झारखंड : हेमंत सोरेन सरकार ने अपने घोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ता देने के वादे को आधा-अधूरा ही पूरा करती नजर आ रही है. राज्य सरकार के ऐलान में जहां हर माह महज 416 रुपये ही भत्ता दिया जाना है. जो कि सालाना लगभग 5000 रुपये होगा. वहीं इसमें तकनीकी तौर पर प्रशिक्षित युवा होने की शर्त जोड़ दी गई है, जिससे यह सभी बेरोजगारों को नहीं मिलेगा. इससे योजना से वंचित होने वाले युवाओं में नाराजगी है.
दिप्रिंट से बात करते हुए लाभार्थियों की संख्या में कटौती पर जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि, ‘चुनाव के समय इतना तकनीकी जानकारी देना मुश्किल होता है. मान लीजिए अगर कोई ग्रेजुएशन करने के बाद अपने पिता के बिजनेस में शामिल हो गया हो, उनको तो इसका लाभ नहीं दे सकते न. उसका फिल्टर तो रखना ही होगा. घोषणा पत्र हमारा पॉलिटिकल स्टंट नहीं, कमिटमेंट है. आप उसकी चिंता न करें कि किसको मिल रहा है, किसको नहीं मिल रहा है.’
हेमंत सोरेन ने राज्य के बेरोजगार युवाओं को इस साल अप्रैल माह से बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का ऐलान किया है. राज्य में बेरोज़गार युवाओं को सालाना 5,000 रुपये दिए जाने की योजना है. यानी युवाओं को जीने के लिए हर महीने 416 रुपये और हर दिन लगभग 14 रुपये मिलेंगे. हालांकि, इस घोषाणा की अवधि भी फिलहाल एक साल ही है. अगले साल यह मिलेगा या नहीं, इसका अभी पता नहीं. श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता के मुताबिक इसके लिए कुल 123 करोड़ 20 लाख 37 हजार रुपए का बजट रखा गया है.
घोषणा के मुताबिक शहरी एवं ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को किसी भी कौशल प्रशिक्षण या व्यावसायिक पाठ्यक्रम से उत्तीर्ण होना अनिवार्य है. इसके अलावा राज्य के किसी भी नियोजनालय से निबंधित होना भी जरूरी है. योजना के तहत विधवा, दिव्यांग, आदिम जनजाति के युवाओं को 50 प्रतिशत अधिक भत्ता यानी कुल 7500 रुपए सालाना मिलेंगे. अभ्यर्थियों की उम्र सीमा 18 से 35 वर्ष तक होनी चाहिए.
हालांकि, जेएमएम घोषणापत्र के पेज नंबर पांच में साफ लिखा है, ‘नौकरी नहीं मिलने तक सभी बेरोज़गार स्नातकों को 5,000 रुपए एवं स्नातकोत्तर को 7,000 रुपए का भत्ता दिया जाएगा.’ लेकिन, सरकार ने इन दोनों को ही इस योजना में शामिल नहीं किया है बल्कि तकनीकी प्रशिक्षण कोर्स का पेच जोड़ दिया गया है. जाहिर है, जेएमएम की पूर्व की घोषणा से उम्मीद लगाए बैठे बड़ी संख्या में छात्र इस योजना का लाभ नहीं पा सकेंगे.
बेरोजगारी भत्ता हेमंत सोरेन के चुनावी संकल्प पत्र में भी अनेक वादों में से एक था. उसमें भी पांच हजार रुपए का जिक्र था. हालांकि, यह प्रतिमाह होगा या सालाना, संकल्प पत्र में इसका जिक्र नहीं था. 2019 में जब चुनाव से पहले रांची प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हेमंत सोरेन ने इसे जारी किया था, उस वक्त भी पत्रकारों ने सवाल किया था. तब हेमंत ने कहा था कि चुनाव जीतने दीजिए, तब इसे तय करेंगे.
सरकारी घोषणा का लाभ कितने छात्रों को मिलेगा, सरकार फिलहाल इसके आंकड़ों को जुटा रही है. हाल ही में जारी हुए आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में कुल 43 पॉलिटेक्निक हैं, जिनमें 11,575 सीटें हैं. इसके अलावा सरकारी, निजी, पीपीपी मोड पर चलने वाले इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटों की संख्या 9,433 है. वहीं झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी की ओर से चलाए जा रहे विभिन्न कोर्स में 1,80,521 युवा रजिस्टर्ड हैं.
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अपने ही कहे से मुकर गए हैं हेमंत सोरेन
जेपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र सुनील सुमन ने बताया कि, उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से रूरल डेवलपमेंट में मास्टर्स किया है. लेकिन सरकार के इस घोषणा का लाभ उन्हें नहीं मिल सकता है. निराश सुनील कहते हैं, ‘हेमंत सोरेन ने कहा था कि छठा जेपीएससी रद्द करेंगे, लेकिन नहीं किया. सातवें जेपीएससी से आरक्षण हटा दिया है. एक साल में 5 लाख रोजगार देने की बात कही, लेकिन नहीं दिया. हमें कभी हेमंत तो कभी रघुवर लूटेंगे. अब तो ये जुमला ही रह गया है.’
बीजेपी युवा मोर्चा के राज्य अध्यक्ष किसलय तिवारी कहते हैं, ’18 से 20 मार्च तक युवा विश्वासघात दिवस के रूप में मना रहे हैं. अगर मैं आर्ट्स का छात्र हूं, अपने बैच का टॉपर हूं, जेपीएससी की तैयारी भी कर रहा हूं, लेकिन मुझे इसका लाभ नहीं मिल पाएगा. छात्रों को बरगलाकर वोट लिया और अब सत्ता में आने के बाद पीठ में छुरा घोंपा है.’
एसएफआई के स्टेट कमेटी मेंबर मुनाजिर भी इसे छलावा मानते हैं. वे कहते हैं, ‘हेमंत ने पहले कहा कि सबको बेरोज़गारी भत्ता देंगे, अब तकनीकी जोड़ दिया गया. 400 रुपए में पढ़ाई का कितना खर्च कोई छात्र निकाल पाएगा.’
वहीं छात्र संगठन आईसा के स्टेट प्रेसिडेंट सोहेल कहते हैं, ‘सरकार की पढ़े-लिखे नौजवानों को बेरोजगारी भत्ता देने की मंशा नहीं है. उन्होंने इन छात्रों को दो खेमों में बांट दिया है. पहले कहा सबको देंगे, अब कह रहे हैं जो प्रशिक्षित हैं केवल उन्हीं को देंगे. जबकि घोषणापत्र में कभी नहीं कहा कि प्रशिक्षित बेरोज़गारों को देंगे. साथ ही हेमंत ने यह भी कहा है कि नोडल ऑफिसर जांच करेंगे कि युवा इसके लायक हैं या नहीं, अब जांचने के नाम पर ही तीन साल बिता देंगे, फिर चुनाव में चले जाएंगे.
जेएमएम सोशल मीडिया के रांची प्रभारी निखिल कुमार के मुताबिक, ‘नरेंद्र मोदी की सरकार ने दो करोड़ नौकरी और सभी को 15 लाख रुपए का वादा दिया था. इन दोनों को पूरा करना तो दूर, उल्टे हर साल नौकरी ही घट गई. हमारी सरकार ने युवाओं के लिए कम-से-कम शुरुआत तो की है. उनको ये पैसा जीवन चलाने के लिए नहीं दे रही है. अगर हर महीने 400 रुपये मिलते हैं तो इससे वे झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी), स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) सहित कई अन्य परिक्षाओं के फॉर्म भर सकते हैं. स्टडी मटीरियल खरीद सकते हैं. नए नियम के मुताबिक अब जेपीएससी का फॉर्म जनरल कैटेगरी के छात्र 100 रुपये में, एससी-एसटी-ओबीसी के छात्र 50 रुपये में भर सकते हैं.’
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हड़बड़ी में लिए जा रहे हैं फैसले
हाल के दिनों में हेमंत सोरेन ने अपने कई चुनावी वादों पर अमल किए हैं. उसके तौर-तरीकों पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि केवल चुनावी वादे निभाए गए हैं, बजाय इसके कि उस पर गंभीरता से अमल हो. सरकारी घोषणा के मुताबिक निजी क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को नौकरी में 75 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. हाल ये है कि अभी तक स्थानीयता की परिभाषा ही सरकार ने तय नहीं किए हैं. एक और घोषणा के मुताबिक पहले 2,000 करोड़ रुपए कृषि लोन माफी के लिए दिए गए. लेकिन सरकार को अधूरी तैयारी की वजह से लोन माफ करने के लिए किसान खोजने पड़ रहे हैं.
विनोबा भावे यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी और अर्थशास्त्री प्रो. रमेश शरण कहते हैं, ‘ये बहुत ही टोकन अमाउंट है. इससे बेरोजगारों का कुछ भी भला नहीं होनेवाला है. स्टेट की क्षमता देखे बिना चुनावी घोषणा को किसी तरह अमल में लाया जा रहा है. फिलहाल तो पूरे राज्य का जो 91 हजार करोड़ बजट पास किया गया है, उसी को पूरा करना मुश्किल है. पारा टीचर, आंगनबाड़ी सेविका, कई अन्य संविदाकर्मी पहले से स्थाई करने के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उसकी मांगों को पूरा कर नहीं पा रहे हैं. जब तक निजी उद्योग नहीं आएंगे, शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार देना संभव नहीं है.’
5,000 रुपए सालाना के हिसाब से हेमंत सरकार राज्य के प्रशिक्षित बेरोजगारों को हर दिन 13.86 रुपये भत्ता देगी. बबुआन कुमार रांची के मोरहाबादी में जेएमएम के केंद्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के आवास के ठीक सामने चाय की दुकान चलाते हैं. उनके दुकान में 13.86 रुपये में फिलहाल एक कप चाय और एक बिस्किट ही उपलब्ध है. बाकी पैसा प्राप्त करने वाले छात्र तय करेंगे कि वह इस 13.86 रुपए प्रतिदिन का क्या करेंगे.
(आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं.)
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