकते. लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भी बहुत कुछ उजागर किया है.”

रांची के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के विजिटिंग फैकल्टी सदस्य शंभूनाथ चौधरी के अनुसार, हरियाणा के नतीजों ने भाजपा को उत्साहित किया है, लेकिन पार्टी के सामने दो प्रमुख चुनौतियां हैं, जिन्हें केंद्रीय नेतृत्व ने महसूस किया है — आदिवासी क्षेत्रों में खोई साख को वापस पाना और अनारक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में झामुमो की बढ़ती पकड़ को रोकना.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “यही कारण है कि झारखंड में भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं और अन्य राज्यों के नेताओं के नेतृत्व में चुनाव प्रचार गतिविधियां तेज हो गई हैं. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भाजपा वस्तुतः केंद्रीकृत हो गई है और राज्य के नेता गौण भूमिका में रहेंगे.”

पूर्व सांसद और भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व से सलाह मशविरा कर राज्य के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है. हम लगातार संगठनात्मक कार्यों में लगे हुए हैं. चुनाव के मद्देनज़र शीर्ष नेतृत्व की जानकारी में कार्यक्रम और रणनीति तय की जाती है. पूरी ताकत से चुनाव लड़ना हमारी परंपरा रही है. भाजपा का परिवार बहुत बड़ा है और एक राज्य से दूसरे राज्य में नेता भेजे जाते हैं. इसलिए भाजपा की परिवर्तन यात्रा में केंद्रीय नेताओं का शामिल होना स्वाभाविक है.

केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा 23 सितंबर को खूंटी में झारखंड भाजपा नेताओं के साथ | फोटो: नीरज सिन्हा/ दिप्रिंट
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा 23 सितंबर को खूंटी में झारखंड भाजपा नेताओं के साथ | फोटो: नीरज सिन्हा/ दिप्रिंट

भाजपा पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि झारखंड में पार्टी के पास कोई नेता नहीं है और इसलिए राजनीतिक स्थिति को संभालने के लिए दूसरे राज्यों से लोगों को लाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, “कई मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री एक आदिवासी मुख्यमंत्री को हटाने की कोशिश कर रहे हैं.”

हालांकि, हरियाणा के नतीजों के बाद गठबंधन नेतृत्व को झटका लगा, क्योंकि सोरेन अगले ही दिन कांग्रेस नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मिलने के लिए दिल्ली चले गए.

2014 में हरियाणा में नॉन-जाट मतदाताओं को जुटाने की भाजपा की रणनीति के तहत मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया था. पार्टी ने उस साल झारखंड में भी इसी तरह का तरीका अपनाया था, जिसमें आदिवासी बहुल राजनीतिक परिदृश्य वाले राज्य में सरकार का नेतृत्व करने के लिए गैर-आदिवासी रघुबर दास को चुना गया था. 2019 में यह रणनीति कारगर नहीं रही, क्योंकि पार्टी हरियाणा में स्पष्ट बहुमत हासिल करने में विफल रही और झारखंड में सत्ता खो दी.

हालांकि, इस बार हरियाणा में भी यही कार्ययोजना काम कर रही है, ऐसे में झारखंड में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन के लिए चिंता की वजहें हो सकती हैं, भले ही भाजपा ने 2019 में हार के बाद राज्य में अपने दृष्टिकोण को फिर से तैयार किया और आदिवासी मरांडी को राज्य इकाई का प्रमुख नियुक्त किया.

विपक्ष के नेता भाजपा के अमर कुमार बाउरी ने कहा, “हरियाणा में अचूक रणनीति आश्चर्यजनक साबित हुई. झारखंड में भी पार्टी ने अपनी तैयारियों में काफी प्रगति की है. हरियाणा के नतीजों का महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों पर असर पड़ेगा.

हालांकि, झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि उनकी पार्टी कोई गलती नहीं करेगी. झारखंड की राजनीतिक स्थिति हरियाणा से अलग है और वोटों का समीकरण भी अलग है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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