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Saturday, 23 November, 2024
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हेमंत सोरेन सहित झारखंड के 4 पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार के सदस्यों का इस चुनाव कैसा रहा प्रदर्शन

हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के अलावा पूर्व मुख्यमंत्रियों चंपई सोरेन, मधु कोरा, रघुबर दास और अर्जुन मुंडा के परिवार के सदस्यों ने झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ा.

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नई दिल्ली: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के परिवार के सदस्यों और राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों ने इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ा.

सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने गांडेय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, पूर्व सीएम और वर्तमान ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास की बहू पूर्णिमा दास ने जमशेदपुर पूर्व से चुनाव लड़ा, पूर्व सीएम चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन ने घाटशिला से चुनाव लड़ा, पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने जगन्नाथपुर से और पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा ने पोटका निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा.

झारखंड में सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक के भीतर की पार्टियां — झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) — भाजपा और उसके सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) के खिलाफ खड़ी थीं. झारखंड में 81 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 41 बहुमत का आंकड़ा है.

झामुमो के नेतृत्व वाला इंडिया ब्लॉक वर्तमान में 81 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कम से कम 57 सीटों पर आगे है, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए 21 सीटों पर आगे है.

झामुमो की कल्पना सोरेन, पार्टी प्रमुख हेमंत सोरेन की पत्नी, जो अपने पति की गिरफ्तारी के बाद प्रमुखता से उभरी हैं, गांडेय में भाजपा की मुनिया देवी से 9361 मतों से आगे चल रही हैं.

81-सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए मतदान दो चरणों में हुआ था — पहला 13 नवंबर को और दूसरा 20 नवंबर को.

झामुमो को उम्मीद थी कि मई में गांडेय में कल्पना सोरेन की जीत मजबूत होगी, जहां उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा था, जबकि उनके पति कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में थे. गांडेय सीट गिरिडीह जिले का हिस्सा है और यहां आदिवासी और मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है.

भाजपा की पूर्णिमा दास, जो पेशे से पत्रकार हैं, कांग्रेस के जमशेदपुर पूर्व के उम्मीदवार अजय कुमार से 36,373 मतों से आगे चल रही हैं.

उनके ससुर रघुबर दास ने 1995 से 2014 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया और आगे चलकर मुख्यमंत्री बने. हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में रघुबर दास को पूर्व मंत्री और भाजपा के बागी सरयू रॉय ने इस सीट पर हरा दिया था, जिसे रॉय ने निर्दलीय के रूप में लड़ा था. भाजपा ने तब रघुबर दास को ओडिशा का राज्यपाल बनाया था.

जमशेदपुर पूर्व चुनाव प्रचार के दौरान, अजय कुमार ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि रघुबर दास “अपनी बहू पूर्णिमा दास के लिए प्रचार कर रहे हैं, जो जमशेदपुर पूर्व से चुनाव लड़ रही हैं”.

घाटशिला में, चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन झामुमो के रामदास सोरेन से 21,429 वोटों से पीछे चल रहे हैं. रामदास सोरेन मौजूदा विधायक और झारखंड सरकार में मंत्री हैं.

हेमंत सोरेन के पिता के करीबी सहयोगी चंपई सोरेन ने अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन में शिबू सोरेन के साथ भाग लिया था, लेकिन इस साल की शुरुआत में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए. 1980 के दशक में जब बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बनाने की मांग चरम पर थी, तब चंपई कोल्हान क्षेत्र से आंदोलन का चेहरा बनकर उभरे और उन्हें ‘कोल्हान टाइगर’ का नाम दिया गया.

इस बीच, सरायकेला से चंपई सोरेन चुनाव में आगे चल रहे हैं. भाजपा की जगन्नाथपुर उम्मीदवार गीता कोरा कांग्रेस उम्मीदवार सोना राम सिंकू से 7,383 मतों से पीछे चल रही हैं.

मधु कोड़ा की पत्नी 2019 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गई थीं और चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम) लोकसभा सीट से जीती थीं. हालांकि, कुछ महीनों बाद, उन्होंने पाला बदल लिया और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गईं, लेकिन अपनी सीट हार गईं.

अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका में झामुमो के संजीव सरदार से 19, 230 मतों से पीछे चल रही हैं.

सूत्रों के अनुसार, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अनिच्छुक थे, उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि उनकी पत्नी को टिकट मिले.

अर्जुन मुंडा ने चार बार खरसावां सीट का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन 2014 के विधानसभा चुनावों में वे झामुमो के दशरथ गगराई से हार गए. पूर्व सीएम को 2019 के लोकसभा चुनावों में खूंटी से मैदान में उतारा गया और वे जीत गए, लेकिन 2024 में वे कांग्रेस के काली चरण मुंडा से सीट हार गए.


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