जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को हरिद्वार में हुई एक धर्म संसद में संतों द्वारा कथित रूप से हिंसा की बात करने को लेकर प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि महात्मा गांधी के देश में उनकी (संतों की) हिंसा वाली भाषा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि संतों ने जिस तरह से हिंसा की भाषा का इस्तेमाल किया है वह भारत की संस्कृति के खिलाफ है और अस्वीकार्य है.
गहलोत ने कहा कि यह आश्यर्चजनक है कि नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री चुप हैं.
जयपुर के पास शिवदासपुरा में आयोजित कांग्रेस पार्टी के प्रशिक्षण कैंप के उद्घाटन सत्र में भाग लेने के बाद वरिष्ठ पार्टी नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘हरिद्वार में जो धर्म संसद हुई है वहां पर हमारे साधु-संतों, जिनका हम सम्मान करते हैं, ने धमकाने वाली और हिंसा वाली जिस भाषा का प्रयोग किया, वह हिंदुस्तान की संस्कृति, संस्कार के खिलाफ है.’
उन्होंने कहा कि ‘हमारे मुल्क में सदियों से, चाहें भगवान महावीर हों एवं बुद्ध हों, या फिर महात्मा गांधी, इन सभी ने सत्य की बात की, अहिंसा की बात की.’ उन्होंने कहा, ‘जिस मुल्क के महात्मा गांधी को लेकर दुनिया में अहिंसा दिवस मनाया जा रहा हो , उस मुल्क में हिंसा की बात साधु-संत करें, ये समझ के परे है, उसकी जितनी निंदा करें वह कम है. अगर हम सब मिलकर नहीं रहेंगे, तो देश कैसे अखंड रहेगा?’
गहलोत ने कहा, ‘चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो, ईसाई हो, जैन हो, पारसी हो, सबको मिलकर रहना ही पड़ेगा. ये कांग्रेस की भी सोच रही है. संविधान की मूल भावना भी यही है. उससे हटकर आप बात करने की हिम्मत कर रहे हो और कोई कार्रवाई नहीं हो रही है? प्रधानमंत्री चुप हैं, मुख्यमंत्री चुप हैं, गृहमंत्री कुछ बोल नहीं रहे हैं, कार्रवाई क्यों नहीं हो रहा है?’ मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस संक्रमण के बढते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार के दबाव में देश में आखिरकार बूस्टर डोज लगावाने की घोषण की.
उन्होंने कहा कि ‘मैं केन्द्र सरकार से डेढ़-दो महीने से कह रहा हूं कि दुनिया के कई मुल्कों में बूस्टर डोज लगनी शुरू हो गई है.हमने कल भी मांग की थी कि बच्चों को भी टीके लगे, बूस्टर डोज लगे.’
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