नई दिल्ली: इस साल अप्रैल में एक साक्षात्कार में, आम आदमी पार्टी (आप) के तत्कालीन नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने कथित तौर पर कहा था, ‘मेरा दिमाग एक वैज्ञानिक के रूप में काम करता है, एक राजनेता के रूप में नहीं’.
पाठक को मंगलवार को AAP का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था, यह पद सिर्फ उन्हीं के लिए बनाया गया था. उन्हें राजनीतिक मामलों की समिति, पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था के लिए ‘स्थायी आमंत्रित’ सदस्य भी बनाया गया था.
हालांकि, राजनीतिक हलकों में वे कोई नया नाम नहीं हैं. पाठक अन्य व्यक्तियों में अपने शैक्षणिक ज्ञान के कारण समृद्ध और जनता के बीच प्रसिद्ध हैं.
43 वर्षीय पाठक का जन्म छत्तीसगढ़ के बाथा गांव में हुआ था. वह अपनी स्कूली शिक्षा के लिए बिलासपुर चले गए और वहां बीएससी करने के बाद, उन्होंने यूके के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की. इसके बाद उन्होंने यूके के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और फिर अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में आगे की पढ़ाई की. वह 2016 में AAP में शामिल हो गये.
पाठक ऊर्जा विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में सहायक प्रोफेसर भी थे, जिसे उन्होंने 2016 में भी ज्वाइन किया था. उन्होंने 2020 में नौकरी छोड़ दी और तब से पूरी तरह से आप के लिए काम कर रहे हैं.
2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब में पार्टी की भारी जीत के बाद पाठक प्रमुखता से सामने आए. उन्हें पार्टी की चुनावी रणनीतियों के पीछे का मास्टरमाइंड कहा जाता था.
अप्रैल में, राज्यसभा के सदस्य बनने के बाद शहर की अपनी पहली यात्रा के दौरान बिलासपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, पाठक ने खुद को ‘छत्तीसगढ़ का बेटा’ बताया था.
उन्होंने कहा, ‘मैं नौ से 10 साल तक अमेरिका और इंग्लैंड में था. मैंने भारत वापस आने के लिए उन देशों में बड़ी नौकरियां छोड़ी हैं.’
‘मैं दिल्ली में एक आईआईटी प्रोफेसर था. मेरे पास एक सरकारी नौकरी और आरामदायक जीवन था. मैंने राजनीति में शामिल होने के लिए इसे छोड़ दिया. हमारे बाद जिन देशों को आज़ादी मिली, वे हमसे आगे निकल गए हैं. भारत हर जगह भ्रष्टाचार के कारण फंसा हुआ है, क्योंकि यहां की राजनीति दोषपूर्ण है. यहां स्कूल और अस्पताल दोषपूर्ण हैं क्योंकि यहां की राजनीति में भ्रष्टाचार में लिप्त है. नेताओं ने यहां की राजनीति खराब कर दी है.’
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AAP के भीतर काम
हालांकि अब आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी माने जाने वाले पाठक हमेशा पार्टी के कोर का हिस्सा नहीं रहे हैं और उन्होंने दावा किया कि 2017 के पंजाब चुनावों में पार्टी की हार के बाद ही उन्होंने व्यक्तिगत रूप से दिल्ली के मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी.
सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती और दिलीप पांडे जैसे आप के अन्य कई प्रोफेशनल्स की तरह पाठक 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की ओर आकर्षित हुए थे.
पाठक के अनुसार, 2017 में उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब में एक सर्वेक्षण के लिए भेजा गया था. एक वैज्ञानिक और शोधकर्ता के रूप में अपनी योग्यता के बावजूद, पाठक सर्वेक्षण करने के लिए बिल्कुल नए थे. पाठक ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘मैंने पंजाब में घूमना शुरू कर दिया, लोगों से बात करना शुरू कर दिया, यह समझने की कोशिश की कि वे क्या कह रहे हैं और इसका डॉक्युमेंटेशन करके आशीष जी (आशीष खेतान) को भेज दिया, जिसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि चुनाव-पश्चात परिणामों के बारे में मेरी समझ कुछ हद तक चुनाव के सही थी.
2017 में अधिकांश एग्जिट पोल ने आप की जीत की भविष्यवाणी की थी, लेकिन पार्टी राज्य में अपनी छाप छोड़ने में विफल रही और केवल 20 सीटें जीती.
2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए, पाठक ने चुनाव से दो साल पहले ही ग्रामीण स्तर पर पार्टी को पुनर्गठित करने के लिए राज्य में अपना काम शुरू कर दिया था. उनकी कोशिश स्पष्ट रूप से रंग लाई क्योंकि 117 में से 92 सीटें जीतकर पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था.
पाठक का तरीका फीडबैक और सर्वे पर निर्भर था. उन्होंने वास्तव में कहा कि पार्टी की ‘वैज्ञानिक और व्यवस्थित’ सर्वेक्षण प्रणाली निजी एजेंसियों से बेहतर है.
पंजाब में आप की जीत से पहले पाठक ने 2020 के विधानसभा चुनावों के लिए दिल्ली में पार्टी के अभियान की योजना बनाने के लिए तत्कालीन राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ भी करीब से काम किया था. हालांकि, पंजाब की जीत के बाद ही उनका नाम सबसे आगे आया था.
इसके बाद पाठक को राघव चड्ढा और हरभजन सिंह सहित चार अन्य लोगों के साथ पंजाब से राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया. पाठक जब राज्यसभा के लिए नामांकन पत्र दाखिल कर रहे थे, तब आप ने ट्वीट किया था, ‘वह बैकग्राउण्ड में काम कर रहे हैं और दिल्ली एवं पंजाब में पार्टी की जीत में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.’
पंजाब चुनाव में उनकी भूमिका की सराहना करते हुए राज्य के पर्यटन मंत्री अनमोल गगन मान ने लिखा, ‘पंजाब चुनावों में ऐतिहासिक जीत के पीछे संदीप जी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने एक ऐसा अभियान तैयार किया, जिसने आम आदमी पार्टी को अपनी जन कल्याणकारी नीतियों के साथ पंजाब के हर घर तक सफलतापूर्वक पहुंचने में मदद की.
गुजरात में भूमिका
मार्च में, पाठक को गुजरात प्रभारी और जून में हिमाचल प्रदेश के लिए सह-प्रभारी नियुक्त किया गया था. जुलाई में चुनाव से पहले पहाड़ी राज्य में एक संगठन बनाने के बाद पाठक ने कहा था, ‘मैंने कहा था कि संगठन ऐसा बनेगा की दुनिया देखती रहेगी. हमारा संगठन पंजाब और दिल्ली की तुलना में कहीं अधिक मजबूत होगा.
हालांकि, पार्टी का ध्यान जल्द ही गुजरात पर स्थानांतरित हो गया, और हिमाचल अब प्राथमिकता नहीं था. पार्टी को हिमाचल में 1.1 प्रतिशत वोट शेयर मिला.
अगस्त में गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान हिंदुत्व की भावनाओं को भुनाने की कोशिश करते हुए पाठक ने आठ मिनट के भाषण में आठ बार ‘भगवान’ और ‘गणेश’ जैसे शब्दों का जिक्र किया था. उन्होंने कहा, ‘उनका (भाजपा ने) आखिरी वक्त आ गया है. और आम आदमी पार्टी का उभार शुरू हो गया है. मैं 24 घंटे काम करूंगा. मैं अपनी जान दे दूंगा.’
गुजरात में पार्टी अपने पहले चुनाव में 12.9 प्रतिशत वोट शेयर के साथ पांच सीटें जीतने में कामयाब रही थी. अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में पार्टी के प्रदर्शन को सकारात्मक और ‘बड़ी बात’ बताया.
पाठक को राष्ट्रीय स्तर पर नई भूमिका दिए जाने के बाद केजरीवाल ने लिखा, ‘मैं डॉ. संदीप पाठक को बधाई देता हूं और उन्हें उनकी नई जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं देता हूं. हमें देश के कोने-कोने में आम आदमी पार्टी संगठन बनाना है.
(अनुवादः फाल्गुनी शर्मा और शिव पांडेय | संपादनः शिव पांडेय)
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