मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि श्रद्धालुओं की एक गैर राजनीतिक समिति को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एकत्र कोष के व्यय पर नजर रखनी चाहिए.
अयोध्या में भूमि खरीदने में कथित घोटाले के मामले के बीच यह मांग की गयी है, हालांकि राम मंदिर ट्रस्ट ने आरोपों से इनकार किया है. महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा के प्रदेश प्रमुख जयंत पाटिल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘राम भक्तों की एक गैर राजनीतिक समिति को मंदिर निर्माण के लिए कोष के खर्चे में पारदर्शिता बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए.’ वह शिवसेना और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प को लेकर एक सवाल पर जवाब दे रहे थे.
भाजपा कार्यकर्ता शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में भूमि खरीदारी के विवाद को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
राकांपा नेता ने कहा, ‘राम मंदिर की पवित्रता बनी रहनी चाहिए. सभी रामभक्तों का मानना है कि पूरी आस्था और विश्वास के साथ मंदिर का निर्माण होना चाहिए. भ्रष्टाचार के आरोप दिखाते हैं कि किस तरह भगवान का इस्तेमाल राजनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए किया गया.’
‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा गया कि अगर कांग्रेस अगला चुनाव अकेले लड़ना चाहती है तो, शिवसेना और राकांपा महाराष्ट्र के हित में एकजुट रहेगी. इस बारे में पूछे जाने पर पाटिल ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के तीनों दलों को एकजुट रहना चाहिए और साथ रहने पर ध्यान देना चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा, ‘सामना का कहना है कि राकांपा और शिवसेना को हाथ मिलाना होगा…ऐसा लगता है कि राज्य के लोग भी यही चाहते हैं.’
उन्होंने कहा कि शायद कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रही है और चुनाव आने पर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले संभवत: अपना मन बदल लेंगे.