लखनऊ: मुख्यमंत्री संग साप्ताहिक समन्वय बैठकों के साथ-साथ उपमुख्यमंत्रियों को तबादलों पर अधिक अधिकार देने और जिला निरीक्षण बढ़ाने के अलावा मंत्रियों को ज्यादा जिम्मेदारियां देना—ये कुछ ऐसे बदलाव हैं जो उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाली योगी आदित्यनाथ सरकार की प्रशासनिक कार्यशैली में पिछले एक महीने के दौरान नजर आए हैं.
भाजपा सूत्रों का कहना है कि सरकार के ये उपाय मंत्रियों के बीच कथित असंतोष दूर करने के प्रयासों का हिस्सा हैं.
ये कदम राज्य के जल शक्ति मंत्री दिनेश खटीक के जुलाई में अपने विभाग में कथित भ्रष्टाचार को लेकर इस्तीफा देने के बाद उठाए गए हैं. हालांकि, खटीक ने आदित्यनाथ के साथ बैठक के बाद सरकार से अलग होने का इरादा छोड़ दिया था. लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह को भेजे गए खटीक के इस्तीफे ने विपक्ष को उनके लगाए आरोपों के आधार पर योगी सरकार को घेरने का मौका दे दिया.
वहीं, पिछले महीने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक ट्वीट ने भी खासा हंगामा खड़ा कर दिया था. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से की गई पोस्ट में लिखा था, ‘संगठन सरकार से बड़ा है.’
इस तरह के घटनाक्रमों ने भाजपा के भीतर असंतोष और सत्ता संघर्ष के चलने की अटकलों को जन्म दिया, जिसके बाद आदित्यनाथ और पार्टी की राज्य इकाई को डैमेज कंट्रोल वाला रुख अपनाना पड़ा.
हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता यूपी में शासन संबंधी हालिया ‘बदलावों’ को बहुत ज्यादा तरजीह न देने की कोशिश कर रहे हैं.
यह दावा करते हुए कि समन्वय बैठकें पहले भी होती थीं, यूपी भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने दिप्रिंट को बताया कि मंत्रियों के कामकाज में जरूर कुछ मामूली बदलाव हुए हैं, और उन्हें क्षेत्र का दौरा करने और सीएम के साथ रिपोर्ट साझा करने का जिम्मा सौंपा गया है.
त्रिपाठी ने कहा, ‘यह सब ये सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि अगर कोई मंत्री बन गया है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि जमीनी स्तर पर संपर्क (लोगों के साथ) तोड़ दे.’
दूसरी ओर, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने साप्ताहिक समन्वय बैठकों जैसे कुछ नए कदमों को योगी सरकार की अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का हिस्सा बताया और दावा किया कि इसे हर स्तर पर मजबूती से लागू किया जाएगा.
जुलाई में तबादला नीति पर अमल में कथित अनियमितताओं को लेकर पाठक की तरफ से तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद को लिखे एक पत्र ने आदित्यनाथ प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए थे. इस महीने के शुरू में नौकरशाही में एक बड़े फेरबदल के साथ प्रसाद का ट्रांसफर हो गया था.
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रशासनिक स्तर पर नए बदलाव शासन में डिप्टी सीएम के बढ़ते कद को दर्शाते हैं, पाठक ने दिप्रिंट से कहा, ‘ऐसा कुछ नहीं है. सरकार में हम सब मिलकर काम कर रहे हैं…हम जनता के हित के लिए काम करते हैं. नियमित रूप से (समन्वय) बैठकें करते हैं और तमाम मसलों पर चर्चा करते हैं.
इस बीच, मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के सूत्रों ने कहा है कि समन्वय बैठकें पार्टी के अधिकार क्षेत्र में आती हैं, न कि सरकार के.
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योगी 2.0 के शुरुआती रुख में बदलाव
इस साल विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत के साथ योगी सरकार के यूपी की सत्ता में लौटने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों के लिए क्या करें और क्या न करें की एक सूची जारी की थी.
इनमें पर्सनल स्टाफ की भर्ती, मंत्रियों की एक दैनिक कार्यसूची, कैबिनेट बैठकों में अधिकारियों के बजाय मंत्रियों के खुद अपने-अपने विभागों की प्रजेंटेशन देने, और जिलों के आधिकारिक दौरों के समय होटलों के बजाय सरकारी गेस्ट हाउस में रहने के निर्देश आदि शामिल थे.
मंत्रियों को भी यह जिम्मा सौंपा गया कि वे सप्ताह में दो दिन अपने निर्धारित मंडल—तीन से छह जिलों का समूह—का दौरा करेंगे और विकास कार्यों का निरीक्षण और सरकारी योजनाओं पर ठीक से अमल सुनिश्चित करेंगे. राज्य मंत्रियों से कहा गया था कि वे अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ इन क्षेत्रीय दौरों पर जाएं.
राज्य में 18 मंडलों और 18 कैबिनेट मंत्रियों के साथ आदित्यनाथ के प्रत्येक कैबिनेट मंत्री को एक मंडल का प्रभार मिला.
मई में मंडलों के निर्धारण में बदलाव किया गया था.
लेकिन खटीक के इस्तीफे—जिसमें उन्होंने यह भी दावा किया था कि ‘उन्हें कोई विभागीय जिम्मेदारी नहीं दी गई है’—और तबादलों में कथित अनियमितताओं पर प्रसाद को लिखे पाठक के पत्र ने आदित्यनाथ प्रशासन को सवालों के घेरे में ला दिया.
पाठक यूपी सरकार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग संभालते हैं, और उनके पत्र ने इन अटकलों को हवा दी कि डिप्टी सीएम को तबादलों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी.
जैसे ही आदित्यनाथ सरकार डैमेज कंट्रोल के मोड में आई, एक बड़ा बदलाव यह नजर आया कि जल शक्ति विभाग के प्रभारी कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने राज्य मंत्री खटीक और रामकेश निषाद के साथ विभागीय कार्य साझा करना शुरू कर दिया.
यूपी सरकार के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘विभागीय कार्य आमतौर पर कैबिनेट मंत्री के हाथों में होते हैं. हालांकि, हाल के घटनाक्रमों के बीच जल शक्ति विभाग में वर्कलोड साझा करना शुरू कर दिया गया है.’
खटीक और निषाद को विभिन्न संभागों में बाढ़ नियंत्रण, जल निकासी निरीक्षण, बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) और बांध सुरक्षा से संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. खटीक को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद और अलीगढ़ आदि मंडलों में काम संभालने को कहा गया, जबकि निषाद को लखनऊ, प्रयागराज, आजमगढ़, देवीपाटन और बस्ती जैसे मध्य और पूर्वी यूपी के संभागों का प्रभार दिया गया.
निषाद ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि वह जल शक्ति विभाग के सिविल मैकेनिकल संगठन के ग्रुप-सी का कार्य देख रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘ग्रुप-सी के कर्मचारियों के काम के साथ, हम (दोनों राज्य मंत्री) बैठकें कर सकते हैं और निरीक्षण कर सकते हैं. सरकार पूरे समन्वय के साथ काम कर रही है.’
वहीं, राज्य के दोनों डिप्टी सीएम मौर्य और पाठक को पिछले महीने 25-25 जिलों में कामकाज (विकास कार्य और सरकारी योजनाओं पर अमल) का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, और इतने ही जिले सीएम ने अपने अधीन रखे थे.
सीएम और डिप्टी सीएम की तरफ से किया जाने वाला यह निरीक्षण कैबिनेट मंत्रियों को मंडलों के प्रभार से इतर होगा.
यूपी भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘डिप्टी सीएम को एक-एक मंडल देने का कोई मतलब नहीं था. यदि डिप्टी सीएम को वैसा ही काम सौंपा जाता है जो हर कैबिनेट मंत्री को दिया गया है, तो डिप्टी सीएम और अन्य मंत्रियों में क्या अंतर रह जाएगा? शीर्ष स्तर पर यही बात कम्युनिकेट की गई और एक स्पष्ट संदेश भेजा गया कि डिप्टी सीएम को उनके कद के मुताबिक काम दिया जाना चाहिए.’
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साप्ताहिक समन्वय बैठकें
पिछले महीने एक तरफ जहां मौर्य का ‘सरकार से बड़ा संगठन’ वाला ट्वीट सुर्खियों में रहा, वहीं 25 अगस्त को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किए गए भूपेंद्र चौधरी ने जोर देकर कहा है कि सरकार पार्टी एजेंडे के मुताबिक काम कर रही है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सीएम और उनके डिप्टी के बीच साप्ताहिक समन्वय बैठक पिछले महीने शुरू हुई थीं और ये हर सोमवार को सीएम के आवास पर होती हैं.
ऊपर उद्धृत वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘अगस्त के अंतिम सप्ताह से सीएम और डिप्टी सीएम के बीच हर सोमवार को सीएम आवास पर बैठक हो रही है. यह कदम सीएमओ और डिप्टी सीएम के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.’
पिछले हफ्ते, चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में कथित अनियमितताओं को लेकर जांच का सामना कर रहे अमित मोहन प्रसाद को उस विभाग के प्रभार से मुक्त कर दिया गया और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग भेज दिया गया.
प्रसाद के तबादले को उनके खिलाफ पाठक के पत्र के नतीजे के तौर पर देखा जा रहा है.
यूपी सरकार के एक दूसरे अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘डिप्टी सीएम का पत्र वायरल होने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया था कि वह उनके विभाग के एसीएस बने रहने से नाराज है. उनके तबादले से पता चलता है कि डिप्टी सीएम को अब सुना जा रहा है.’
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