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Friday, 19 April, 2024
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योगी की नई सरकार में पूर्व सिविल सेवकों को जगह, जातीय संतुलन साधने में दिखी मोदी-शाह की छाप

उत्तर प्रदेश में कुल 52 नेताओं ने मंत्री के तौर पर शपथ ली है, जिनमें दो उपमुख्यमंत्री, 16 कैबिनेट मंत्री और 34 राज्य मंत्री शामिल हैं.

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नई दिल्ली/लखनऊ: योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लखनऊ में एक भव्य समारोह में लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कई अन्य मुख्यमंत्रियों समेत भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और अन्य प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं.

यूपी में दो उपमुख्यमंत्रियों (केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक), 16 कैबिनेट मंत्रियों और 34 राज्य मंत्रियों सहित कुल 52 नेताओं ने बतौर मंत्री शपथ ली है. एक मुस्लिम चेहरे को भी मंत्रिपरिषद में जगह मिली है.

नई कैबिनेट में पिछली सरकार में मंत्री रहे करीब 20 नेताओं को जगह नहीं मिली है. 11 पूर्व मंत्री विधानसभा चुनाव हार गए थे.

49 वर्षीय मुख्यमंत्री के नए मंत्रिमंडल में मोदी-शाह की स्पष्ट छाप नजर आ रही है. इसमें और ज्यादा पूर्व सिविल सेवकों को और युवा चेहरों को जगह मिली है. साथ ही क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने और 2024 की रणनीति के अलावा अगले 15 सालों में नया नेतृत्व विकसित करने के उद्देश्य से जातीय संतुलन भी पूरी तरह साधा गया है.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, 10 मार्च को चुनाव परिणाम घोषित होने—जिसमें बीजेपी ने 403 सदस्यीय विधानसभा में आसानी से बहुमत हासिल कर लिया था—के बाद ही राष्ट्रीय राजधानी में अपनी बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को इसकी रूपरेखा बता दी थी.

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दिल्ली की स्पष्ट छाप

उत्तर प्रदेश कैबिनेट की शुक्रवार को घोषित सूची में केंद्रीय भाजपा हाईकमान की मुहर साफ नजर आ रही है.

गुजरात सीएमओ में मोदी के प्रधान सचिव रह चुके और फिर पीएमओ में अतिरिक्त सचिव बने ए.के. शर्मा को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया जाना लगभग तय ही था. अप्रैल 2020 में उन्हें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में सचिव नियुक्त किया गया था. उन्होंने बीजेपी में शामिल होने के लिए पिछले साल समय पूर्व सेवानिवृत्ति ले ली थी. उन्हें पहले एमएलसी और फिर प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष बनाया गया.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, ‘पहले दिन से हमें पता है कि ए.के. शर्मा प्रधानमंत्री के विश्वस्त हैं. योगी पिछली बार उन्हें कैबिनेट में जगह देने को तैयार नहीं थे लेकिन इस बार दिल्ली ने मुख्यमंत्री के साथ परामर्श से पूरी कैबिनेट तय की है.’

सूत्रों ने कहा, ‘न केवल प्रचार और उम्मीदवारों के चयन के दौरान बल्कि मंत्रियों को चुनने में भी अमित शाह की सक्रिय भागीदारी बढ़ी है. शासन में दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से असीम अरुण भी दिल्ली की ही पसंद हैं.’

पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण, जो कानपुर के पुलिस आयुक्त रहे थे उनको आदित्यनाथ कैबिनेट में एक और जाटव चेहरे के तौर पर शामिल किया गया है. उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है.

प्रधानमंत्री मोदी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई सेवानिवृत्त सिविल सेवक मंत्री के तौर पर काम करते हैं जिनमें एस. जयशंकर, हरदीप सिंह पुरी (पूर्व राजनयिक), अश्विनी वैष्णव और आर.के. सिंह आदि शामिल हैं.


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ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य और स्वतंत्र देव सिंह को मिली जगह

मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से जाटवों के छिटकने और बीजेपी का समर्थन करने के मद्देनजर बेबी रानी मौर्य को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल करना स्पष्ट तौर पर केंद्रीय नेतृत्व का निर्णय नजर आता है. इस बार भाजपा गठबंधन के 19 जाटव विधायक जीते हैं.

चुनाव से पहले, प्रधानमंत्री मोदी के सुझाव पर ही बेबी रानी मौर्य को उत्तर प्रदेश की दलित राजधानी आगरा से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने को कहा गया था.

भाजपा आलाकमान ने सिराथू से विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य को फिर डिप्टी सीएम के तौर पर शामिल किया है क्योंकि वह राज्य में पार्टी का एक प्रमुख ओबीसी चेहरा हैं. यह कदम बतौर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 2014-20 के कार्यकाल के दौरान गठबंधन के सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के प्रयास की अगली कड़ी नजर आता है.

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी चुनावी हार को नैतिक हार से ज्यादा अहम मानते हैं. इसी वजह से पुष्कर सिंह धामी भी उत्तराखंड में अपना मुख्यमंत्री पद बरकरार रख पाए हैं.

यूपी की राजनीति में मौर्यों की अच्छी-खासी (5-6 फीसदी) तादात है और चुनाव में इस समुदाय के 12 विधायक जीते हैं. हालांकि, मौर्य-सैनी बहुल पूर्वी यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) ने बेहतर प्रदर्शन किया है. यह देखते हुए कि यादव ने राज्य में विपक्ष की भूमिका पर सक्रियता से ध्यान केंद्रित करने के लिए लोकसभा छोड़ दी है, बीजेपी आलाकमान अपने ओबीसी चेहरों को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता है.

एक कुर्मी ओबीसी चेहरा स्वतंत्र देव सिंह—जिन्हें केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चुना गया था और बीजेपी संगठन में उनकी मुख्यमंत्री के साथ अच्छी केमिस्ट्री है—को भी कैबिनेट मंत्री के पद से नवाजा गया है.


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महिलाएं, नए चेहरे और एक मुसलिम को भी जगह

चूंकि राज्य में बीजेपी की जीत में महिला मतदाताओं की एक बड़ी भूमिका रही है, इसलिए पार्टी ने कैबिनेट में चार महिला मंत्रियों को शामिल किया है—बेबी रानी मौर्या, विजय लक्ष्मी गौतम, प्रतिभा शुक्ला और रजनी तिवारी.

आगरा दक्षिण से जीतकर तीसरी बार विधायक बने योगेंद्र उपाध्याय, जो ब्राह्मण हैं और पिछली विधानसभा में मुख्य सचेतक थे, को एक ब्राह्मण चेहरे की जरूरत को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट मंत्री के तौर पर पदोन्नत किया गया है.

पिछली विधानसभा में उपाध्यक्ष चुने गए लोकप्रिय वैश्य नेता नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल बीजेपी को अपने पिता के समर्थन की वजह से राज्य मंत्री का दर्जा पाने में सफल रहे हैं.

एक राजपूत चेहरा और बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को भी मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है. उनसे अलग हो चुकीं पत्नी स्वाति सिंह पहले आदित्यनाथ सरकार में मंत्री थीं.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एमटेक करने वाले बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और पश्चिमी यूपी—जहां किसान आंदोलन के बावजूद पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया—के प्रभारी जे.पी.एस. राठौर मंत्रिपरिषद में एक और नया चेहरा हैं.

अपना दल नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल को कैबिनेट में गठबंधन सहयोगी उम्मीदवार के तौर पर जगह मिली है.

दानिश आजाद अंसारी राज्य में अकेले मुस्लिम चेहरे के तौर पर योगी आदित्यनाथ कैबिनेट का हिस्सा बने हैं. उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है. 32 वर्षीय अंसारी 2011 से भाजपा से जुड़े हैं. वह लखनऊ यूनिवर्सिटी से वाणिज्य स्नातक हैं. बलिया के इस नेता ने मोहसिन रजा की जगह ली है, जो पिछली मंत्रिपरिषद में एकमात्र मुस्लिम चेहरा थे.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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