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Wednesday, 20 November, 2024
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हरियाणा का रोड मराठा समुदाय जिसे कोई भी पार्टी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहती है

रोड मराठा समुदाय के वंशज वो हैं जिन्होंने पानीपत की तीसरी लड़ाई लड़ी थी. कांग्रेस, भाजपा और बसपा उन्हें एक विशेष वोटबैंक के रूप में लुभाना चाहते हैं.

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चंडीगढ़: पानीपत की तीसरी लड़ाई 250 साल से अधिक पुरानी है. लेकिन इसकी छाया अभी भी हरियाणा में चुनाव पर दिखाई देती है. मराठों और अफ़गानों के बीच 1761 में लड़ी गई लड़ाई ने उन सैनिकों को पीछे छोड़ दिया. जिनके वंशज रोड मराठा को हरियाणा के करनाल में हमेशा कांग्रेस, भाजपा और बसपा द्वारा एक विशेष वोटबैंक के रूप में लुभाया गया है. वे लोग 12 मई को लोकसभा चुनाव में छठे चरण में अपना मतदान करेंगे.

रोड मराठाओं की संख्या लगभग 7 लाख है. वे लोग करनाल से रोहतक और भिवानी तक फैले हुए हैं. इस समुदाय के वंश का पता पेशवा के 500 सैनिकों से चलता हैं. जिन्होंने पानीपत की लड़ाई थी. वे युद्ध लड़े इसमें बच गए और फिर इस इलाके के जंगलों में बिखर गए. अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली द्वारा कई सैनिकों को जेल में डाल दिया गया. जिनकी सेनाओं ने पानीपत में अभियानरत मराठा सेना को करारी शिकस्त दी थी.

रोड -मराठों का दबदबा

करनाल में 1.8 लाख मतदाताओं के ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण इस समुदाय के नेता अपने चुनाव रैलियों के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के साथ आ रहे हैं.

करनाल स्थित रोड-मराठा समुदाय और मराठा जागृति मंच के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह वर्मा ने कहा रोड मराठा इस चुनाव में पूरी तरह से कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं.


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रोड-मराठों के बारे में बात करते हुए हरियाणा सरकार के एक पूर्व नौकरशाह वर्मा ने कहा ‘रोड मराठा की जीवन शैली, भाषा, घर, भोजन, गीत के नाम मराठियों के समान हैं. रोड मराठा में पवार, चव्हाण, भोसले, सावंत जैसे उपनाम भी हैं’.

वर्मा का राजनैतिक दबदबा उनके द्वारा बदली गई पार्टियों की संख्या से स्पष्ट है. वह 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर करनाल से उम्मीदवार थे. 2009 के चुनाव में वर्मा को 2 लाख और 2014 में एक लाख से अधिक वोट मिले थे.

2009 और 2014 के बीच वर्मा का भाजपा के साथ भी एक संक्षिप्त कार्यकाल था. इसके बाद वर्मा ने अपनी पार्टी ‘एकता शक्ति’ बनाई और इसका विलय पिछले साल कांग्रेस में किया. इस हफ्ते की शुरुआत में वर्मा चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप शर्मा के साथ रोड मराठों के गढ़ में गए.

कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा से शुक्रवार को एक संयुक्त करनाल-कुरुक्षेत्र रैली को संबोधित करने के लिए कहा क्योंकि उनके वंशज पेशवा ब्राह्मण हैं. जिन्होंने पानीपत लड़ाई में मराठा सैनिकों का नेतृत्व किया था. यह उन्हें मराठों का स्थानीय नायक बनाता है.

शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘आमतौर पर आपको पता हो कि मैं पेशवा वंश से ताल्लुख रखता हूं और चूंकि इस क्षेत्र के लोगों में मराठों का खून बह रहा है. मैं जाति के आधार पर वोट मांगने में विश्वास नहीं रखता हूं.

भाजपा की नजर पंजाबी और रोड-मराठा दोनों वोटों पर है

करनाल परंपरागत रूप से ब्राह्मण सीट है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के अश्विनी चोपड़ा चुने गए थे. वे पंजाबी हैं. चोपड़ा एक क्रिकेटर थे और अब मीडिया से जुड़े दिग्गज हैं.

इस बार भी भाजपा ने एक पंजाबी संजय भाटिया को टिकट दिया है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी हैं. भाटिया को दो लाख से अधिक पंजाबी-खत्री मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए चुना गया है. करनाल निर्वाचन क्षेत्र में कुल 19 लाख मतदाता हैं.

हालांकि भाजपा को रोड मराठों का भी समर्थन मिल रहा है. करनाल में रहने वाले एक मराठी आरएसएस-भाजपा नेता प्रदीप पाटिल ने कहा कि भले ही वह लोकसभा टिकट के लिए कोशिश कर रहे थे. वह भाटिया का समर्थन करेंगे. पाटिल ने कहा कि भाजपा नेता वेद पाल एक वकील और एक स्थानीय रोड-मराठा भी पार्टी को समुदाय का समर्थन हासिल करने में मदद कर रहे हैं.


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पाटिल ने कहा कि भाजपा ‘करनाल में रोड-मराठा वोट का 60-65 प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य बना रही है’.

अन्य दलों में केवल बीएसपी जो लोक सुरक्षा पार्टी (एलएसपी) के साथ गठबंधन में है, ने रोड-मराठा उम्मीदवार पंकज चौधरी को मैदान में उतारा है.

हर साल 14 जनवरी को जिस दिन पानीपत की लड़ाई लड़ी गयी थी, रोड-मराठा एक साथ मिलते हैं और उस दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाते हैं, जो मराठा योद्धाओं की वीरता का प्रतीक है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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