नई दिल्लीः राज्य की विधानसभा में सत्ता पक्ष विपक्ष दोनों तरफ से बहुमत के दावे के बीच सीएम एचडी कुमारस्वामी ने गुरुवार को सदन में विश्वास मत पेश कर दिया है. कुमारस्वामी ने कहा कि यहां इस सवाल पर नहीं आए हैं कि वह गठबंधन सरकार चला सकते हैं या नहीं. घटनाक्रमों से पता चलता है कि स्पीकर को कुछ विधायकों ने मुश्किल में डाला.
Karnataka Speaker in Assembly: When a member chooses not to come, our attendants will not permit them to sign the register of attendance. The concerned member will not be entitled to draw any emolument that is meant for the member to be drawn for being present in the House. pic.twitter.com/CEM0i2BsaA
— ANI (@ANI) July 18, 2019
वहीं विधानसभा में स्पीकर ने कहा कि जब कोई सदस्य सदन में नहीं आता तो उसे अटेंडेंस रजिस्टर में हस्ताक्षर की अनुमति नहीं होगी. संबंधित सदस्य सदन में किसी भी नियम पर ध्यान आकर्षित करने के हकदार भी नहीं होगे.
Karnataka CM, HD Kumaraswamy during trust vote debate in Assembly: I have self respect and so do my ministers. I have to make some clarifications. Who is responsible for destabilising this government? pic.twitter.com/h8bY42RQRH
— ANI (@ANI) July 18, 2019
सदन के कार्यों की सलाहकार समिति द्वारा सोमवार को लिए गए निर्णय के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने मुख्यमंत्री को बहस और परीक्षण के लिए प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया.
कुमारस्वामी ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा, ‘मैं यह साबित करने के लिए विश्वास मत प्रस्ताव पेश करता हूं कि हमारे सत्तारूढ़ गठबंधन के पास सदन में बहुमत है.’ इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद विधायकों को संबोधित करना शुरू कर दिया.
सीएम कुमारस्वामी ने कहा- येदियुरप्पा काफी हड़बड़ी में हैं. उन्होंने कहा, ‘स्पीकर की भूमिका खराब करने की कोशिश की जा रही है. हमें कर्नाटक के विकास के लिए काम करना चाहिए.
कुमारस्वामी ने कहा कि सभी मुद्दों पर चर्चा और चुनौती के लिए तैयार हूं. भाजपा सरकार को अस्थिर करने में लगी हुई है. लोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ ड्रामा हो रहा है. आयाराम-गयाराम विधायकों का सिलसिला चालू है. हमें कड़े कानून की जरूरत है ताकि दलबदल रोका जा सके.
वहीं कर्नाटक सरकार के लिए विधानसभा में चल रहे फ्लोर टेस्ट को लेकर बागी विधायक सदन छोड़कर बाहर निकल गये हैं.
सीएम कुमारस्वामी ने प्रस्ताव पर चर्चा के लिए स्पीकर से वक्त मांगा है. येदियुरप्पा ने कहा- इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार विश्वास मत हारेगी.
विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान सीएम ने कहा, आखिर बीएस येदियुरप्पा इतनी जल्दी में क्यों हैं. वह पूछना चाहते हैं कि उनकी सरकार को अस्थिर करने के पीछे कौन है?
इस दौरान बीएसपी विधायक एन महेश सदन में मौजूद नहीं हैं.
कर्नाटक सरकार विश्वास मत परीक्षण का सामना कर रही है
वहीं मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में, जनता दल सेक्युलर-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने बुधवार को जेडी (एस) के सभी 37 विधायकों को व्हिप जारी किया था, जिसमें तीन बागी विधायक नारायण गौड़ा, गोपालैया और एच विश्वनाथ शामिल हैं, जो विश्वास मत के समय विधानसभा में उपस्थित होंगे.
कुमारस्वामी ने चेतावनी दी है कि यदि विधायक सदन में उपस्थित नहीं होते हैं और विश्वास मत के दिन सत्र में भाग लेने के बाद भी पार्टी व्हिप के खिलाफ मतदान करते हैं, तो दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई शुरू की जाएगी और विधायक को उनके पद से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.
इस बीच, असंतुष्ट विधायकों में शामिल वरिष्ठ कांग्रेस विधायक रामलिंगा रेड्डी ने बुधवार को पुष्टि की थी कि वह पार्टी में बने रहेंगे और राज्य विधानसभा में कर्नाटक गठबंधन सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे.
रेड्डी, जिन्होंने नौ कांग्रेस-जद (एस) के विधायकों के साथ 6 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था, ने कहा था कि उन्होंने पार्टी के आंतरिक मामलों के कारण अपना इस्तीफा दे दिया था.
कुमारस्वामी ने विधानसभा के चालू सत्र के दौरान अध्यक्ष केआर रमेश कुमार से फ्लोर टेस्ट की अनुमति मांगी थी.
सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की एक पीठ ने माना था कि 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
हालांकि, यह जोड़ा कि स्पीकर के आर रमेश कुमार को बागी विधायकों के इस्तीफे पर समय सीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा: ‘गुरुवार को विश्वास मत के मद्देनजर, सर्वोच्च न्यायालय ने दो महत्वपूर्ण बातें कही हैं – 15 विधायकों को कल सदन में उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा. सभी 15 विधायकों को स्वतंत्रता दी गई है कि वह कल सदन में जाएं या नहीं.’
इसको लेकर याचिका प्रताप गौड़ा पाटिल, रमेश जारखिहोली, बृती बसवराज, बीसी पाटिल, एस टी सोमशेखर, अर्बैल शिवराम हेब्बर और महेश कुमाता और कांग्रेस के के गोपालैया, एच डी विश्वनाथ और नारायण गौड़ा ने दायर की थी.
पांच अन्य बागी विधायकों – के सुधाकर, रोशन बेग, एमटीबी नागराज, मुनिरत्न और आनंद सिंह ने 13 जुलाई को अदालत से गुहार लगाई थी कि वे ‘स्वेच्छा से’ इस्तीफा दिए हैं और उनका इस्तीफा स्पीकर को स्वीकार करना होगा.
इन विधायकों के इस महीने की शुरुआत में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद 13 महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस सरकार संकट में पड़ गई थी.
राज्य विधानसभा में 225 सदस्य हैं, जिसमें एक मनोनीत विधायक भी शामिल है.