मेरठ (उत्तर प्रदेश): अखिल भारत हिंदू महासभा ने मंगलवार को कहा कि वह मेरठ नगर निगम का चुनाव लड़ेगी और अगर उसके उम्मीदवार बहुमत में आए और पार्टी का महापौर बना तो मेरठ का नाम बदलकर नाथूराम गोडसे नगर किया जाएगा.
मेरठ शहर के शारदा रोड स्थित अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यालय पर हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने इस संबंध में घोषणा करते हुए कहा कि इस साल के अंत में होने वाले निकाय चुनाव में पार्षद और महापौर पद के लिए उम्मीदवार उतारे जाएंगे.
शर्मा ने कहा, ‘अगर हिंदू महासभा मेरठ में महापौर का पद जीतती है और पर्याप्त संख्या में उसके पार्षद आते हैं तो मेरठ का नाम बदलकर नाथूराम गोडसे नगर कर दिया जाएगा और शहर तथा जिले के विभिन्न स्थानों के मुस्लिम नाम हिंदू महापुरुषों के नाम पर रखे जाएंगे.’
उन्होंने हिंदू महासभा के चुनाव में उतरने की घोषणा करने के बाद पदाधिकारियों के नामों की भी घोषणा की और कहा कि वे मिलकर देशभक्त उम्मीदवारों की पहचान करेंगे जिन्हें आने वाले चुनावों में खड़ा किया जायेगा.
नगरीय निकाय चुनाव के लिए मेरठ जिले के प्रभारी बनाए गए अभिषेक अग्रवाल ने बाद में पत्रकारों को बताया कि इस बार हिंदू महासभा अपनी ओर से मेरठ जिले के सभी वार्ड सहित मेयर पद प्रत्याशी एवं मेरठ जनपद के देहात व कस्बों में भी प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने का कार्य करेगी.
अग्रवाल के मुताबिक उम्मीदवारों को एक हलफनामा भरना होगा. महासभा ने चुनावी घोषणापत्र भी जारी किया. घोषणा पत्र में पहली प्राथमिकता भारत को “हिन्दू राष्ट्र” बनाना और दूसरी प्राथमिकता “गौ माता की देखभाल” बताई गई है.
घोषणा पत्र के मुताबिक तीसरे नंबर पर किए गए वादे के मुताबिक, भारत में हो रहे धर्मांतरण जैसे मुख्य मुद्दों पर काम करना और बढ़ती इस्लामी तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ कदम उठाना होगा, जिसे खत्म करने की जरूरत है.
हिंदू महासभा के नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पहले खुद को हिंदू पार्टी कहती थी, लेकिन आज उस पर दूसरे समुदायों के लोगों का भी दबदबा बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि उसी तरह शिवसेना भी मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने की ओर बढ़ रही है.
उन्होंने कहा कि पूरे भारत में एकमात्र संगठन जो अपनी स्थापना से लेकर आज तक केवल और केवल हिंदू अस्तित्व के लिए जीया है, वह हिंदू महासभा है.
गौरतलब है कि 1915 में स्थापित अखिल भारत हिंदू महासभा ने मुख्य रूप से ब्रिटिश राज से पहले और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर हिंदुओं के हितों की वकालत करने वाले एक समूह के रूप में कार्य किया. 1930 के दशक में यह विनायक दामोदर सावरकर के नेतृत्व में एक अलग पार्टी के रूप में उभरा, जिसने हिंदुत्व की विचारधारा विकसित की.
उत्तर प्रदेश में दिसंबर में नगरीय निकाय के चुनाव होने की उम्मीद है.
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