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Sunday, 12 May, 2024
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पश्चिमी मीडिया के कुछ लोग श्रीनगर के पड़ोस को कश्मीर का ‘गाजा’ क्यों कहते हैं

कश्मीर का सौरा मोदी सरकार के द्वारा ख़त्म किये गए अनुच्छेद 370 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गया है सुरक्षा बलों को प्रवेश करने से रोकने के लिए निवासियों ने बैरिकेड्स लगा दिए हैं.

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श्रीनगर: श्रीनगर के पास एक मोहल्ले में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बना हुआ है, यहां के निवासियों ने विरोध प्रदशर्न के लिए लकड़ी के लगभग 5-8 फीट लंबे टुकड़ें, लोहे के टुकड़े और पुराने टायर की मदद से बैरिकेड्स लगाए हैं.

सौरा के करीब आंचर के निवासियों ने इस जगह को पूरी तरह से आने और जाने के लिए नियंत्रित कर दिया है यह वही जगह है जो गृह मंत्रालय और बीबीसी के लिए विवाद का विषय बना हुआ है.

कुछ पश्चिमी मीडिया ने इस स्थान को ‘कश्मीर के गाजा‘ भी बताया है. गाजा पट्टी या गाजा एक क्षेत्र है, जिसे फिलिस्तीन में इजराइल की सीमा से सटे हमास द्वारा नियंत्रित किया जाता है. इस क्षेत्र का आर्थिक और राजनीतिक बहिष्कार किया गया है.

यहां पर मचे उत्पात के चलते बाहरी ही नहीं मीडिया के लोग भी इन्हें संदेह की दृष्टि से देखते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि ये लोग भारतीय एजेंसी के लिए काम करते हैं. इस गांव जिनकी आबादी लगभग 20,000 से 22,000 है के निवासी रातभर इसलिए जागते हैं और सतर्क रहते हैं कि कहीं सुरक्षाबल उनकी बैरिकेटिंग को न तोड़ दे.

वे दावा करते हैं कि सुरक्षा बलों ने पिछले सप्ताह कम से कम पांच या छह मौकों पर बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास किया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि जब से बीबीसी ने रिपोर्ट की है कि 9 अप्रैल को यहां बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ था. तब से सुरक्षा बलों ने यहां आक्रामक कदम उठाया था.

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बीबीसी ने अपनी छोटी सी रिपोर्ट में बताया था कि हजारों लोग सौरा में सड़कों पर उतर आए थे, अपने वीडियो में दावा किया कि सुरक्षा बलों प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए गोलीबारी भी की. केंद्र सरकार ने इससे इनकार किया. चैनल ने तब इस विरोध प्रदर्शन के पूरे फुटेज (गैर संपादित) को जारी किया, जो कि रिपोर्टिंग के कारण रुक गया था.

तब से इस क्षेत्र में कई प्रदर्शन हुए हैं.

‘बाहर से उठाये गए’

हालांकि, पहली बार हुए विरोध के दो सप्ताह बाद निवासियों को उनके घरों तक सीमित कर दिया गया है, आरोप है कि जब वे क्षेत्र से बाहर निकलते हैं, तो उन्हें सुरक्षा बलों द्वारा हिरासत में लिया जाता है.

विशेष रूप से उनमें से कई युवाओं का कहना है कि सुरक्षा बलों ने पहचान पत्र की जांच के बाद निवासियों को गिरफ्तार किया है, जिनके पते में आंचर लिखा है.

स्थानीय निवासी आदिल ने कहा कि पुलिस ने गिरफ्तारी करने के लिए पिछले दो हफ्तों में 10 बार ‘नागरिक बैरिकेड्स’ को तोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन इलाके के पुरुषों और महिलाओं के विरोध के बाद वे ऐसा करने में विफल रहे.

आदिल ने कहा, ‘यही कारण है कि वे हमें बाहर से गिरफ्तार कर रहे हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार सुरक्षा बलों ने पिछले पांच दिनों से हर रात इलाके में घुसने की कोशिश की है. वे आम तौर पर साढ़े बारह बजे और 4 बजे के बीच आते हैं. मुझे जो पता है उससे अब तक किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है.’

एक अन्य निवासी का कहना है कि पुलिस ने तीन स्थानों पर बैरिकेड्स को ‘तोड़ने’ का प्रयास किया था. हमने सभी आने और जाने के रास्ते को बंद कर दिया है, तीन नाकों पर पुलिस ने घुसने की कोशिश की. लेकिन, हमने उन्हें वापस भेज दिया.

एक युवक ने नाम न बताने कि शर्त पर कहा, ‘एक कुत्ते ने मुझे काट लिया है और मुझे इंजेक्शन की आवश्यकता है जो शहर के दूसरी छोर पर एक अस्पताल में उपलब्ध है, मुझे डर है कि अगर मैं आंचर से बाहर जाता हूं तो पकड़ा जाऊंगा. लेकिन मैं जल्द ही जाने का एक प्रयास करूंगा.’

जब दिप्रिंट जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के पास पहुंचा तो उन्होंने इस तरह के प्रतिबंधों के दावों से इनकार नहीं किया, लेकिन कहा हम स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रहे हैं.

कभी नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ था

यह विरोध उन दिनों से बहुत अलग है, जब आंचर सहित सौरा का इलाका 1980 के दशक के अंत तक नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) का गढ़ था. यह इलाका शहर के लाल चौक से उत्तर में लगभग 14 किमी दूर स्थित है और काफी समृद्ध है.

इस इलाके में ज्यादातर मध्यम और निम्न-मध्यम वर्गों के लोग हैं. यहां कि स्थानीय अर्थव्यवस्था श्रीनगर के सबसे बड़े अस्पताल शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के चारों ओर घूमती है, जो कि सौरा में स्थित है.

यहां के दवाख़ाना, भोजनालय, किराए पर रहने की जगह, परिवहन सभी शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पर निर्भर हैं. यहां के युवा कारीगर के काम में भी हैं और सौरा क्षेत्र को विभाजित करने वाले डल झील के कुछ हिस्सों में युवा काम करते हैं, यहां के निवासी कृषि में रोजगार पैदा करने में सक्षम हैं.

उनमें से कई डल क्षेत्र में देसी सब्जियों का भी व्यापार करते हैं.

1987 का ‘धांधली’ चुनाव

सौरा मुख्य धारा की राजनीति से पहली बार 1987 में दूर हुआ था. 1987 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के पक्ष में कथित रूप से ‘धांधली’ हुई थी. राज्य के इस क्षेत्र में जनमत संग्रह के पक्ष में लोगों की भावना जुड़ी हुई थी, जिसे 1975 के शेख-इंदिरा समझौते तक पूर्व नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख शेख अब्दुल्ला का भी समर्थन प्राप्त था.

सौरा का नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ एक पारिवारिक संबंध है-अब्दुल्ला मूल रूप से यहीं के हैं.

लेकिन, इस क्षेत्र ने 1987 के चुनावों में भी खुद को स्वीकार नहीं, जब तत्कालीन मुस्लिम संयुक्त मोर्चा या एमयूएफ ने नई दिल्ली में राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार पर फारूक अब्दुल्ला और उनके नेशनल कॉन्फ्रेंस के पक्ष में चुनावों में धांधली करने का आरोप लगाया.

सौरा को तब विभाजित किया गया था, जब 1989 में आतंकवाद शुरू हुआ था. लेकिन एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, असली बदलाव 90 के दशक के मध्य में आया था.

एक अधिकारी ने कहा, ‘1989 और 1996 के बीच क्षेत्र में अलगाववादी बड़े पैमाने पर बढ़े. हालांकि, चीजें 1996 में बदलना शुरू हुईं. डॉ कासिम फ़क़्तू, जो इसी क्षेत्र से थे, जेल में जाने के बाद उन्होंने बहुत लोकप्रियता हासिल की और उनकी पत्नी असिया अंद्राबी ने भी ऐसा ही किया. अधिकारी ने कहा कि विचारधारा के मामले में इस क्षेत्र ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

अधिकारी ने कहा, ‘आज वहां या क्षेत्र में कोई भी उग्रवादी कमांडर नहीं हो सकता है, लेकिन इस क्षेत्र ने हमेशा विद्रोहियों का स्वागत किया है.’

अधिकारी ने आगे कहा कि उग्रवाद के ख़त्म होने के बाद, प्रदर्शन और हिंसक झड़पों पर काबू पा लिया गया. विशेष रूप से 2008, 2009, 2010 और 2016 के हिंसक प्रदर्शन के दौरान.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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