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Sunday, 29 December, 2024
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मन की बात में मोदी ने महाकुंभ के ‘एकता के संदेश’ की सराहना की, संविधान को बताया मार्गदर्शक

उन्होंने कहा कि महाकुंभ एकता का समय है. पीएम ने लोगों से धार्मिक समागम से समाज से नफरत और विभाजन को खत्म करने के संकल्प के साथ लौटने का आग्रह किया.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के आखिरी ‘मन की बात’ में एकता का संदेश देते हुए लोगों से समाज से नफरत और विभाजन को खत्म करने के संकल्प के साथ महाकुंभ में भाग लेने का आग्रह किया.

महाकुंभ की विशेषता इसकी विशालता ही नहीं, इसकी विविधता भी है, उन्होंने कहा कि कहीं कोई भेदभाव नहीं है, कोई बड़ा नहीं है, कोई छोटा नहीं है.

प्रधानमंत्री ने रविवार को रेडियो कार्यक्रम में कहा, “विविधता में एकता का ऐसा नज़ारा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा. इसलिए हमारा कुंभ भी एकता का महाकुंभ है. इस बार का महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को मजबूत करेगा. मैं आप सभी से कहना चाहता हूं कि जब हम कुंभ में भाग लें, तो एकता के इस संकल्प को अपने साथ लेकर आएं. आइए हम समाज में विभाजन और नफरत की भावना को खत्म करने का भी संकल्प लें. अगर मुझे कुछ शब्दों में कहना हो तो मैं कहूंगा…महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश.”

महाकुंभ 13 जनवरी से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू हो रहा है.

उन्होंने कहा, “कुंभ आयोजन में पहली बार एआई चैटबॉट का इस्तेमाल किया जाएगा. एआई चैटबॉट के जरिए कुंभ से जुड़ी सभी तरह की जानकारी 11 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगी. कोई भी व्यक्ति इस चैटबॉट के ज़रिए टेक्स्ट लिखकर या बोलकर किसी भी तरह की मदद मांग सकता है. पूरे मेला क्षेत्र को एआई संचालित कैमरों से कवर किया जा रहा है. कुंभ के दौरान अगर कोई अपने परिजनों से बिछड़ जाता है तो ये कैमरे उसे ढूंढने में मदद करेंगे.”

मोदी ने संविधान के बारे में विस्तार से बात की और कहा कि यह “हमारा मार्गदर्शक है”.

उन्होंने कहा, “26 जनवरी 2025 को हमारा संविधान 75 साल पूरे कर रहा है. यह हम सभी के लिए बहुत सम्मान की बात है. हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा हमें सौंपा गया संविधान हर मायने में समय की कसौटी पर खरा उतरा है. संविधान हमारा मार्गदर्शक है. भारत के संविधान की बदौलत ही मैं आज यहां हूं और आपसे बात कर पा रहा हूं.”

मोदी ने कहा कि देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से विशेष वेबसाइट भी बनाई गई है.

“इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़ सकते हैं और अपना वीडियो अपलोड कर सकते हैं. आप संविधान को असंख्य भाषाओं में पढ़ सकते हैं; आप संविधान से संबंधित प्रश्न भी पूछ सकते हैं. मैं मन की बात के श्रोताओं, स्कूल जाने वाले बच्चों, कॉलेज जाने वाले युवाओं से आग्रह करता हूं कि वे इस वेबसाइट पर जाएं और इसका हिस्सा बनें.”

मोदी की यह टिप्पणी कांग्रेस द्वारा संविधान और बी.आर. आंबेडकर पर “हमले” के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधने की पृष्ठभूमि में आई है. वहीं सत्तारूढ़ पार्टी ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है.

भारत की फिल्मों की सॉफ्ट पावर की प्रशंसा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगले साल होने वाला वेव्स शिखर सम्मेलन भारत को वैश्विक सामग्री निर्माण का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

उन्होंने कहा, “यह शिखर सम्मेलन भारत को वैश्विक सामग्री निर्माण का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. मुझे आपको यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमारे देश के युवा निर्माता भी इस शिखर सम्मेलन की तैयारियों में पूरे उत्साह के साथ शामिल हो रहे हैं. जब हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं, तो हमारी क्रिएटर इकोनॉमी नई ऊर्जा लेकर आ रही है.”

उन्होंने भारतीय मनोरंजन और रचनात्मक उद्योग से वेव्स समिट का हिस्सा बनने का आग्रह किया.

वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (WAVES 2025) 5 से 9 फरवरी तक नई दिल्ली में होने वाला है.

भारतीय सिनेमा की दुनिया की बात करें तो पीएम ने बॉलीवुड के महान राज कपूर, महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफी, तेलुगु अभिनेता और फिल्म निर्माता अक्किनेनी नागेश्वर राव और प्रमुख बंगाली सिनेमा निर्देशक तपन सिन्हा का उनके जन्म शताब्दी वर्ष में विशेष उल्लेख किया.

मोदी ने कहा, “राज कपूर जी ने फिल्मों के ज़रिए दुनिया को भारत की सॉफ्ट पावर से परिचित कराया. रफी साहब की आवाज़ में वो जादू था जो हर दिल को छू जाता था. उनकी आवाज़ कमाल की थी. चाहे भक्ति गीत हो या रोमांटिक गीत, दुख भरे गीत, उन्होंने अपनी आवाज़ से हर भावना को जीवंत कर दिया. एक कलाकार के तौर पर उनकी महानता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा पीढ़ी उनके गानों को उसी जुनून के साथ सुनती है — यह कालातीत कला की अलग पहचान है.”

उन्होंने कहा, “अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू ने तेलुगु सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. उनकी फिल्मों ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बहुत अच्छे से पेश किया. तपन सिन्हा जी की फिल्मों ने समाज को एक नई दृष्टि दी.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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