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Saturday, 4 May, 2024
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हरियाणा के पूर्व CM हुड्डा ने खट्टर सरकार पर साधा निशाना, कहा – 9 सालों में एक के बाद एक स्कैम हुए

वरिष्ठ कांग्रेस नेता हुड्डा एक इंटरव्यू में राज्य में भाजपा सरकार, अगले साल होने वाले चुनाव, यमुना बाढ़ और राज्य की पार्टी इकाई के भीतर अंदरूनी कलह के बारे में खुलकर बताते हैं.

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नई दिल्ली: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा है कि नौ साल पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद से राज्य में “घोटाले पर घोटाले” हो रहे हैं – ये टिप्पणियां संसदीय और अगले साल हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आई हैं.

दिप्रिंट के साथ एक साक्षात्कार में हुड्डा जो कि एक जाट नेता हैं और साल 2005 से 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं, उन्होंने कहा कि जब उन्होंने नौ साल पहले अपना पद छोड़ा था, तो चीजें अलग थीं.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा,“हरियाणा प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश, रोजगार सृजन और खेल में नंबर एक रहा है. हमारे पास कानून और व्यवस्था थी जहां लोग सुरक्षित महसूस करते थे. किसानों को लाभकारी मूल्य मिला.” “लेकिन अब, इन नौ वर्षों में, लोग घोटाले पर घोटाले देख रहे हैं. हमने शराब घोटाले, खनन घोटाले, रजिस्ट्री घोटाले, पेपर लीक घोटाले, धान खरीद घोटाले (2020 में), भर्ती घोटाले और बहुत कुछ देखा. सरकार हर घोटाले के बाद नए सिरे से विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करती है लेकिन रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की जाती.’

नई दिल्ली में तालकटोरा रोड पर, अपने बेटे और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के आधिकारिक आवास पर दिप्रिंट से बात करते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री ने कई विषयों पर प्रकाश डाला – यमुना में बाढ़ से लेकर, हरियाणा में राजनीति की स्थिति और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से लेकर किसानों द्वारा बेहतर लाभकारी मूल्य की मांग करने तक.

पिछले हफ्ते दिल्ली और आसपास के इलाकों में आई बाढ़ के लिए हुड्डा ने हरियाणा सरकार के खराब प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया – यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार भाजपा सरकार के साथ कड़वे आरोप-प्रत्यारोप में लगी हुई है.

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यहां दिप्रिंट के साथ उनके साक्षात्कार के अंश दिए गए हैं.

हरियाणा चुनाव

हुड्डा ने अपने साक्षात्कार में कहा, कांग्रेस हरियाणा में अधिकांश संसदीय सीटें जीतेगी और 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद अगली सरकार बनाएगी.

हरियाणा में कुल 10 संसदीय और 90 विधानसभा सीटें हैं. जहां 2019 में बीजेपी ने सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की, वहीं पार्टी ने उसी साल कांग्रेस की 31 सीटों के मुकाबले 40 विधानसभा सीटें जीतीं. जननायक जनता पार्टी (जेजेपी), जिसने उस वर्ष चुनावी शुरुआत की थी और वर्तमान में राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, ने 10 सीटें जीतीं.

उन्होंने कहा कि भाजपा बड़े-बड़े वादों के दम पर 2014 में सत्ता में आई थी. “लेकिन अब, लोगों को एहसास हो गया है कि वे (भाजपा) बातें करते हैं लेकिन काम नहीं करते हैं. मुझे यकीन है कि हम इस बार हरियाणा से अधिकांश संसदीय सीटें जीतने जा रहे हैं.”


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उन्होंने कहा कि राज्य के लोग मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उनकी सरकार से “ऊब चुके” हैं.

“उन्होंने (भाजपा) बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन बाद में स्वीकार किया कि ये जुमले थे. लोगों ने मन बना लिया है. इस बार कांग्रेस राज्य में सरकार बनाएगी.”

वह राज्य जो कभी रोजगार में नंबर 1 था अब बेरोजगारी के स्तर में नंबर 1 है. पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर भाजपा सरकारों पर “युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़” करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि 2 लाख सरकारी पद खाली हैं, लेकिन इन्हें भरने के बजाय, सरकार ने युवाओं को अस्थायी आधार पर नियुक्त करने के लिए 2021 में संविदा कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक संगठन कौशल रोज़गार निगम लॉन्च किया.

हुड्डा ने 17.5 से 21 वर्ष के युवाओं के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की विवादास्पद अल्पकालिक सेना भर्ती योजना अग्निपथ योजना की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, हरियाणा से हजारों लोग सेना की नौकरियों के लिए कतार में हैं, लेकिन इस नीति का मतलब है कि सैनिकों को चार साल के भीतर घर वापस भेज दिया जाएगा.

उनके अनुसार खेलों को भी भाजपा सरकार की उदासीनता का एहसास हुआ है.

उन्होंने कहा, 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में राज्य के खिलाड़ियों ने कुल 38 पदकों में से 22 पदक जीते. “लेकिन अब, पूरी दुनिया ने देखा है कि इस सरकार ने हमारे खिलाड़ियों (पहलवानों) के साथ कितना बुरा व्यवहार किया है.”

कांग्रेस में अंदरूनी कलह और पार्टी का सीएम चेहरा

पूर्व सीएम ने राज्य में कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व के भीतर अंदरूनी कलह की रिपोर्टों के भी बारे में बात की. मीडिया रिपोर्टों ने बार-बार हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी शैलजा, तोशाम विधायक और पूर्व सीएलपी नेता किरण चौधरी और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला जैसे वरिष्ठ नेताओं के बीच सत्ता-संघर्ष को उजागर किया है.

हालांकि, हुड्डा ने ऐसी रिपोर्टों को “मीडिया निर्मित” कहकर खारिज कर दिया, और इसके बजाय भाजपा के भीतर दोषों की ओर इशारा किया.

उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए 2014 का एक उदाहरण का हवाला देते हुए पूछा, “क्या आपने कभी (वरिष्ठ भाजपा नेताओं) राव इंद्रजीत सिंह, चौधरी बीरेंद्र सिंह, राम बिलास शर्मा और मुख्यमंत्री खट्टर को एक मंच साझा करते देखा है.”

“2014 में (उस वर्ष चुनाव के बाद), मैंने राज्य विधानसभा में एक प्रश्न पूछा था. सीएम जवाब दे रहे थे, लेकिन एक के बाद एक मंत्री उन्हें टोकते रहे और ले खुद अपने जवाब देने की कोशिश करते रहे. जब सीएम ने अनिल विज को बैठने के लिए कहा तो उन्होंने बात मानने से इनकार कर दिया. भाजपा में एकजुटता की कमी है.”

यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस का सीएम चेहरा कौन होगा, हुड्डा ने कहा कि पार्टी के पास ऐसी चीजें तय करने की एक प्रक्रिया है.

उन्होंने कहा, कांग्रेस आलाकमान एक पर्यवेक्षक नियुक्त करता है जो राज्य के विधायकों से बात करने के बाद एक नाम आगे बढ़ाता है. “लोगों ने कर्नाटक में इस प्रक्रिया का पालन होते देखा है.”

लेकिन 2005 में क्या हुआ, जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता भजन लाल के समर्थन में अधिक विधायक होने के दावे के बावजूद उन्हें सीएम नियुक्त किया गया? हुड्डा ने इसका जवाब देते हुए कहा- यह सच नहीं है.

“जब मुझे 2005 में सीएम नियुक्त किया गया, तो पार्टी के पर्यवेक्षकों ने सभी विधायकों से मुलाकात की. जब (पूर्व मुख्यमंत्री) भजन लाल ने हार को भांपते हुए सीएलपी बैठक का बहिष्कार किया, तो 67 में से केवल 18 विधायक उनके साथ थे. और जब उन्होंने अंततः कांग्रेस छोड़ा, तो केवल 3 विधायक उनके साथ थे.

नाराज भजन लाल ने अंततः 2007 में कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस लॉन्च किया.

यमुना में बाढ़

पिछले हफ्ते न केवल दिल्ली-एनसीआर बल्कि हरियाणा के कुछ हिस्सों में आई बाढ़ के बारे में एक सवाल पर, हुड्डा ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि हरियाणा के यमुनानगर जिले में स्थित कंक्रीट बैराज हथिनी कुंड से इतनी बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया है. उन्होंने दिल्ली में आई बाढ़ के लिए बैराज से छोड़े गए पानी को आंशिक रूप से जिम्मेदार बताया.

इस महीने की शुरुआत में उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ के बाद हरियाणा के 22 में से 12 जिलों में बाढ़ आ गई है. इनमें से छह – यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, फ़रीदाबाद और पलवल – में यमुना का पानी बढ़ने के कारण बाढ़ आ गई.

अपने साक्षात्कार में, हुड्डा ने कहा कि 2006 में, इस बैराज से आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था – जो कि इस बार छोड़े गए पानी की मात्रा से दोगुना था. उन्होंने कहा, लेकिन तब बाढ़ नहीं आई थी क्योंकि इसका प्रबंधन बेहतर तरीके से किया गया था.

उन्होंने इस स्थिति के लिए सरकारी उदासीनता को भी जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पिछले सप्ताह राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों के दौरे के वक्त उन्होंने पाया कि कई पंचायतों ने नालों की सफाई के लिए याचिका दायर की थी. “लेकिन (राज्य) सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया.”

MSP पर

हुड्डा ने किसानों के लिए बेहतर लाभकारी मूल्य लागू करने के बारे में भी बात की – जो राज्य में एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है. किसान स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने और बेहतर एमएसपी – कुछ कृषि उत्पादों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य – देने की मांग कर रहे हैं.

2004 में तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) द्वारा स्थापित आठ सदस्यीय राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के रूप में प्रसिद्ध एग्रीकल्चर प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन को कृषि सुधारों की सिफारिश करने का दायित्व सौंपा गया था. पैनल ने दिसंबर 2004 और अक्टूबर 2006 के बीच पांच रिपोर्ट प्रस्तुत कीं.

इंटरव्यू में, जब हुड्डा से हरियाणा भाजपा प्रमुख ओ.पी. धनखड़ के उन आरोपों के बारे में पूछा गया कि उनकी सरकार ने सिफारिशों को लागू नहीं किया है, तो उन्होंने कहा कि यह भाजपा ही है जो 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे से पीछे हट रही है.

वह मोदी के इस वादे की बात कर रहे थे जिसमें उन्होंने कृषि आय को दोगुनी करने की बात कही थी.

उनके मुताबिक पिछली यूपीए सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट को चरणबद्ध तरीके से लागू कर रही थी. उन्होंने कहा, “सिफारिशों में से एक किसानों को कर्ज मुक्त बनाना था.” “मेरी पहल पर, पूरे देश में किसानों के ऋण पर ब्याज दर 14 प्रतिशत से घटाकर केवल 4 प्रतिशत कर दी गई. हरियाणा में मैंने यह सुनिश्चित किया कि किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिले.”

उन्होंने कहा कि अगर भाजपा सरकार ने स्वामीनाथन रिपोर्ट को सही भावना से लागू किया होता तो किसानों को कृषि कार्यों के लिए कर्ज़ की जरूरत नहीं पड़ती.

उनके अनुसार, एक मुद्दा, अब उपयोग किए जाने वाले A2+FL बेसिस के बजाय C2 फॉर्मूले का उपयोग करके एमएसपी की गणना करना है. अभी उपयोग किया जाने वाला A2+FL फॉर्मूला उन सभी भुगतान किए गए इनपुट लागतों (A2) को शामिल करता है जो किसान बीज, उर्वरक, कीटनाशकों, किराये के श्रम, पट्टे पर दी गई भूमि, ईंधन और सिंचाई पर खर्च करते हैं और इसके साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम (FL) को भी इसमें जोड़ता है.

हालांकि, किसानों का कहना है कि इस फॉर्मूले से मिलने वाली एमएसपी, स्वामीनाथन पैनल द्वारा सिफारिश किए गए C2 फॉर्मूले का उपयोग करके मिलने वाली एमएसपी से काफी कम है. अक्सर गणना की एक अधिक व्यापक प्रणाली के रूप में देखा जाने वाला C2 फॉर्मूला, A2+FL रेट के ऊपर भूमि और मशीनरी पर न दिए जाने वाले किराए और ब्याज को शामिल करता है.

यह पूछे जाने पर कि हरियाणा की कांग्रेस इकाई को इस महीने की शुरुआत में पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की राज्य यात्रा के बारे में क्यों नहीं पता था, हुड्डा ने कहा कि राहुल गांधी के काम करने का एक तरीका है.

कथित तौर पर राहुल ने किसानों से बात करने के लिए हरियाणा के सोनीपत के एक गांव की यात्रा की थी और उनके साथ धान रोपते हुए तस्वीर भी खींची थी.

हुड्डा ने जून में अमेरिकी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, “उन्हें (राहुल) लोगों से मिलना और उनके मुद्दों को जानना पसंद है. उन्होंने मैकेनिकों से मुलाकात की, धान के खेतों में गए और यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका में ट्रक ड्राइवरों से भी मुलाकात की,”.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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