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Sunday, 5 May, 2024
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मंडी लोकसभा प्रत्याशी कंगना रनौत को विवादों से दूर रखने के लिए BJP ने कैसे बनाई योजना

उन्हें एकमत बयान पर अड़े रहने से लेकर इंटरव्यू लेने वाले मीडिया आउटलेट्स की सूची बनाने तक, बीजेपी ने कंगना रनौत को विवादों से दूर रखने के लिए योजना तैयार की है.

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शिमला/नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवार अभिनेत्री कंगना रनौत को आम चुनाव के समापन तक विवादों से दूर रखने की योजना लेकर आई है. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.

उन्हें एक-लाइन वाले बयानों पर टिके रहने और मोदी सरकार के काम और महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के सख्त निर्देशों से लेकर कार्यक्रमों में उनके साथ आने वाले वरिष्ठ नेताओं और उनका इंटरव्यू लेने वाले मीडिया आउटलेट्स की सूची बनाने तक कंगना को विवादों से दूर रखने के लिए भाजपा ऐसे कईं उपाय कर रही है.

कंगना के लिए भाजपा की योजना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि कई स्थानीय पार्टी पदाधिकारी मंडी से एक “पैराशूट” उम्मीदवार को मैदान में उतारे जाने से नाखुश थे और कुछ उनके लिए आयोजित कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए थे.

हिमाचल प्रदेश भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, “सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान, जब मीडिया उनसे टिप्पणी मांगता है, तो उन्हें विशेष निर्देश हैं कि उन्हें किस बारे में बोलना चाहिए और उन्हें किसी और चीज़ के बारे में नहीं बोलना है, भले ही मीडिया अन्य सवाल क्यों न पूछता हो.”

पदाधिकारी ने कहा कि मीडिया से बातचीत के मामले में राज्य भाजपा इकाई को उनके कार्यक्रमों के लिए केंद्रीय नेतृत्व से “सीधे” मंजूरी लेने के विशेष निर्देश दिए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके द्वारा कोई “गैर-ज़रूरी टिप्पणी” न की जाए.

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इस हफ्ते की शुरुआत में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान सुभाष चंद्र बोस को भारत का पहला प्रधानमंत्री कहने का एक वीडियो वायरल होने के बाद असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा कंगना के बचाव में आए. शुक्रवार को एक्स पर की गई एक पोस्ट में सरमा ने लिखा, “कंगना का मज़ाक उड़ाने वालों के लिए – 21 अक्टूबर 1943 को सत्ता हस्तांतरण के बाद पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से लगभग 4 साल पहले, नेता जी ने आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना की, जिसके वे प्रमुख थे.”

पिछले हफ्ते कंगना रनौत द्वारा मंडी जिले के सरकाघाट में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिंदू देवता राम का “अंश” कहने के बाद से भाजपा इसी तरह सतर्क है, जिस पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हाल ही में एक विवाद खड़ा हो गया, जब एक रैली के दौरान, रनौत ने पीएम मोदी की तुलना भगवान राम से की…ऐसे समय में जब पार्टी अपने प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक के रूप में राम मंदिर निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ऐसे बयान देने से केवल विपक्ष को बढ़ावा मिलेगा.”

नेता ने कहा, भाजपा चाहती है कि वे महिलाओं से संबंधित मुद्दों को इस तरह से उजागर करें कि पूरे देश में इसकी गूंज हो क्योंकि वे एक नेशनल आइकॉन हैं. नेता ने कहा, उनका एक आकस्मिक बयान इस चुनाव के फोकस को प्रभावित कर सकता है.


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‘कोई भी अनावश्यक बयान घातक हो सकता है’

भाजपा के एक सूत्र के अनुसार, कंगना रनौत को विवादों से दूर रखने के लिए पार्टी ने शुरू में उन्हें वन-टू-वन इंटरव्यू देने से परहेज करने के लिए कहा था, लेकिन बाद में मीडिया आउटलेट्स की एक सूची तैयार की गई, जिन्हें वे इंटरव्यू दे सकती हैं.

“यह चुनाव का समय है और कोई भी अनावश्यक बयान घातक साबित हो सकता है. रनौत एक कलाकार हैं और राजनीतिक कैंपेन कैसे काम करते हैं इसमें शायद थोड़ी कमज़ोर हैं. उन्हें इसकी आदत नहीं है. उन्हें कोई भी विवादित बयान देने के लिए आसानी से उकसाया जा सकता है. इसलिए, यह फैसला लिया गया है कि कुछ को छोड़कर, वे फिलहाल विशेष इंटरव्यू नहीं देंगी.”

फिलहाल, भाजपा उनका हाथ थाम रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि रैलियों/प्रचार के दौरान हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सहित वरिष्ठ नेता उनके साथ हों.

एक अन्य नेता ने कहा कि कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत द्वारा कंगना के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के बाद बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

एक अन्य नेता ने कहा, “हम इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं कि कैसे ‘हिमाचल की बेटी’ को अपमानित किया गया और इसे अन्य चीज़ों पर शिफ्ट नहीं करना चाहते हैं. रनौत जब भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाती हैं तो वरिष्ठ नेता उनके साथ होते हैं. कार्यक्रम से पहले उन्हें बता दिया जाता है कि सार्वजनिक और मीडिया से बातचीत के दौरान उन्हें क्या लाइन अपनानी है.”

हिमाचली टोपी पहने कंगना रनौत को अक्सर स्थानीय मंड्याली बोली में बात करके मंडी के मतदाताओं को लुभाते हुए देखा जाता है. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य इकाई से ‘हिमाचल की बेटी’ टैग को बढ़ाकर उसकी स्थानीय हिमाचली पहचान पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है.

इस बीच बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा कि कंगना को कई मोर्चों पर चुनाव लड़ना है. उन्होंने कहा, “कुछ स्थानीय नेता उन्हें मंडी से मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले से नाखुश हैं. इसके अलावा कार्यकर्ताओं में वो उत्साह नहीं है, जो उन्हें टिकट मिलने के बाद आना चाहिए था. इसलिए हर कोई इस बात का इंतज़ार कर रहा है कि वे कोई भी गलती करे और बाकी उसे बढ़ा सकें.”

इस सीट के दावेदारों में वरिष्ठ स्थानीय भाजपा नेता अजय राणा भी शामिल हैं, जो अपने पूरे राजनीतिक जीवन में मंडी लोकसभा क्षेत्र से टिकट के दावेदार रहे.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “अजय राणा का नाम 1998 से टिकट पैनल में है. उन्हें पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के परिवार का करीबी माना जाता है, लेकिन यह उन्हें टिकट के लिए कम योग्य नहीं बनाता है.”

मंडी लोकसभा सीट में 17 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं — किन्नौर, लाहौल और स्पीति, चंबा जिले में भरमौर; कुल्लू जिले में कुल्लू, मनाली, बंजार और आनी; मंडी जिले में सुंदरनगर, बल्ह, मंडी, दरंग, जोगिंदरनगर, नाचन, सेराज, करसोग और सरकाघाट; और शिमला जिले में रामपुर.

‘सभी मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे’

कंगना रनौत की उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महेश्वर सिंह, जिन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से उन्हें मंडी से मैदान में उतारने के अपने फैसले की समीक्षा करने के लिए कहा है, ने कहा, “पार्टी बहुत बदल गई है. अब सर्वे की आड़ में टिकट बांटे जाते हैं. हर कोई जानता है कि ये सर्वे कैसे काम करते हैं. मुझे ज्यादा कुछ नहीं कहना है.”

पूर्ववर्ती कुल्लू रियासत के वंशज, महेश्वर सिंह तीन बार के पूर्व लोकसभा सांसद, एक बार के पूर्व राज्यसभा सांसद, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और कुल्लू विधानसभा क्षेत्र से एक बार के विधायक हैं. वे रघुनाथ मंदिर के प्रमुख भी हैं, जिसमें कुल्लू क्षेत्र के मुख्य देवता का निवास है. इसके अलावा, सिंह का कुल्लू के “देव समाज” में उनका काफी प्रभाव है.

इससे पहले वे मंडी से पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह और पत्नी प्रतिभा सिंह को हरा चुके हैं. उनकी बहू बंजार से जिला परिषद सदस्य हैं और उनके बेटे ने 2022 में बंजार से निर्दलीय के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा और लगभग 15,000 वोट हासिल किए.

पार्टी द्वारा कंगना को मंडी से अपना उम्मीदवार घोषित करने के तुरंत बाद महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर सिंह, पूर्व भाजपा महासचिव राम सिंह और आनी के पूर्व विधायक किशोरी लाल सहित राज्य के अन्य असंतुष्ट भाजपा नेताओं ने चुनाव के लिए रणनीति तैयार करने के लिए कथित तौर पर एक बैठक की थी, जिससे अभिनेत्री-नेत्री के लिए लड़ाई मुश्किल हो गई है.

राज्य भाजपा नेताओं के बीच यह भी डर है कि राज्य इकाई और उसके पदाधिकारी अन्य निर्वाचन क्षेत्रों की अनदेखी करते हुए कंगना के कार्यक्रमों की सफलता सुनिश्चित करने में शामिल हो सकते हैं.

साथ ही, यह भी पता चला है कि भाजपा राज्य स्तर पर कई असंतुष्ट नेताओं को मनाने की भी कोशिश कर रही है. इनमें राज्य के पूर्व मंत्री राम लाल मारकंडा भी शामिल हैं, जिन्होंने 1 जून को होने वाले उपचुनाव में भाजपा द्वारा कांग्रेस के बागी रवि ठाकुर को मैदान में उतारने के बाद लाहौल और स्पीति विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी छोड़ दी थी.

राज्य बीजेपी के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “पार्टी से नाखुश सभी नेताओं को शांत किया जाना चाहिए. अन्यथा, यह लंबे समय में पार्टी की संभावनाओं पर असर डाल सकता है.”

हिमाचल प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने दिप्रिंट से कहा, “बीजेपी एक अनुशासित पार्टी है, जहां तक कंगना रनौत की बात है तो वे मंडी सीट ज़रूर जीतेंगी.”

पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “कुछ नेताओं के पास मुद्दे हो सकते हैं और हम उनका समाधान करेंगे. बीजेपी एक परिवार की तरह है और सभी मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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