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Saturday, 21 December, 2024
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‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ आरोप से जूझते हेमंत सोरेन, JMM ने कहा- वह अयोग्य होने के बाद भी CM बने रहेंगे

जेएमएम के सचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि सोरेन चुनाव आयोग को नोटिस की डेडलाइन से पहले अपना जवाब देंगे और विधायक होने से आयोग्य ठहराने वाले किसी भी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.

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रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो पिछले साल खुद को खनन लाइसेंस जारी करने को लेकर ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के विवाद में उलझे हुए हैं, इस घटना में मुख्यमंत्री के रूप में संभावना है कि भारत का चुनाव आयोग (ईसीआई) उन्हें जनप्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम, 1951 की धारा 9 के तहत विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने का फैसला करे.

झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने दिप्रिंट को बताया, ‘अयोग्य होने की स्थिति में किसी और को मुख्यमंत्री बनाने का सवाल ही नहीं है. संविधान कहता है कि गैर सदस्य (विधानसभा का) छह महीने के लिए मंत्री रह सकता है लेकिन इसे बने रहने के लिए उन्हें छह महीनों के भीतर निर्वाचित होना होगा. पश्चिम बंगाल में भी यही हुआ.’

भट्टाचार्य ने आगे कहा कि सोरेन अपनी अयोग्यता की सिफारिश करने वाले चुनाव आयोग के किसी भी फैसले को झारखंड उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.

उन्होंने कहा कि, ‘यह लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित गठबंधन है. गठबंधन के पास नंबर्स हैं. झारखंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है. जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी के गठबंधन के पास मुख्यमंत्री समेत 48 सदस्य है. इस तरह के माहौल में किसी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास गैरकानूनी होगा.’

यह मामला 11 फरवरी को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के समक्ष पूर्व सीएम रघुबर दास और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी समेत विपक्षी भाजपा के नेताओं द्वारा दायर एक याचिका से संबंधित है, जिसमें खनन पट्टे के मुद्दे पर सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने और सीएम पद से हटाने की मांग की गई थी.

राज्यपाल ने इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेज दिया था, जिसने सोरेन को नोटिस भेजकर उन आरोपों का जवाब मांगा था कि उन्होंने 10 मई तक खानों का पोर्टफोलियो रखते हुए सरकारी जमीन पर एक पत्थर खदान के लिए खुद को एक खनन पट्टा जारी किया था.

चुनाव आयोग ने अपने नोटिस में कहा था कि सोरेन की कार्रवाई प्रथमदृष्टया आरपी अधिनियम की धारा 9ए का उल्लंघन करती है, जो सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है.


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क्या हो सकता है सीएम का स्टैंड

सोरेन की कानूनी टीम ईसीआई के नोटिस पर जवाब को अंतिम रूप दे रही है. भट्टाचार्य ने कहा, सीएम ईसीआई की दी गई डेडलाइन से पहले अपना जवाब दाखिल करेंगे. हम समय को बढ़ाने की मांग नहीं करेंगे.’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का रुख पिछले हफ्ते उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ भाजपा कार्यकर्ता द्वारा खुद को खनन पट्टा जारी करने के लिए अयोग्य ठहराए जाने की मांग वाली एक रिट याचिका में दिए गए जवाब के समान होने की संभावना है.

भट्टाचार्य ने कहा कि, आरपी अधिनियम की धारा 9ए जो कहती है सोरेन उसके मुताबिक पेश करेंगे, उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को तब तक अयोग्य घोषित किया जाएगा जब तक कि उसने राज्य में अनुबंध किया हो और माल की आपूर्ति के लिए उपयुक्त सरकार के साथ व्यापार किया हो.

जेएमएम के महासचिव ने आगे कहा, ‘अतीत में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों ने माना है कि खनन पट्टा माल की आपूर्ति का व्यवसाय नहीं है या सरकार द्वारा किए गए उलटे निष्पादन के लिए नहीं है.’

‘अगर हम पिछली मिसाल पर चलते हैं, तो अयोग्य ठहराने के फैसले में समय लगेगा’

ऐसी अटकलें हैं कि चुनाव आयोग 14 मई से पहले इस मामले में फैसला ले लेगा, जब मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा सेवानिवृत्त होंगे. हालांकि, संवैधानिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह संभावना नहीं है कि निकाय जल्दबाजी में निर्णय लेगा.

एस.के. मेंदिरत्ता, ईसीआई के पूर्व कानूनी वकील, दिप्रिंट से बताया कि यह एक अर्ध-न्यायिक मामला है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि, ‘मेरी राय में, एक बार सोरेन की कानूनी टीम अपनी प्रतिक्रिया देती है, तो चुनाव आयोग को अपना निर्णय देने से पहले प्रतिवादी और याचिकाकर्ता दोनों को सुनना होगा. यदि हम पिछली मिसाल पर चलते हैं, तो अयोग्य घोषित करने के निर्णय में समय लगेगा. सिर्फ इसलिए कि सीईसी 14 मई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें इससे पहले मामले में फैसला देना होगा.’

मेंदिरत्ता ने कहा, ‘अगर राज्यपाल चुनाव आयोग के फैसले के आधार पर सोरेन को अयोग्य ठहराते हैं, तो वह फैसले को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं. उच्च न्यायालय को आठ सप्ताह के भीतर मामले का निपटारा करना पड़ेगा.’

सहयोगियों के बीच अनिश्चितता

भट्टाचार्य ने कहा कि सोरेन इसका मुकाबला करेंगे, जबकि चुनाव आयोग के आसन्न निर्णय पर उनके गठबंधन सहयोगियों, विशेष रूप से कांग्रेस के बीच अनिश्चितता की भावना है.

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता, नाम बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘हमारा चुनाव पूर्व गठबंधन है, जहां हमने हेमंत सोरेन को गठबंधन के सीएम चेहरे के रूप में स्वीकार किया. इसलिए यदि वह इस्तीफा देते हैं या अयोग्य घोषित किए जाते हैं, तो झामुमो को एक नया मुख्यमंत्री चुनने से पहले सभी गठबंधन सहयोगियों से परामर्श करना होगा.’

कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा, ‘सीएम को सभी को स्वीकार्य होना चाहिए. अन्यथा, संभावना है कि गठबंधन में विधायक वफादारी बदल सकते हैं. पलायन हो सकता है. भाजपा पहले से ही गठबंधन को तोड़ने का प्रयास कर रही है.’

लेकिन चुनाव आयोग के फैसले पर अनिश्चितता की हवा के बीच भी, सीएम हमेशा की तरह अपने काम पर जा रहे हैं. अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए हैदराबाद जाने के बीच, सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन्हें आवश्यक निर्देश देने का आग्रह किया ताकि युद्ध प्रभावित यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्र भारत में अपनी उच्च शिक्षा पूरी कर सकें.

शनिवार को वह रांची में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एल खियांगते के बेटे के शादी के रिसेप्शन में भी शामिल हुए थे. ‘सरकार में कोई नीतिगत पक्षाघात नहीं है. हम अपने काम के साथ आगे बढ़ रहे हैं, ‘झारखंड कैडर के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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