नई दिल्ली: गुजरात के पूर्व सीएम और भाजपा के वरिष्ठ नेता केशुभाई पटेल का गुरुवार को निधन हो गया. 92 वर्षीय केशुभाई को गुरुवार सुबह सांस लेने में दिक्कत की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. कुछ दिनों पहले वे कोरोना संक्रमित भी हुए थे, जिसके बाद ठीक हो गए थे.
गुजरात के दो बार सीएम रहे केशुभाई 30 सितंबर को ही सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के दोबारा अध्यक्ष भी चुने गए थे.
पटेल ने 2014 में राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी.
केशुभाई पटेल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘केशुभाई ने जनसंघ और बीजेपी को मजबूत करने के लिए गुजरात की लंबी-चौड़ी यात्रा की. उन्होंने आपातकाल का विरोध किया. किसान कल्याण के मुद्दे उनके दिल के सबसे करीब थे. उन्होंने विधायक, सांसद, मंत्री और सीएम के रूप में योगदान दिया.’
Keshubhai mentored and groomed many younger Karyakartas including me. Everyone loved his affable nature. His demise is an irreparable loss. We are all grieving today. My thoughts are with his family and well-wishers. Spoke to his son Bharat and expressed condolences. Om Shanti. pic.twitter.com/p9HF3D5b7y
— Narendra Modi (@narendramodi) October 29, 2020
गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर केशुभाई को याद करते हुए उन्हें गुजरात में भाजपा मजबूती देने वाला बताया है और कहा कि वह अपने कार्य और व्यवहार से सदैव हमारी स्मृतियों में रहेंगे.
भाजपा में रहते हुए गुजरात में संगठन को सशक्त करने में केशुभाई ने अहम भूमिका निभाई। सोमनाथ मंदिर के ट्रस्टी के रूप में उन्होंने मंदिर के विकास में हमेशा बढ़ चढ़कर सहयोग किया। अपने कार्यों व व्यवहार से केशुभाई सदैव हमारी स्मृति में रहेंगे। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। pic.twitter.com/MwVVbPWx0h
— Amit Shah (@AmitShah) October 29, 2020
केशुभाई पटेल का जन्म जूनागढ़ में 24 जुलाई 1928 को हुआ था. 1960 के दौर में उन्होंने जनसंघ के कार्यकर्ता के तौर पर शुरुआत की थी. जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे. आपातकाल के बाद 1977 में केशुभाई राजकोट से लोकसभा के लिए भी चुने गए थे. पटेल 1978 और 1995 के बीच कलावाड़, गोंडल और विशावादार से विधानसभा चुनाव जीते.
1980 में जब जनसंघ पार्टी को भंग कर दिया गया तो वे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ आयोजक बने. उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव अभियान शुरू किया. उनके नेतृत्व में 1995 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी.
केशुभाई पटेल अपने दोनों मुख्यमंत्री का कार्यकाल का टर्म पूरा नहीं कर सके थे. 1995 और 1998 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. पहली बार मुख्यमंत्री चुने जाने के 7 माह बाद ही शंकरसिंह वाघेला के साथ हुए विवाद के कारण उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा.
इसके बाद 1998 में उन्हें फिर से मुख्यमंत्री का पद मिला लेकिन 2001 में उन्होंने पद छोड़ दिया. भ्रष्टाचार और भुज में आए भूकंप के दौरान कुप्रबंधन के चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. 2001 में उनकी जगह नरेंद्र मोदी ने सीएम पद की शपथ ली.
पीएम मोदी पटेल को अपना राजनीतिक गुरू भी मनाते हैं. पीएम बनने पर मोदी ने कहा था कि गुजरात की असल कमान केशुभाई के हाथ में ही है. पीएम ने लंबे समय तक केशुभाई के साथ काम किया. अक्सर पीएम मोदी केशुभाई का आशिर्वाद लेने भी जाते थे.