नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली में अपनी सरकार के तहत स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में पाई गई उपलब्धियों को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अपना यूएसपी (मुख्य आकर्षण) बना रही है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कथित शराब घोटाले और राष्ट्रीय राजधानी में शासन चलाने की विफलता को लेकर चलाये जा रहे एक प्रचार अभियान के साथ उसका मुकाबला कर रही है.
आप द्वारा भाजपा शासित इन दो राज्यों में उसके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरने हेतु किये जा रहे ठोस प्रयास के साथ भी भाजपा की दिल्ली इकाई उसकी गुजरात और हिमाचल में पार्टी इकाइयों के लिए केजरीवाल सरकार की कथित विफलताओं को उजागर करने के लिए जरुरी सामग्री के स्रोत हेतु प्रधान केंद्र बन गई है.
उदाहरण के लिए, दिल्ली भाजपा ने अपने इस दावे का समर्थन करते हुए एक वीडियो तैयार करवाया है कि देश की राजधानी में आप सरकार ने अपने द्वारा किये गए वादों को पूरा नहीं किया है. यही क्लिप भाजपा की गुजरात इकाई द्वारा भी प्रसारित की जा रही है.
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता के अनुसार, इन वीडियो में दिल्ली के ऐसे निवासी दिखाई दे रहे हैं जो ‘आगे आ रहे हैं और इस बात पर रौशनी डाल रहे हैं कि कैसे आप की इस सरकार ने बड़े-बड़े तो वादे किए लेकिन केवल घोटालों में लिप्त है.‘
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘चाहे वह उच्च शिक्षा का मामला हो, जहां उन्होंने छात्रों को आसानी से ऋण देने का वादा किया था, मगर अब तक केवल दो छात्रों को ही ऋण के लिए मंजूरी दी गई है और बाकी की धनराशि विज्ञापन और खुद को प्रचारित करने पर खर्च कर दी गई है.’
गुप्ता ने कहा कि ये क्लिप और अन्य प्रचार साहित्य ‘लोगों को आप का असली चेहरा दिखाने के लिए’ सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाते हैं.
इन विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा का मुख्य फोकस कथित शराब घोटाले पर है, जो आप के उस भ्रष्टाचार-विरोधी मुद्दे को कुंद करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी गुजरात में और साथ ही दिल्ली में नगरपालिका चुनावों के दौरान प्रचारित कर रही है.
अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए, भाजपा के एक चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ‘पूरी तरह से सतर्क बने रहें’ और किसी एक राज्य पर अपना ध्यान केंद्रित करने में सक्षम न हों पाएं.
हालांकि दिल्ली में आप की सरकार है, लेकिन नगरपालिका स्तर पर कई सालों से भाजपा ही सत्ता में रही है. आगामी चुनाव तीन नगर निगमों के एकीकरण के बाद से होने वाला पहला चुनाव है.
भाजपा सूत्रों ने बताया कि नगर निकायों के परिसीमन की कवायद लगभग पूरी हो चुकी है, और पार्टी को उम्मीद है कि गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश में चुनाव के साथ-साथ दिल्ली नगर निगम के चुनाव भी करा दिए जाएंगे. इसलिए दिल्ली में आप सरकार का सामना करने के प्रति वह अब और आक्रामक होती जा रही है.
ऊपर उद्धृत भाजपा के चुनावी रणनीतिकार ने कहा, ‘आप पार्टी लगातार यह दावा करती रही है कि वह नगर निगम का चुनाव आसानी से जीत लेगी, इसलिए दिल्ली में मिली हार से उसकी इस धारणा को ठेस पहुंचेगी क्योंकि वे यहां सत्ता में रहे हैं. इसे तीनों स्थानों – दिल्ली, गुजरात और हिमाचल – में एक साथ घेरा जाना हमारे पक्ष में काम करेगा.’
गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस साल के अंत में चुनाव होने की संभावना है. भाजपा, जो साल 1995 से गुजरात में सत्ता में है, 2017 के चुनाव में दर्ज की गयी अपनी दोहरे अंकों वाली तालिका में सुधार करने की कोशिश कर रही है. उस साल कांग्रेस ने इसे कड़ी टक्कर देते हुए 77 सीटों पर जीत हासिल की थी और भाजपा को 99 तक सीमित कर दिया था.
साल 2017 के हिमाचल विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने राज्य की 68 सीटों में से 44 सीटें जीतीं थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ 21 सीटें हासिल कर पायी थी. सूत्रों ने कहा कि केंद्र दोनों राज्यों पर कड़ी नजर रख रहा है और बेहतर समन्वय सुनिश्चित कर रहा है ताकि वे आप को निशाना बनाने में प्रचार साहित्य और अनुभव साझा कर सकें.
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शराब घोटाले को बनाया हथियार
आप सरकार की नई आबकारी नीति 1 अक्टूबर 2021 से दिल्ली में लागू हुई थी. इसके तहत सरकार ने सभी मौजूदा लाइसेंस रद्द कर दिए थे और फिर दिल्ली को 32 जोन में बांट दिया था. इसके बाद प्रत्येक जोन में 27 शराब की दुकानों के मालिकाना हक के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी.
इस नीति का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी को प्राप्त होने वाले उत्पाद शुल्क में वृद्धि करना था. हालांकि, उपराज्यपाल (एल-जी) वी. के. सक्सेना द्वारा इसके निष्पादन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद आप सरकार ने जुलाई 2022 में इसे वापस ले लिया था.
भाजपा ने आप सरकार पर शराब कंपनियों को भारी छूट देने का आरोप लगाया है, जिससे सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, और एक कंपनी, जिसे एलजी या किसी सक्षम प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के बिना ही जोनल लाइसेंस मिल गया था, को उसकी 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि भी वापस कर दी गई थी.
दिल्ली भाजपा प्रमुख गुप्ता ने कहा, ‘शराब घोटाला उन प्रमुख मुद्दों में से एक होगा, जिसे हम उजागर करेंगे, क्योंकि भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडे पर सत्ता में आई पार्टी तो असलियत में भ्रष्टाचार में ही लिप्त है.’
उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम चुनाव चाहे जब भी हों, वे इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं.
अनुराग ठाकुर और मीनाक्षी लेखी समेत भाजपा के वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री भी शराब घोटाले को लेकर आप सरकार पर लगातार निशाना साधते रहे हैं. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने आबकारी नीति को लेकर पार्टी मुख्यालय में कई बार प्रेस कांफ्रेंस भी की है.
एक अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता ने उनका नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘परिसीमन की कवायद लगभग पूरी हो चुकी है और पार्टी दिल्ली में नगर निगम चुनावों के लिए कमर कस रही है. गुजरात और हिमाचल के साथ भी काफी तालमेल रखा गया है, खासकर दिल्ली के शराब घोटाले और दिल्लीवालों से किए गए असफल वादों को उजागर करने के लिए.’
केजरीवाल का गुजरात दौरा
राज्य विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल अपने दो दिवसीय दौरे के तहत सोमवार को गुजरात में थे.
इस बारे में दिप्रिंट से बात करते हुए, गुजरात भाजपा के प्रवक्ता यमल व्यास ने कहा कि यह एक ‘फ्लॉप शो’ था और आप ने खुद को ‘उजागर’ कर दिया है और लोग उसके फैलाये झूठ पर विश्वास नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘पहले तो उन्होंने सहानुभूति बटोरने के लिए यह अफवाह फैलाई कि उनके कार्यालय में छापेमारी की गई, लेकिन यह झूठ निकला. बाद में, उन्होंने पुलिस से सुरक्षा मुहैया कराने को कहा और फिर उनके साथ ही बदसलूकी की. अगर वे दिल्ली जैसे छोटे राज्य में किए गए अपने वादों को पूरा नहीं कर पाए हैं, तो उनके पास गुजरात में कोई अवसर ही नहीं है.‘
व्यास ने आगे कहा कि गुजरात के लोग ‘बहुत होशियार हैं और यह सब समझते हैं’.
उन्होंने कहा, ‘हम दिल्ली की प्रचार सामग्री को अपने सोशल मीडिया साइटों पर साझा कर रहे हैं और मतदाताओं को यह सूचित करने के लिए बाहर भी निकल रहे हैं कि वे आप के झांसे में न आएं.’
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