scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमचुनाव'क्या ये मैच जीतेंगे', घरेलू मैदान हैदराबाद में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव के लिए तैयार अज़हरुद्दीन

‘क्या ये मैच जीतेंगे’, घरेलू मैदान हैदराबाद में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव के लिए तैयार अज़हरुद्दीन

पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन, जिनका करियर मैच फिक्सिंग कांड के कारण लगभग खत्म ही हो गया था, 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं.

Text Size:

बोराबंदा/जुबली हिल्स,हैदराबाद: भारतनगर बस्ती, बोराबंदा की तंग गलियों में, मोहम्मद अज़हरुद्दीन घर-घर जा रहे हैं, हाथ मिला कर वोट मांग रहे हैं. यह कुछ-कुछ क्रिकेट के मैदान में एक एक रन लेने जैसा है जो धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से एक अच्छे स्कोर की तरफ ले जाता है.

क्रिकेटर से नेता बने इस क्रिकेटर की चुनावी ताकत की परीक्षा का समय है क्योंकि वह अपने घरेलू मैदान हैदराबाद से ही विधानसभा चुनावी पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं.

अज़हरुद्दीन, जिनका शानदार क्रिकेट करियर मैच फिक्सिंग कांड के कारण ख़त्म हो गया था, 2009 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उन्होंने उस वर्ष मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) लोकसभा सीट जीती, लेकिन 2014 में टोंक-सवाई माधोपुर (राजस्थान) सीट से चुनाव हार गए.

उस हार के बाद, यह पहली बार है जैसे कि अज़हर हमेशा से जाने जाते रहे हैं चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं – हालांकि वह इस बार छोटे मैदान पर खेल रहे हैं. कांग्रेस के प्रति उनकी वफादारी ने उन्हें 2018 के राज्य चुनाव से ठीक पहले तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष का पद दिलाया था. और अब, वह जुबली हिल्स विधानसभा सीट (जो सिकंदराबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है) से पार्टी के उम्मीदवार हैं.

बोराबंदा की सड़कों पर चलते हुए स्थानीय निवासियों की ओर हाथ हिलाते हुए अज़हरुद्दीन ने दिप्रिंट को बताया, “हां, मैं लगभग 10 वर्षों के बाद चुनावी मैंदान में हूं और यह पहली बार है जब मैं विधायक सीट के लिए चुनाव लड़ रहा हूं. लेकिन चुनाव मेरे लिए कोई नई बात नहीं है और लगभग 15 लाख मतदाताओं वाली लोकसभा सीटों की तुलना में, यहां केवल 3.7 लाख मतदाता हैं.”

“अभियान की ये पिच रोमांचक है; लोग मेरा समर्थन कर रहे हैं और मुझे इस मैच को जीतने का पूरा भरोसा है.”

बोराबंदा एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है जिसमें मुख्य रूप से झुग्गियां, निम्न मध्यम वर्ग की बस्तियां शामिल हैं. यह निर्वाचन क्षेत्र के उन क्षेत्रों में से एक है जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी अपना बंदा मैदान में उतार दिया है.

हालांकि, यह क्षेत्र जुबली हिल्स का हिस्सा है, जो तेलंगाना के कुछ सबसे अमीर लोगों का घर है जिसमें आईटी, रियल्टी और फार्मा जैसे क्षेत्रों में अपनी किस्मत बनाने वाले व्यवसायियों से लेकर राजनेताओं और तेलुगु फिल्म हस्तियां यहां रहती हैं.

अज़हर एक हिंदू महिला को कांग्रेस का पर्चा देते हुए कहते हैं, “जुबली हिल्स एक बहुत बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है जिसमें उच्च श्रेणी का क्षेत्र हैं लेकिन इसके कई अन्य क्षेत्र भी अविकसित हैं. लोग खराब सड़कों, नालियों, उफनते सीवरों, पीने के पानी की आपूर्ति की कमी, पेंशन आदि से पीड़ित हैं.”

पैम्फलेट – कांग्रेस का अभयहस्तम (आश्वासन देने वाला हाथ) – उन वादों को सूचीबद्ध करता है जो पार्टी तेलंगाना मतदाताओं से कर रही है. इनमें जरूरतमंदों के लिए 4,000 रुपये मासिक पेंशन, महिलाओं को उनके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए 2,500 रुपये प्रति माह, 500 रुपये का गैस सिलेंडर, आरटीसी बसों में मुफ्त यात्रा और हर महीने घरों में 200 यूनिट मुफ्त बिजली शामिल है.

अज़हर का कहना है कि तेलंगाना के लोग भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के 10 साल के शासन से परेशान हैं, साथ ही जुबली हिल्स के मौजूदा बीआरएस विधायक मगंती गोपीनाथ से भी. उन्होंने आगे कहा, ”वे बदलाव चाहते हैं.”

मगंती, जिन्होंने 2014 के चुनावों में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी, 2016 में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गए और 2018 में उसके टिकट पर जीत हासिल की.


यह भी पढ़ें: जाति सर्वे के लिए मोदी सरकार की अनिच्छा ज़मीनी हकीकत को छिपाने का एक राजनीतिक कदम है


मुस्लिम वोट-एआईएमआईएम मैदान में उतरी

चुनाव आयोग के अनुसार, राजनीतिक दलों के अनुमान के अनुसार, जुबली हिल्स निर्वाचन क्षेत्र में 3,75,452 मतदाता हैं, जिनमें से लगभग 1.2 लाख यानी एक तिहाई – मुस्लिम हैं. निर्वाचन क्षेत्र के भीतर, बोराबंदा और शैकपेट क्षेत्रों में मुसलमानों का अनुपात अधिक है.

पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान कहते हैं, ”हमें सभी समुदायों की तरह मुसलमानों के भी वोट मिलेंगे.”

जबकि निर्वाचन क्षेत्र में मुख्य मुकाबला बीआरएस और कांग्रेस के बीच होता दिख रहा है, बीआरएस के सहयोगी एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार अपना उम्मीदवार खड़ा किया है. राजनीतिक हलकों में चर्चा यह है कि इसका मकसद बीआरएस की मदद करना है.

मुस्लिम बहुल क्षेत्र शैकपेट से मौजूदा पार्षद रशीद फ़राज़ुद्दीन एआईएमआईएम के उम्मीदवार हैं.

Muslims form a major chunk of the electorate in Borabanda, part of the Jubilee Hills assembly constituency | Photo by Prasad Nichenametla, ThePrint
जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र के हिस्से, बोराबंदा में मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम हैं फोटो: प्रसाद निचेनामेटला, दिप्रिंट

क्या मुस्लिम वोटों में विभाजन की आशंका से अज़हर चिंतित हैं?

“मैं वास्तव में एआईएमआईएम द्वारा यहां उम्मीदवार खड़ा करने को लेकर चिंतित नहीं हूं क्योंकि देश भर के लोग पार्टी में होने वाले व्यवधान के गवाह हैं. दरअसल, मेरे खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करने से वे पूरी तरह बेनकाब हो गए हैं.”

दिप्रिंट ने जिन आसपास के मुसलमानों से बात की, वे अपनी गली में, अपने दरवाजे पर अज़हरुद्दीन की उपस्थिति से बहुत उत्साहित नहीं दिखे, लेकिन उनका कहना है कि उनके पास इस बार कांग्रेस उम्मीदवार को वोट देने का एक कारण है.

वे कहते हैं, धर्म बिल्कुल भी कारक नहीं है.

एक ड्राइवर, अकबर शाह का कहना है कि उन्होंने 2बीएचके घर जैसे लाभों की उम्मीद में पिछले चुनाव में बीआरएस को वोट दिया था. “कुछ नहीं आया और कोई नहीं आया, इसलिए मैं कांग्रेस के भरोसे (वादे) के साथ जाऊंगा.”

प्लंबर मोहम्मद हाजी का कहना है कि उनके घर के सामने उबड़-खाबड़ सड़क 15 साल पहले कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान बनाई गई थी. हाजी कहते हैं और उनके भाई मोहम्मद खाजा सहमति में सिर हिलाते हैं, “हमारे जैसे शहरी क्षेत्र में पीने के पानी की उचित आपूर्ति नहीं है, जबकि हैदराबाद के पास एक गांव में हमारे रिश्तेदारों को पर्याप्त पानी मिलता है. स्ट्रीट लाइटें भी नहीं जलतीं.”

परेशानी का सबब

अज़हर के लिए एक परेशानी का सबब जुबली हिल्स के पूर्व विधायक विष्णुवर्धन रेड्डी हो सकते हैं, जो दिवंगत कांग्रेसी दिग्गज पी. जनार्दन रेड्डी (पीजेआर) के बेटे हैं, जो कई बार के विधायक और पूर्व श्रम मंत्री रहे हैं. युवा रेड्डी – जो पिछले दो चुनाव मगंती से हार गए थे – कांग्रेस द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद बीआरएस में शामिल हो गए हैं, और बीआरएस उम्मीदवार के लिए वोट खींचकर निर्वाचन क्षेत्र में गड़बड़ी कर सकते हैं.

और चुनावों से ठीक पहले, 2019 से 2022 तक हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान क्रिकेट उपकरणों की खरीद में निविदा अनियमितताओं और 3.85 करोड़ रुपये के दुरुपयोग के आरोप अज़हरुद्दीन के लिए मुसीबत बन गए हैं. एक स्थानीय अदालत ने पिछले सप्ताह उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी.

“वे सारे आरोप झूठे हैं; भुगतान आदेश पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति ने मुझ पर मामला दायर किया है. चुनाव खत्म होने के बाद इस मामले से निपटा जाएगा.”

(संपादन/ पूजा मेहरोत्रा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: चुनाव प्रचार में BJP करती है आंबेडकर को याद, लेकिन भारतीय दूतावासों में उनकी कोई तस्वीर नहीं


 

share & View comments