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Monday, 23 December, 2024
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हरीश रावत के इनकार के बावजूद कांग्रेस नेता के ‘मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वादे’ वाले बयान पर विवाद जारी

भाजपा दावा कर रही है कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी विवाद दरअसल 10-12 विधानसभा क्षेत्रों में एक खास समुदाय को प्रभावित करने की कांग्रेस की ‘चाल’ है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी की ‘विभाजनकारी राजनीति’ नहीं चलेगी.

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देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष अकील अहमद ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले एक बयान देकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें चुनाव आयोग (ईसी) को भी दखल देना पड़ा है. अकील अहमद ने दावा किया था कि पार्टी नेता हरीश रावत ने उनसे ‘वादा’ किया है कि राज्य में एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी.

हालांकि, कांग्रेस पार्टी और खुद रावत ने ऐसे किसी दावे से साफ तौर पर इनकार किया है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का आरोप है कि कांग्रेस इस यूनिवर्सिटी का वादा करके कुछ विधानसभा क्षेत्रों में ‘मुस्लिम मतदाताओं के ध्रुवीकरण’ का प्रयास कर रही है.

इस माह के शुरू में अहमद की टिप्पणियों पर निशाना साधते हुए राज्य भाजपा प्रमुख मदन कौशिक के साथ-साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी आरोप लगाया था कि रावत ने वादा किया है कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्थापित करेगी.

मुख्यमंत्री धामी ने 2 फरवरी को संवाददाताओं से कहा था, ‘कांग्रेस भारत की आजादी के बाद से ही मुस्लिम तुष्टीकरण में लगी है. उत्तराखंड एक देवभूमि और चार धाम तीर्थस्थल है, जहां कांग्रेस एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्थापित करना चाहती है. दूसरी तरफ, वह कर्नाटक सरकार की संस्कृत यूनिवर्सिटी योजना का विरोध कर रही है. उत्तराखंड के लोग कांग्रेस पार्टी की विभाजनकारी राजनीति स्वीकार नहीं करेंगे और उसे उचित जवाब देंगे.’

हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने इन आरोपों से इनकार किया है. रावत ने पिछले हफ्ते दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैंने कभी किसी के साथ ऐसी कोई बातचीत नहीं की है. किसी मुस्लिम भाई ने कभी इसकी मांग भी नहीं की. भाजपा को इस तरह के झूठे दावे करने और हम पर आरोप लगाने की आदत है…’

लेकिन उसके बाद भी, भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शनिवार को हरिद्वार में पार्टी की एक बैठक के दौरान कहा कि ‘कांग्रेस नेता राज्य में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की वकालत करके मुस्लिम तुष्टिकरण के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं.’

विजयवर्गीय ने कहा, ‘यहां किसी मुस्लिम यूनिवर्सिटी की जरूरत नहीं है. उत्तराखंड भले ही एक छोटा राज्य है, लेकिन यह राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत मायने रखता है…’

इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कांग्रेस पर हमला करने से नहीं चूके. मोदी ने सोमवार को हरिद्वार की विधानसभा सीटों को लेकर एक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘अब कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड में भी तुष्टिकरण की राजनीति का जहर घोलने की कोशिश कर रही है. यूनिवर्सिटी के नाम पर तुष्टीकरण की राजनीति करने की कांग्रेस के नेताओं की कोशिश उत्तराखंड के लोगों की आंखें खोलने के लिए काफी है.’

यह सियासी लड़ाई अब चुनाव आयोग तक भी पहुंच चुकी है, कांग्रेस ने शिकायत की है कि भाजपा ने कथित वादे का जिक्र करते हुए दाढ़ी और टोपी के साथ रावत की एक मॉर्फ्ड फोटो ट्वीट की है.

कथित तौर पर राज्य भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट किए गए लेकिन बाद में हटा लिए गए ट्वीट को लेकर कांग्रेस की तरफ से की गई शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने शनिवार को भाजपा को नोटिस जारी किया था. कांग्रेस ने अपनी शिकायत में कहा, ‘इसके जरिये यह संकेत देने की कोशिश की गई कि रावत एक मुस्लिम हैं ताकि उत्तराखंड जैसे शांतिपूर्ण राज्य में समुदायिक विभाजन पैदा किया जा सके.’ भाजपा के अपने जवाब में दावा किया है कि उसने तो केवल पूर्व सीएम की प्रशंसा ही की थी.

‘कांग्रेस ने जानबूझकर चली यह चाल’

भाजपा का आरोप है कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी विवाद राज्य में 14 फरवरी को होने जा रहे मतदान के मद्देनजर गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों की 10-12 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं को प्रभावित करने की कांग्रेस की ‘सोची-समझी चाल’ का हिस्सा है.

अकील अहमद को कांग्रेस ने सहसपुर से टिकट देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद बगावत पर उतरे अकील अहमद ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन 1 फरवरी को स्थानीय मीडिया के समक्ष उन्होंने घोषणा की कि रावत के इस ‘वादे’ के बाद पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार आर्येंद्र शर्मा के खिलाफ मैदान से हट रहे हैं कि राज्य में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी.

नामांकन वापसी के अंतिम दिन यह घोषणा करने वाले अहमद सहसपुर में पार्टी के लिए एक बड़े वोट कटवा साबित हो सकते थे.

भाजपा ने तब कांग्रेस को हराने की रणनीति के तहत अहमद का यह बयान इस्तेमाल किया. पार्टी ने आरोप लगाया कि यह मुस्लिम मतदाताओं के ध्रुवीकरण की विपक्षी दल की सोची-समझी चाल थी. पार्टी ने यह सवाल भी उठाया कि कांग्रेस ने अहमद के बयान की निंदा क्यों नहीं की.

राज्य में भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी ने दिप्रिंट से कहा, ‘मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा कांग्रेस ने जानबूझकर खड़ा किया है. पहले उन्होंने अपने नेता से सार्वजनिक तौर पर यह कहलाया ताकि अल्पसंख्यक वोटों को गैर-भाजपा उम्मीदवारों के बीच बंटने से रोका जा सके. दिल्ली या उत्तराखंड में किसी भी कांग्रेस नेता ने अभी तक इस बयान से इनकार नहीं किया है. यह उनका छिपा हुआ एजेंडा है. हम लोगों को बता रहे हैं कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वादे को शामिल क्यों नहीं किया.’

उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने दिप्रिंट से कहा, ‘वे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में किसी भी हद तक जा सकते हैं, लेकिन भाजपा ऐसा होने नहीं देगी.’

भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पहाड़ी क्षेत्रों में दलित मतदाताओं और मैदानी इलाकों में मुसलमानों के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है.

जोशी ने कहा, ‘इनमें कुमाऊं में किच्छा, हल्द्वानी, जसपुर और काशीपुर शामिल हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 15,000 से 25,000 के बीच है. कांग्रेस की नजर देहरादून के धरमपुर और सहसपुर निर्वाचन क्षेत्रों और हरिद्वार की चार-पांच विधानसभा सीटों पर भी है जहां 20,000 से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं. मुस्लिम यूनिवर्सिटी विवाद इन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में काफी ज्यादा मायने रखता है क्योंकि आप, बसपा और सपा जैसी पार्टियां भी यहां चुनाव लड़ रही हैं.’

‘भाजपा की साजिश’

मुस्लिम यूनिवर्सिटी विवाद पर कांग्रेस की राय के बारे में पूछे जाने पर पार्टी प्रवक्ता और मीडिया सलाहकार सुरेंद्र अग्रवाल ने दिप्रिंट से कहा कि यह सारा मामला भाजपा ने ‘गढ़ा है, जिसमें वह सफल नहीं हो पाएगी.’

उन्होंने कहा, ‘जिस व्यक्ति के हवाले से यह बात कही जा रही है, वह खुद इसका खंडन कर चुका है. उन्होंने यूनिवर्सिटी मामले में किसी से कभी कोई बात नहीं करने का दावा किया है. कांग्रेस केवल घोषणापत्र में किए गए वादों पर काम करेगी.’

दिप्रिंट ने इस पूरे प्रकरण पर टिप्पणी के लिए फोन कॉल के जरिये अहमद से संपर्क साधा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया.

अग्रवाल ने आगे कहा, ‘भाजपा पहले से ही उन निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी हार सुनिश्चित मान रही है जिनके संबंध में उसका आरोप है कि कांग्रेस मतदाताओं के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है. इसने मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए मुस्लिम यूनिवर्सिटी का हौवा खड़ा कर दिया है, लेकिन लोग सब जानते हैं.’

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने दिप्रिंट को बताया कि यह ‘भाजपा सब की विभाजनकारी राजनीति का ही हिस्सा है, जिसके लिए वह ख्यात है. लेकिन इससे उसे वह नतीजे नहीं मिलेंगे जो वह चाहती है.’

एएमयू संस्थापक से की रावत की तुलना

उत्तराखंड भाजपा के सोशल मीडिया प्रभारी तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने 3 फरवरी को एक मॉर्फ्ड फोटो को ट्वीट करते हुए रावत को ‘हरीशुद्दीन जी’ कहकर संबोधित किया था.

बग्गा ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘सुना है हरीशुद्दीन जी ने देवभूमि में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का विरोध करने के कारण मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. लेकिन मैं फिर से ऐसा कर रहा हूं और 1000 बार करूंगा, वे मेरे खिलाफ हजारों शिकायत कर सकते हैं, वे मुझे जेल भेज सकते हैं लेकिन मैं अपनी आखिरी सांस तक देवभूमि के इस्लामीकरण की कांग्रेस की कोशिश के खिलाफ लड़ूंगा.’

चुनाव आयोग के नोटिस के जवाब में बग्गा ने उत्तराखंड के मुख्य चुनाव अधिकारी को लिखा है कि उनका मतलब हरीश रावत का अपमान करना नहीं था, बल्कि वह तो कांग्रेस नेता और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के बीच समानता दिखाकर उनकी प्रशंसा ही कर रहे थे.

उनके पत्र में आगे लिखा गया है, ‘क्या हरीश रावत सर सैयद अहमद खान के साथ अपनी तुलना को अपना अपमान मानते हैं? सैयद अहमद खान देश में इस्लामी यूनिवर्सिटी स्थापित करने वाले पहले नेता थे और ऐसा करने वाले हरीश रावत दूसरे व्यक्ति होंगे. हालांकि, अगर हरीश रावत को लगता है कि यह उनका अपमान है, तो उन्हें यह बात लिखित में देनी होगी और मैं अपना ट्वीट हटा दूंगा.’


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