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Monday, 25 November, 2024
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मोरबी में लोगों की जान बचाने वाले नेता को मिला टिकट, गुजरात में BJP ने कुछ ऐसे तय किए उम्मीदवार

पार्टी 1995 से गुजरात की सत्ता पर काबिज है, लेकिन 2017 में कांग्रेस के कुछ मजबूती से उभरने और 77 सीटें हासिल करने के साथ भाजपा के विधायकों की संख्या सिमटकर 99 पर आ गई थी.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को मोरबी की एक सीट से उम्मीदवार बनाया है. अमृतिया को यह टिकट 30 अक्टूबर को मोरबी हादसे के दौरान कई लोगों की जान बचाने के ‘पुरस्कार’ स्वरूप मिली है. गौरतलब है कि मोरबी में सस्पेंशन पुल ढहने से कम से कम 137 लोग मारे गए थे.

अमृतिया को मोरबी के मौजूदा विधायक और राज्य के पंचायत और श्रम राज्य मंत्री बृजेश मेरजा की जगह मैदान में उतारा गया है. भाजपा ने दिसंबर में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को 160 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की.

पार्टी ने अब तक 38 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं जबकि 69 को फिर से मौका दिया गया है.

जिन लोगों का टिकट कटा उनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, पूर्व डिप्टी सीएम नितिन पटेल, पूर्व मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा और भूपेंद्र चुडास्मा शामिल हैं, जिनके बारे में पार्टी का कहना है कि वे जमीनी स्तर पर काम करने के इच्छुक हैं.

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल घाटलोडिया से पार्टी उम्मीदवार होंगे, जबकि क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा को जामनगर (उत्तर) से मैदान में उतारा गया है.

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को विरमगाम से और गृह मंत्री हर्ष संघवी को माजुरा सीट से टिकट मिला है.

टिकट पाने वालों में कांग्रेस से ही आए एक अन्य नेता राजेंद्र सिंह राठवा भी शामिल हैं, जिनके विधायक पिता मोहन सिंह राठवा हाल में भाजपा में शामिल हुए थे. गत बुधवार को ही इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए एक अन्य मौजूदा विधायक और अहीर समुदाय के नेता भगवान बराड को भी पूर्व विधायक मनोज भाई वाघेला के साथ टिकट मिला है, जो दलित एक्टिविस्ट जिग्नेश मेवाणी के खिलाफ चुनाव मैदान में होंगे.

अमृतिया के बारे में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘वह सबसे पहले मौके पर पहुंचे और उन्होंने कई लोगों की जान बचाने में भी एक अहम भूमिका निभाई. पार्टी ऐसे लोगों को पुरस्कृत करना चाहती है जिनका काम एक मिसाल है. मौजूदा विधायक पुल से जुड़े कई विवादों में शामिल रहे थे और पार्टी उन्हें टिकट देकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती.’

गुजरात के भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘इस सूची में सभी क्षेत्रों के लोगों का प्रतिनिधित्व देखा जा सकता है. हमने 14 महिलाओं, 13 अनुसूचित जाति और 24 अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों को टिकट नहीं मिला है, उन्होंने पार्टी नेतृत्व को बताया था कि वे चुनावी दौड़ में शामिल होने के बजाय जमीनी स्तर पर पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं. इनमें आर.सी. फालदू, सौरभ पटेल, नितिन पटेल, कौशिक पटेल, विजय रूपाणी, भूपेंद्र चुड़ास्मा, प्रदीपसिंह जडेजा और कौशिक पटेल शामिल हैं.

सूची घोषित होने से एक दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उनके तीन पूर्व कैबिनेट सहयोगियों—पूर्व डिप्टी सीएम नितिन पटेल, प्रदीप सिंह जडेजा और भूपेंद्र चुडास्मा ने केंद्रीय नेतृत्व से अनुरोध किया था कि टिकट चयन के दौरान उनके नामों पर विचार न करें.

जाति समीकरणों को ध्यान में रखकर भाजपा ने पाटीदार समुदाय से नितिन पटेल के स्थान पर पार्टी कार्यकर्ता मुकेश द्वारका प्रसाद पटेल को उतारा है. पूर्व सीएम विजय रूपाणी की सीट डॉ. दर्शिता पारस शाह को मिली है, उन्हें राजपुर पश्चिम से प्रत्याशी बनाया गया है.

चुडास्मा की जगह ढोलका से पूर्व विधायक किरीट सिंह सरदार सिंह डाभी मैदान में होंगे.

बोटाद में पार्टी ने सौरभ पटेल की जगह व्यवसायी घनश्याम भाई देसाई को टिकट दिया है.

2017 में चुनाव हारने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी पी.सी बरंदा को भिलोदा से टिकट मिला है.

हाल में पार्टी छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता जय नारायण व्यास की जगह पर पार्टी ने एक अन्य वरिष्ठ नेता बलवंत सिंह को सिद्धपुर से टिकट दिया है.

सूची में शामिल एक दिलचस्प नाम रमेश भाई तिलारा का है, जिन्हें राजकोट दक्षिण से टिकट मिला है. तिलारा पाटीदार समुदाय के बीच खासी अहमियत रखने वाले कोडधान मंदिर के ट्रस्टी हैं.

रूपाणी कैबिनेट में मंत्री रहे और इस बार टिकट पाने में कामयाब कुछ नेताओं में ईश्वर परमार, गणपत भाई वसावा, जयेश रदाड़िया, दिलीप ठाकोर और जवाहर भाई चावड़ा आदि शामिल हैं.

गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सी.आर. पाटिल ने कहा, ‘गुजरात चुनाव में इस बार लक्ष्य तो यही है कि सीटों की संख्या और जीत के अंतर दोनों ही मायने में पार्टी का रिकॉर्ड बेहतर किया जाए.’

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी ने नए और अनुभवी चेहरों के बीच एक संतुलन बनाए रखने की कोशिश भी की है. नेता ने कहा, ‘कई प्रोफेशनल्स और युवा चेहरों को भी जगह दी गई है. हर क्षेत्र से जुड़े लोगों को भाजपा प्रत्याशी बनने का मौका मिला है. सत्ता-विरोधी भावना की तो हमेशा ही एक भूमिका रहती है, और संगठनात्मक स्तर और यहां तक कि सरकार के स्तर पर भी कराए गए सर्वेक्षणों के आधार पर कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया गया है.’

1995 से गुजरात में सत्ता में काबिज रही भाजपा 2017 की तुलना में अपनी स्थिति सुधारने की हरसंभव कोशिश कर रही है, जब कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं और सत्तारूढ़ दल का आंकड़ा सिमटकर 99 पर ही रह गया था. भाजपा का लक्ष्य इस बार 182 सदस्यीय विधानसभा में कम से कम 150 सीटें जीतने का है.

गुजरात में आम आदमी पार्टी के प्रमुख चुनौती के रूप में उभरने के निरंतर प्रयासों ने भी भाजपा की चिंता बढ़ा रखी है. यह नई पार्टी राज्य में धीरे-धीरे अपनी जमीन बनाती भी जा रही है. पिछले साल नगरपालिका चुनावों में आप को सूरत में 28 फीसदी, गांधीनगर में 21 फीसदी और राजकोट में 17 फीसदी वोट मिले थे.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(अनुवादः रावी द्विवेदी)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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