नई दिल्ली: किसानों को नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि सुधारों के खिलाफ जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति मिलने के साथ कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को लोकसभा में पेगासस ‘हैकिंग’ विवाद से ध्यान हटाकर किसानों पर केंद्रित करने के लिए अपनी रणनीति बदल दी.
कांग्रेस के एक नेता ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी को लगता है कि यह मुद्दा पेगासस विवाद की तुलना में अधिक सुर्खियों में रहेगा और भाजपा को बैकफुट पर लाएगा, खासकर पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को देखते हुए.
पंजाब के कांग्रेस सांसद संतोष कुमार चौधरी ने कहा, ‘ये बिल किसान विरोधी है और सरकार किसानों की चिंताएं दूर करने के प्रति गंभीर नहीं है. वे केवल जुमलेबाजी कर रहे हैं…हम कहते रहे हैं कि हम आंदोलनकारी किसानों के साथ हैं. सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए आगे आना चाहिए.’
सोमवार से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में अब तक विपक्षी दल इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर राजनेताओं, पत्रकारों और एक्टिविस्ट समेत तमाम लोगों को कथित तौर पर हैंकिंग का निशाना बनाए जाने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधता रहा है. भारत के द वायर सहित मीडिया एजेंसियों का एक वैश्विक संघ रविवार देर रात से ही उन लोगों के नाम जारी कर रहा है, जिन्हें कथित तौर पर इसमें निशाना बनाया गया.
एर्नाकुलम से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य हिबी ईडेन ने दिप्रिंट से कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हमने पेगासस का मुद्दा छोड़ दिया है…पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. चूंकि किसान विरोधी बिलों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान जंतर-मंतर पर आ गए थे, इसलिए स्वाभाविक रूप से आज कृषि बिलों के विरोध का निर्णय लिया गया. ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर सरकार को जवाब देना है…हम हर दिन एक-एक करके मुद्दे उठाएंगे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘यदि वे बहस के लिए गंभीर हैं, तो (उन्हें) समय आवंटित करना चाहिए, जो अभी तक नहीं हुआ है.’
कांग्रेस जहां पिछले दो दिनों से लोकसभा में विरोध प्रदर्शन कर रही है, वहीं राज्य सभा में विपक्षी दल मंगलवार को कोविड-19 महामारी पर चर्चा सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हो गए. इसके बाद उन्होंने किसानों के मुद्दों और पेगासस विवाद पर भी अपना विरोध दर्ज कराया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों से सदन की मर्यादा बनाए रखने की अपील की लेकिन विरोध के कारण सदन की कार्यवाही बाधित हो गई.
गुरुवार को जैसे ही निचले सदन में कामकाज शुरू हुआ, कांग्रेस सांसद वेल में आ गए और उन तीन विवादास्पद बिलों का विरोध करने लगे जिन्हें वापस लेने की मांग को लेकर किसान पिछले साल अक्टूबर से आंदोलन कर रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद के बाहर आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया. सदन के अंदर पार्टी के कई सांसदों ने पेगासस विवाद पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया.
अकाली दल भी संसद सत्र के पहले दिन से ही किसानों के बिल के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है और पेगासस विवाद पर उसका ज्यादा जोर नहीं है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को मीडिया से कहा, ‘सरकार किसानों के साथ चर्चा को तैयार है, अगर वे कानूनों को लेकर अपनी समस्याएं व्यक्त करते हैं…हम इस पर चर्चा कर सकते हैं, लेकिन देश ने देखा है कि ये कृषि कानून फायदेमंद हैं और किसानों के पक्ष में ही हैं.’
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संसद में हंगामा, रणनीति बना रही भाजपा
लोकसभा स्पीकर बिरला ने विरोध कर रहे सदस्यों से कहा, ‘मैं चर्चा की अनुमति देने के लिए तैयार हूं… यह सदन विरोध और तख्तियां दिखाने के लिए नहीं, बल्कि चर्चा के लिए है. यदि आप विरोध करना चाहते हैं, तो बाहर जाकर विरोध करें.’ हालांकि, विपक्षी सदस्यों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने अपना विरोध जारी रखा.
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष के आरोपों का मुकाबला करने की रणनीति बनाने के उद्देश्य से गुरुवार सुबह केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और राजनाथ सिंह के अलावा फ्लोर लीडर्स अनुराग ठाकुर, पीयूष गोयल और किरण रिजिजू के साथ एक बैठक भी की.
इस बैठक में मौजूद रहे एक नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारा अनुमान है कि यह पूरा हफ्ता ही विरोध की भेंट चढ़ जाएगा. (हालांकि), हमने चर्चा का विकल्प दिया है, हम अगले हफ्ते सदन का कामकाज सामान्य होने की उम्मीद कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों और मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया है कि पेगासस प्रकरण पर विपक्ष के अभियान का जोरदारी से जवाब दें.’
हंगामे के बीच जब सदन की कार्यवाही थोड़ी देर चली तब लोकसभा स्पीकर बिरला ने प्रश्नकाल और शून्यकाल के दौरान दो प्रश्नों की अनुमति दी.
दोपहर में सत्र फिर से शुरू होने पर पीठासीन रहे भर्तृहरि महताब ने दो सरकारी विधेयकों- अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021 और आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021 को पेश करने की अनुमति दी.
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और शशि थरूर ने सभी पानी के जहाजों के पंजीकरण के लिए राज्य स्तर पर अलग-अलग कानूनों के बजाये पूरे देश के लिए एक एकीकृत कानून का मार्ग प्रशस्त करने वाले अंतर्देशीय पोत विधेयक को पेश किए जाने के खिलाफ नोटिस दिया.
वहीं, कोल्लम से रिवोल्यूशनिस्ट सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021 पेश करने का विरोध किया क्योंकि यह सदन की कार्यसूची में नहीं था.
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