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Wednesday, 29 January, 2025
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अमरावती के लिए अधिक फंड से लेकर ब्याज मुक्त कर्ज़ तक — नायडू और नीतीश की बजट इच्छा सूची में क्या-क्या है

अक्टूबर-नवंबर में राज्य में चुनाव होने हैं, ऐसे में बिहार का अनुरोध केंद्र के दिमाग में चल सकता है. पिछले साल विपक्ष ने बजट को ‘कुर्सी बचाओ’ की कवायद करार दिया था.

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नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश में पोलावरम और अमरावती प्रोजेक्ट के लिए अधिक फंड मांगने से लेकर बिहार के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय कोष का अनुरोध करने तक — तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल (यूनाइटेड) ने केंद्रीय बजट 2025 से पहले अपनी इच्छा सूची के साथ केंद्र से संपर्क किया है.

इससे भी ज़रूरी बात यह है कि केंद्रीय फंड के लिए बिहार की इच्छा पिछले साल के बजटीय अनुदान 58,900 करोड़ रुपये से लगभग दोगुनी है, जो राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए है, जहां वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सत्ता साझा करता है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्र के दिमाग में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव हो सकते हैं, बावजूद इसके कि पिछले साल के बजट की चौतरफा आलोचना की गई थी क्योंकि विपक्ष ने इसे ‘कुर्सी बचाओ’ की कवायद करार दिया था. टीडीपी और जेडी(यू) — भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े घटक दल — नरेंद्र मोदी सरकार की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं.

इस बीच, टीडीपी की इच्छा सूची में पिछड़े रायलसीमा क्षेत्र और दक्षिण तटीय जिलों में गोदावरी-कृष्णा नदी-लिंकिंग प्रोजेक्ट के लिए फंड, पांच कपड़ा क्लस्टरों के लिए समर्थन, साथ ही पोलावरम और अमरावती प्रोजेक्ट के लिए अधिक फंड शामिल है.

सीतारमण को लिखे 32 पृष्ठों के पत्र में बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने पूर्वी राज्य के लिए केंद्रीय फंड में 1.5 लाख करोड़ रुपये की मांग की. इस फंड में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 25,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज़, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के लिए 48,000 करोड़ रुपये का आवंटन और बाढ़ नियंत्रण के लिए 13,000 करोड़ का फंड रुपये शामिल हैं.

इसके अलावा, चौधरी ने केंद्र से राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के एक प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त कर्ज़ के लिए राज्य की उधारी बढ़ाने का भी अनुरोध किया — प्रत्येक राज्य के भीतर उद्योगों द्वारा जोड़े गए सभी मूल्य का योग — जब तक कि इसकी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत तक नहीं पहुंच जाती.

बिहार चाहता है कि 26 जिलों में खासकर उत्तरी क्षेत्र में, एक मजबूत जल निकासी प्रणाली के साथ-साथ सुचारू यातायात के लिए नए पुल और पुलिया का निर्माण हो. महानंदा, गंडक, कोसी, बागमती, कमला, बलान और बूढ़ी गंडक जैसी प्रमुख नदियों की मौजूदगी के कारण उस क्षेत्र में बाढ़ आम बात है.

जेडी (यू) के नेता ने दिप्रिंट को बताया, “नेपाल सरकार की सहमति से एक उच्च-बांध बनाने की योजना है. इससे गंडक, कोसी और कमला जैसी नदियों में हर साल आने वाली बाढ़ को नियंत्रित करना संभव होगा.”

पिछले साल, बजट में बिहार को बार-बार होने वाली बाढ़ से बचाने के लिए बाढ़ नियंत्रण उपायों के लिए 11,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.

बुनियादी ढांचे के मामले में चुनावी राज्य अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए हाई-स्पीड कॉरिडोर, एक्सप्रेसवे कॉरिडोर और नेपाल के पशुपतिनाथ को देवघर, झारखंड और बिहार के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाले 250 किलोमीटर के ग्रीन फील्ड रोड कॉरिडोर के निर्माण की मांग कर रहा है.

जदयू के एक नेता ने कहा, “बिहार दरभंगा हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप बनाना चाहता है और राजगीर और भागलपुर में भी ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे बनाने का प्रस्ताव है.”

पिछले साल, केंद्र ने सड़क संपर्क परियोजनाओं के विकास और बक्सर में गंगा पर एक अतिरिक्त दो लेन पुल के लिए 26,000 करोड़ रुपये के समर्थन की घोषणा की थी. सीतारमण ने यह भी कहा था कि भागलपुर जिले में 21,400 करोड़ रुपये की लागत से 2,400 मेगावाट का बिजली संयंत्र स्थापित किया जाएगा.

अब, राज्य ने सोलर पार्क बनाने के लिए प्रस्ताव मांगा है. पत्र में कहा गया है, “सौर ऊर्जा परियोजनाएं न केवल बिजली आपूर्ति में सुधार करेंगी बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होंगी और रोज़गार के नए मौके पैदा करेंगी. इस उद्देश्य के लिए 50-100 मेगावाट क्षमता वाला सोलर पार्क प्रस्तावित है. इसके लिए वर्तमान समय सीमा को वर्ष 2028 तक बढ़ाने का अनुरोध किया गया है. वर्तमान में दरभंगा और सुपौल में पानी पर तैरने वाले सोलर प्लांट की योजना पर काम चल रहा है.”

जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने दिप्रिंट से कहा, “सरकार बनने के बाद से ही केंद्र ने बाढ़ नियंत्रण और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने में बिहार की मदद की है. चूंकि, यह चुनावी साल है, इसलिए बिहार को लगातार विकास के पथ पर बने रहने के लिए अपने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए और अधिक प्रोत्साहन की ज़रूरत है.”

यहां तक ​​कि भाजपा के एक नेता ने भी इसी तरह की बात की और कहा कि विकास के लिए जोर पारंपरिक मुख्य क्षेत्रों में है. “चूंकि, हम विधानसभा चुनावों का सामना कर रहे हैं, इसलिए हम अपने संबंधित चुनावी क्षेत्रों में सद्भावना पैदा करने के लिए बिहार के लिए अधिक परिव्यय की अपेक्षा करते हैं. अगले महीने प्रधानमंत्री के बिहार आने की उम्मीद है.”

दक्षिणी राज्यों की इच्छा सूची

बिहार के अपने समकक्ष नीतीश कुमार के विपरीत, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पोलावरम सिंचाई परियोजना और अमरावती कैपिटल सिटी मास्टर प्लान को पूरा करने के साथ-साथ मौजूदा केंद्र सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र पर अधिक भरोसा कर रहे हैं.

दावोस से लौटते समय, नायडू ने सीतारमण से मिलने के लिए दिल्ली में रुके, जिनसे उन्होंने पोलावरम और अमरावती पर काम में तेज़ी लाने के लिए केंद्र की सहायता मांगी. टीडीपी प्रमुख ने विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के लिए 11,440 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी देने के लिए वित्त मंत्री को धन्यवाद दिया.

इससे पहले, आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री पय्यावुला केशव ने बजट से पहले राज्यों के साथ सीतारमण की अध्यक्षता में एक बैठक में केंद्र से नदी जोड़ने की परियोजनाओं को प्राथमिकता देने का आग्रह किया और राजस्थान को 11 नदियों को जोड़ने के लिए मिले समर्थन की तर्ज पर सहायता मांगी.

सड़कों, हवाईअड्डे और मेट्रो रेल सहित विभिन्न पीपीपी परियोजनाओं के लिए व्यवहार्यता अंतर निधि प्रदान करने के अलावा, दक्षिणी राज्य ने राज्य में बुनकरों के विशाल आधार को देखते हुए पांच कपड़ा क्लस्टरों की मांग की है.

पिछले साल के बजट में केंद्र ने नई ग्रीन फील्ड राजधानी अमरावती के विकास के लिए 15,000 करोड़ रुपये की विशेष सहायता प्रदान की थी और साथ ही दो औद्योगिक गलियारे और पोलावरम परियोजनाओं और मेट्रो कनेक्टिविटी के लिए 50,000 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की थी.

टीडीपी प्रवक्ता प्रोफेसर ज्योत्सना तिरुनगरी ने दिप्रिंट से कहा, “हम पिछले बार की तरह ही केंद्रीय बजट में भी उसी तरह के समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि राज्य पिछले पांच वर्षों में पिछड़ गया है. हम किसी विशेष परियोजना की मांग नहीं कर रहे हैं; हम राज्य के विकास में केंद्र सरकार से समग्र समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं.”

एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि टीडीपी का दृष्टिकोण अन्य दलों से अलग है. “हम केंद्रीय योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी के लिए जोर देते हैं और जैसा कि (टीडीपी मंत्री) नारा लोकेश ने कहा है, व्यापार करने की गति अधिक ज़रूरी है…नायडू ने हमारे सांसदों को हर हफ्ते हर केंद्रीय मंत्री से मिलने के लिए कहा है ताकि हमारी हिस्सेदारी के लिए दबाव बनाया जा सके और ऐसी योजनाओं का पता लगाया जा सके जहां हमें केंद्रीय सहायता मिल सकती है. इसलिए हमारा दृष्टिकोण केंद्र के दरवाज़े खटखटाने का 365 दिन का तरीका है…हमारा दृष्टिकोण समग्र है.”

पिछले सप्ताह राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के 20वें स्थापना दिवस समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि केंद्र ने केवल छह महीनों में आंध्र प्रदेश को लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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