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Thursday, 21 November, 2024
होमराजनीतिआज होगा हरियाणा कैबिनेट का विस्तार, जातिगत गणित और दुष्यंत चौटाला को संतुष्ट करना बन सकता है आधार

आज होगा हरियाणा कैबिनेट का विस्तार, जातिगत गणित और दुष्यंत चौटाला को संतुष्ट करना बन सकता है आधार

करीबन दो साल पहले शपथ ग्रहण के बाद से यह हरियाणा सरकार का पहला कैबिनेट विस्तार है. भाजपा का कहना है कि यह कदम 'लंबे समय से लम्बित' था, लेकिन किसानों के विरोध के कारण पहले नहीं हो सका था.

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नई दिल्ली: किसानों के विरोध की आंच धीमी पड़ने के साथ ही हरियाणा सरकार आखिरकार अपने कैबिनेट विस्तार के लिए कमर कस रही है. पिछले दो साल में यह पहली बार किया जायेगा.

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने सोमवार को इस बात की घोषणा की कि नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण मंगलवार दोपहर चंडीगढ़ स्थित हरियाणा राजभवन में होगा.

भाजपा सूत्रों के अनुसार, इस बार का मंत्रिमंडल विस्तार दो मुख्य बातों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा: पहला, भाजपा के सहयोगी दल दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी को शांत करना और राज्य में होने वाले 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले जातीय अंकगणित को साधने की कोशिश करना.

सोनीपत के भाजपा सांसद रमेश चंदर कौशिक ने दिप्रिंट को बताया कि कैबिनेट विस्तार ‘काफी लंबे समय से विलंबित’ था, लेकिन किसानों के विरोध के कारण पहले नहीं हो सका.

कौशिक ने कहा, ‘राज्य सरकार के पास अब कैबिनेट का विस्तार करने और कुछ अन्य मंत्रियों को शामिल करने का अवसर है. लेकिन, यह एक छोटा फेरबदल ही होगा… पार्टी को हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर भी नजर बनाये रखनी होगी.’

‘सिर्फ दो अतिरिक्त मंत्रियों के लिए जगह, लेकिन और भी बदलाव की संभावना’

राज्य में इस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सहित कुल 12 मंत्री हैं, लेकिन हरियाणा कैबिनेट में दो और सदस्यों को समायोजित किया जा सकता है, क्योंकि इसकी ऊपरी सीमा 14 है.

वर्तमान में, मुख्यमंत्री खट्टर और आठ मंत्री भाजपा से, दो जजपा से, और एक निर्दलीय है. उम्मीद है कि भाजपा और जजपा से एक-एक और मंत्री को जगह दी जाएगी. लेकिन हरियाणा के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि इसमें कुछ और भी बदलाव हो सकते हैं.

इस बात का अनुमान लगाते हुए कि पार्टी क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और जाति के आधार पर कुछ और फैसले ले सकती है, इस भाजपा नेता ने कहा ‘(मंत्रियों के) प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है … कुछ वर्तमान मंत्रियों को भी बदला जा सकता है.’

इस भाजपा नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘फ़िलहाल सोनीपत और रोहतक क्षेत्रों से कोई मंत्री कैबिनेट में शामिल नहीं है. बनिया समुदाय का कोई मंत्री भी नहीं है. नए लोगों को शामिल करके इन कमियों को दूर किया जा सकता हैं.’


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‘जजपा का दबाव’

जजपा, जिसके हरियाणा विधानसभा में 10 विधायक हैं, अपने गठबंधन सहयोगी, भाजपा के साथ एक असहज समीकरण के तहत जुड़ी हुई है, विशेष रूप से किसानों के विरोध को देखते हुए.

इस साल जनवरी में, कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से बहुत पहले, जजपा के छह विधायकों ने किसानों के मुद्दों की वकालत करते हुए हरियाणा में भाजपा और जजपा नेतृत्व को एक तरह की अंतिम चेतावनी (वर्चुअल अल्टीमेटम) दे दी था.

हालांकि चौटाला अपने दल को एकजुट रखने में कामयाब रहे हैं, लेकिन हरियाणा सरकार के किसानों के साथ तालमेल की कमी को लेकर जजपा के अंदर गहरी नाराजगी थी.

जजपा के एक नेता के मुताबिक, जजपा विधायकों में दुष्यंत द्वारा स्वयं ‘सत्ता का आनंद’ उठाते हुए बाकी विधायकों को उनके हाल पर छोड़ देने को लेकर भी नाराजगी है. एक सूत्र ने कहा, ‘कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद, जजपा के भीतर की नाराजगी को दूर करने की तत्काल आवश्यकता है.’

वर्तमान में कई नाम, या तो कैबिनेट में शामिल किये जाने हेतु या इससे संभावित निष्कासन के लिए, चर्चा में हैं. जजपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कैबिनेट में शामिल होने की दौड़ में शाहबाद के विधायक राम करण और टोहाना के विधायक देवेंद्र सिंह बबली के नाम शामिल हैं.

जाटों के एक प्रमुख नेता माने जाने वाले बबली ने 2019 में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को हराया था. जजपा के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि चौटाला जाट समुदाय को खुश करने के लिए बबली, जिनके बारे में माना जाता है कि वे किसान विरोध के दौरान जजपा के खिलाफ हो गए थे, को शामिल करने के लिए अड़े हुए हैं.

बबली मार्च में हरियाणा सरकार के विश्वास मत से पहले पार्टी की आधिकारिक लाइन के खिलाफ जाने के लिए चर्चा में रहे थे. उस समय, उन्होंने कहा था कि पार्टी को भाजपा से समर्थन वापस ले लेना चाहिए क्योंकि उसने किसानों का समर्थन न करके ‘नैतिक आधार’ खो दिया है.

हालांकि, कुछ ही महीने बाद, जून में, विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कथित तौर पर बबली के काफिले पर ‘हमला’ किया गया था. बाद में उन्होंने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया के लिए माफी मांगी और कहा कि खुद एक किसान होने के नाते उन्होंने हमेशा किसान समुदाय का समर्थन ही किया है.

2024 पर है नजर

हरियाणा भाजपा के सूत्रों के अनुसार, कुछ मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है क्योंकि उनका ‘प्रदर्शन’ अपेक्षा के अनुसार नहीं रहा है.’

हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में इस बार की भी तेज अटकलें हैं कि भाजपा 2024 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए किसी बनिया नेता को कैबिनेट में शामिल कर सकती है. भाजपा के ही एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि जिन नामों पर चर्चा चल रही है उनमें ज्ञान चंद गुप्ता, जो वर्तमान में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष हैं, हिसार के विधायक कमल गुप्ता और पलवल के विधायक दीपक सिंगला शामिल हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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