गुरुग्राम: इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) आगामी हरियाणा चुनावों के लिए अपने गठबंधन की औपचारिक घोषणा करने के लिए फिर से एक साथ आए हैं.
अप्रैल 2018 में आईएनएलडी ने 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ गठबंधन किया था, लेकिन 2018 में आईएनएलडी में विभाजन के बाद और 2019 के जींद उपचुनावों में आईएनएलडी के खराब प्रदर्शन के बाद, बीएसपी ने गठबंधन खत्म करने का फैसला किया था.
इससे पहले, दोनों पार्टियों ने 1998 के लोकसभा चुनावों में गठबंधन किया था, जिसमें हरियाणा में इनेलो ने 7 और बीएसपी ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उस साल इनेलो और बीएसपी ने क्रमश: 4 और 1 सीट जीती थी.
चौटाला 90-सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में इनेलो के एकमात्र विधायक हैं, जबकि बीएसपी का कोई सदस्य नहीं है.
गुरुवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इनेलो महासचिव अभय चौटाला और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने घोषणा की कि हरियाणा स्थित पार्टी 90-विधानसभा सीटों में से 53 पर चुनाव लड़ेगी, जबकि शेष 37 सीटें बीएसपी को दी गई हैं.
इस गठबंधन के हिस्से के रूप में नेताओं ने इनेलो नेता अभय चौटाला को अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने का फैसला किया है.
चौटाला ने कहा, “हमने हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला किया है. आज, आम लोगों ने भाजपा को सत्ता से बाहर करने और कांग्रेस को दूर रखने का मन बना लिया है, जिसने दस साल तक राज्य को लूटा है.”
बसपा के आनंद ने घोषणा की कि गठबंधन केवल विधानसभा चुनाव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वे भविष्य में भी राज्य में अन्य चुनाव मिलकर लड़ेंगे.
गठबंधन की घोषणा के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने एक्स पर पोस्ट किया कि बसपा और इनेलो मिलकर जनविरोधी पार्टियों को हराने और नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए काम करेंगे.
1. बहुजन समाज पार्टी व इण्डियन नेशनल लोकदल मिलकर हरियाणा में होने वाले विधानसभा आमचुनाव में वहाँ की जनविरोधी पार्टियों को हराकर अपने नये गठबन्धन की सरकार बनाने के संकल्प के साथ लड़ेंगे, जिसकी घोषणा मेरे पूरे आशीर्वाद के साथ आज चण्डीगढ़ में संयुक्त प्रेसवार्ता में की गयी। 1/3
— Mayawati (@Mayawati) July 11, 2024
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि दोनों दलों के बीच एकता से विरोधियों को हराने और नई सरकार बनाने में मदद मिलेगी.
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क्या मायावती कांग्रेस का खेल बिगाड़ेंगी?
आम चुनावों में हरियाणा में भाजपा की सीटें 10 से घटकर 5 रह गईं, जहां कांग्रेस ने बराबर-बराबर सीटें बांटीं.
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित दो संसदीय सीटें अंबाला और सिरसा कांग्रेस के खाते में गईं. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 विधानसभा क्षेत्रों में से 13 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं.
नतीजों से पता चलता है कि जाटों और अनुसूचित जातियों ने बड़े पैमाने पर कांग्रेस को वोट दिया. अब, जब जाट परिवार की अगुआई वाली पार्टी इनेलो और दलित मायावती की अगुआई वाली बसपा एक साथ आ गई है, तो राजनीतिक हलकों में इस बात पर चर्चा हो रही है कि क्या यह गठबंधन कांग्रेस का खेल बिगाड़ पाएगा, जो इस चुनाव को 10 साल बाद सत्ता में वापसी के अवसर के रूप में देख रही है.
राजनीतिक विश्लेषक महाबीर जगलान ने कहा कि उन्हें इस गठबंधन से बहुत उम्मीद नहीं है.
जगलान ने कहा, “किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले दोनों पार्टियों के पिछले प्रदर्शन को देखना होगा. आम चुनावों में उनका संयुक्त वोट शेयर 3.15 प्रतिशत था. अगर 2019 के विधानसभा चुनाव के रिकॉर्ड पर नज़र डालें तो बसपा को 4.21 फीसदी और इनेलो को 2.44 फीसदी वोट मिले थे. 2014 में बसपा का वोट शेयर 4.4 फीसदी था. इनेलो को 24.1 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन वह अविभाजित इनेलो था. 2018 में विभाजन के बाद पार्टी काफी कमज़ोर हो गई है.”
उन्होंने कहा, लोकसभा चुनाव में जाट और दलित कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़े थे और जब तक कुछ नाटकीय नहीं होता, तब तक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन खोना असंभव है.
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस के प्रदर्शन से पता चलता है कि दलितों ने इस बार पार्टी का समर्थन किया है.
इसके अलावा, इनेलो और बसपा ने 7 और 9 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और दोनों ही सीटें खाली रहीं. इनेलो का वोट शेयर 1.87 फीसदी रहा, जबकि बसपा को 1.28 फीसदी वोट मिले.
चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में चौटाला ने कांग्रेस और भाजपा विरोधी अन्य पार्टियों को गठबंधन में शामिल होने और एक मजबूत मोर्चा बनाने के लिए आमंत्रित किया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “अगर ज़रूरत पड़ी तो हम आम आदमी पार्टी (आप) से भी बात कर सकते हैं.”
उन्होंने कहा कि अन्य पार्टियों से बातचीत के लिए एक समिति बनाई जाएगी, लेकिन उन्होंने इस बात का जवाब नहीं दिया कि क्या जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) इस गठबंधन में शामिल हो सकती है.
चौटाला ने इनेलो-बसपा गठबंधन के सत्ता में आने पर लोगों के लिए कई सौगातें भी घोषित कीं. उन्होंने कहा, “हम ऐसी व्यवस्था करेंगे कि किसी भी घर का बिजली बिल 500 रुपये (प्रति माह) से अधिक न हो. पीने के पानी के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा.”
अन्य वादों में वृद्धावस्था पेंशन को 3,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 7,500 रुपये करना, हर परिवार को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराना और महिलाओं को रसोई खर्च के लिए 1,100 रुपये देना, बेरोज़गार युवाओं को 21,000 रुपये प्रति वर्ष बेरोज़गारी भत्ता देना और अनुसूचित जाति के गरीब लोगों को 100 वर्ग गज का प्लॉट उपलब्ध कराना शामिल है.
इनेलो नेता ने आगे कहा कि अनुसूचित जाति से संबंधित पहले से खाली पड़े पदों को भरा जाएगा और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का आश्वासन दिया. चौटाला ने कहा कि ये सभी वादे कैबिनेट की पहली बैठक में पूरे कर दिए जाएंगे.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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