scorecardresearch
Saturday, 2 November, 2024
होमराजनीतिशेहला रशीद ने राजनीति को कहा अलविदा, अगला नंबर शाह फैसल का हो सकता है

शेहला रशीद ने राजनीति को कहा अलविदा, अगला नंबर शाह फैसल का हो सकता है

जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद जम्मू एंड कश्मीर में बीडीसी चुनावों को लेकर पार्टी से बाहर जाने का कदम उठाया है, बोलीं- पार्टी मेरे लोगों के दमन को वैध ठहराने के लिए नहीं हो सकती.

Text Size:

श्रीनगर : जवारहलाल नेहरू विश्वविद्यालय की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद, जिन्होंने मार्च में पूर्व आईएएस अफसर शाह फैसल की पार्टी जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) ज्वाइन की थीं, बुधवार को चुनावी राजनीति से बाहर हो गईं. रशीद ने इस कदम के लिए उन्हें ‘मजबूर’ करने के लिए ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल चुनाव की घोषणा को जिम्मेदार  ठहराया.

रशीद ने कहा केंद्र दुनिया को इस चुनाव के जरिये राज्य में सामान्य सथिति दिखाने की कोशिश कर रहा था और वह ‘अपने लोगों की क्रूर दमन को वैध ठहराने में पार्टी नहीं बन सकतीं.’

आईएएस अफसर से राजनेता बने फैसल- जिन्हें मोदी सरकार द्वारा राज्य में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अगस्त के दूसरे सप्ताह से हिरासत में रखा गया है, ऐसी कयास है कि हाल ही में मुलाकात करने वाले अपने पार्टी सहयोगियों से उन्होंने पार्टी को भंग करने पर विचार करने की बात की थी.


यह भी पढ़ेंः श्रीनगर के डाउनटाउन निवासी सीआरपीएफ जवानों को किराए पर घर देने को तैयार नहीं


फैजल शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में हैं, जिसे राजनीतिक कैदियों के लिए एक छोटे से जेल में तब्दील कर दिया गया है. उनसे वहां मिलने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा फैजल ने उन्हें राजनीति में अपने करिअर पर फिर से विचार के लिए और इस समय सभी राजनीतिक गतिविधियां खत्म करने को कहा है.

जेकेपीएम के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि फैसल ने पार्टी को एक साथ भंग करने और इसको विदेशों में स्थानांतरित करने की संभावना के बारे में बात की थी.

वहीं फैजल ने जम्मू एंड कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद अपनी हिरसात से पहले बीबीसी से बातचीत में कहा था कि कश्मीर में एक राजनेता या तो कठपुतली या फिर अलगाववादी हो सकता है.

रशीद ने ट्विटर पर की घोषणा

शेहला रशीद, जो कि आर्मी पर प्रताड़ना के आरोप के कारण राजद्रोह का सामना कर रही हैं ने ट्विटर पर चुनावी राजनीति से बाहर होने के फैसले की जानकारी दी.

उन्होंने लिखा है, ‘भारत सरकार लोगों को ‘मुख्यधारा में शामिल होने’ का न्यौता देना जारी रखे हुए है. हालांकि, केंद्र की हरकतें अब, दशकों से, केवल लोगों को मुख्यधारा से बाहर करने का काम करती हैं. यदि मुख्यधारा में होने का मतलब है अपने लोगों हितों के बदले समझौता करना, तो कोई भी इस तरह की मुख्यधारा का हिस्सा नहीं हो सकता! अगर राज्य वाकई में जम्मू-कश्मीर के युवाओं को मुख्यधारा में शामिल करना चाहता है, तो उसे पहले यह दिखाना होगा कि वह न्याय देने में सक्षम है. मैं एक एक्टिविस्ट बनी रहूंगी और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती रहूंगी …’

370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा जेकेपीएम के साथ बने रहना

मंगलवार को रशीद ने दिप्रिंट को बताया कि उनका जेकेपीएम के साथ बने रहने का निर्णय ‘अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा.’ राशीद ने कहा, ‘निजी तौर पर मेरे लिए, अनुच्छेद 370 हटाने पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय मेरे चुनावी राजनीति का हिस्सा बने रहने को तय करेगा. मैं मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक हूं.’

उन्होंने आगे कहा कि राज्य से जबकि अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है उनका राजनीति का हिस्सा बने रहने का मतलब है कि सरकार के राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करने के फैसले को वैध ठहराना.

रशीद ने फैसल के राजनीति छोड़ने के योजना को लेकर लगाए जा रहे कयास पर दिप्रिंट से कहा, ‘मैं किसी की तरफ से कुछ नहीं कह सकती.’


यह भी पढ़ेंः पश्चिमी मीडिया के कुछ लोग श्रीनगर के पड़ोस को कश्मीर का ‘गाजा’ क्यों कहते हैं


‘जेकेपीएम कहीं नहीं जा रहा’

जेकेपीएम नेता उजैर रोंगा ने फैजल के राजनीति छोड़ने और पार्टी को भंग करने के कयासों को खारिज कर दिया है.
रोंगा ने कहा, ‘जेकेपीएम रुकने वाली नहीं है. हमने कश्मीर के लोगों से वादा किया है. 370 को हटाना बीजेपी के घोषणा पत्र का हिस्सा था, उन्होंने इसे किया. हमारा संकल्प है कि राजनीतिक तौर पर अनुच्छेद 370 को बहाल कराएंगे.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments