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Friday, 22 November, 2024
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ड्रग्स और गड्ढों को भूल जाइए धर्म संसद को होस्ट करने वाले हरिद्वार के संतों ने कहा ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ चुनावी मुद्दा है

जब दिप्रिंट ने हरिद्वार असेम्बली चुनाव क्षेत्र का दौरा किया- जो हरिद्वार लोकसभा सीट के अंतर्गत 11 सीटों में से एक है- तो कई साधुओं ने दावा किया कि ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ के चलते, उनके हितों की अनदेखी की जा रही है.

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हरिद्वार: ऐसा लगता है कि पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार की ‘धर्म संसद’ में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ दिए गए भड़काऊ भाषण अगले हफ्ते होने जा रहे उत्तराखंड असेम्बली चुनावों से पहले, विकास और स्थानीय साधुओं में ड्रग्स के ख़तरे के मुद्दों पर हावी हो गए हैं.

जब दिप्रिंट ने हरिद्वार असेम्बली चुनाव क्षेत्र का दौरा किया- जो हरिद्वार लोकसभा सीट के अंतर्गत 11 सीटों में से एक है- तो कई साधुओं ने दावा किया कि ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ के चलते, उनके हितों की अनदेखी की जा रही है.

उन्होंने कहा कि उन्हें विकास जैसे मुद्दों की चिंता है, लेकिन ये भी स्पष्ट किया कि उनके लिए धर्म ज़्यादा बड़ी प्राथमिकता है.

एक साधु अधीर कौशिक ने कहा, ‘हम अपने चुनाव क्षेत्र में विकास चाहते हैं और जहां तक चुनावों का सवाल है, वो हमारे लिए एक बड़ा मुद्दा है. लेकिन डेवलपमेंट तो तब काम आएगी जब हम ज़िंदा होंगे. जिस तरह से देश में जिहादी तत्व बढ़ रहे हैं, वो एक चिंता का विषय है. तुष्टिकरण की इस राजनीति को रोकने की आवश्यकता है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘क्षेत्र में ड्रग की समस्या के कारण, युवा और परिवार सबसे अधिक प्रभावित हैं. धर्म नगरी में ऐसा हाल है. उत्तर प्रदेश को देखिए कैसे योगी (आदित्यनाथ) साहसिक फैसले ले रहे हैं. लेकिन यहां हम नए-नए मदरसे और मज़ार बना रहे हैं. आप किस दिशा में काम कर रहे हैं?’

बीजेपी सरकार को लेकर साधुओं के बीच कुछ नाराज़गी ज़रूर है, लेकिन उनकी भावनाएं राज्य में पार्टी द्वारा आगे बढ़ाए जा रहे नैरेटिव में फिट बैठ रही हैं. मसलन, इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्चुअल रैली के दौरान, ‘तुष्टिकरण’ के आरोपों को लेकर उन्होंने विपक्षी कांग्रेस पर निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ‘अब कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड में तुष्टिकरण की राजनीति का ज़हर घोलने की कोशिश कर रही है. यूनिवर्सिटी के नाम पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं की तुष्टिकरण की राजनीति करने की कोशिश, उत्तराखंड के लोगों की आंखें खोलने के लिए काफी है’.

हरिद्वार के एक आश्रम में गाय को खाना खिलाते बाबा हठयोगी | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

बीजेपी के तुष्टिकरण के आरोपों में, उत्तराखंड कांग्रेस उपाध्यक्ष अक़ील अहमद के इस दावे के बाद और जान पड़ गई है कि पार्टी नेता हरीश रावत ने उनसे राज्य में एक मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाने का ‘वादा’ किया है.

हालांकि, कांग्रेस और रावत दोनों ने इन दावों का खंडन किया है, लेकिन बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस कुछ चुनाव क्षेत्रों में, ‘मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण’ की कोशिश कर रही है. उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पार्टी पर बंटवारे की राजनीति करने का आरोप लगाया है.

अपने चुनावी घोषणापत्र में भी बीजेपी ने कई वादे किए हैं, जिनमें ‘लव जिहाद’ के खिलाफ ज़्यादा कड़े क़ानून, सभी तीर्थ-स्थलों को जोड़कर चार धाम परियोजना का विस्तार, हरिद्वार का अंतर्राष्ट्रीय योग राजधानी के रूप में परिवर्तन और वेदिक स्कूलों के लिए एक करोड़ रुपए का बजट आवंटन.

बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, हरिद्वार चुनाव क्षेत्र में लगभग 8,000-10,000 साधु हैं और क़रीब 1.4 लाख मतदाता हैं. अपना नाम छिपाने के इच्छुक इस नेता ने कहा, ‘मतदाताओं की हैसियत से इन साधुओं की संख्या भले बहुत अधिक न हो, लेकिन ये दूसरे मतदाताओं को प्रभावित करने में सहायक होते हैं’.

इस चुनाव क्षेत्र में, प्रदेश बीजेपी प्रमुख मदन कौशिक, कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी और आम आदमी पार्टी के संजय सैनी के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं.


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धर्म संसद की ‘नकारात्मक छवि’ पेश की गई

ये टिप्पणियां उसके कुछ हफ्ते बाद आई हैं, जब ग़ाज़ियाबाद के यति नरसिंहानंद की डासना हिंदू पीठ ने, हरिद्वार में एक विवादास्पद धार्मिक सभा या हिन्दू साधुओं की ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया.

दिसंबर 2021 में हुए इस समागम में हिस्सा ले रहे साधुओं ने कई नफरत भरे भाषण दिए, जिनमें ‘धर्म’ को बचाने के लिए हथियार उठाने और ‘ज़रूरत पड़ने पर’ मुसलमानों को मार डालने तक का आह्वान किया गया.

हरिद्वार में एक आश्रम में बैठे निवासियों और संतों का एक समूह | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

एक विशेष जांच टीम मामले की गहराई से जांच कर रही है. नरसिंहानंद को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन फिलहाल वो ज़मानत पर बाहर हैं.

उत्तराखंड बीजेपी प्रवक्ता रविंदर जुगरान ने कहा, ‘धर्म संसद में जो कुछ भी हुआ, सरकारी एजेंसियों ने स्थिति का जायज़ा लिया और कार्रवाई की. किसी की दख़लअंदाज़ी नहीं है. क़ानून अपना काम करेगा. जांच चल रही है और साधुओं को मज़बूती के साथ अपना पक्ष रखना चाहिए’.

स्वामी परमानंद हरिद्वार में एक आश्रम की ओर चलते हैं | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

हरिद्वार शहर के एक निवासी स्वामी परमानंद ने दावा किया कि मीडिया, ख़ासकर सोशल मीडिया ने धर्म संसद के दौरान साधुओं की एक नकारात्मक छवि पेश की.

उन्होंने आगे कहा, ‘अपनी कट-पेस्ट तकनीकों से उन्होंने हमारी एक नकारात्मक छवि पेश की. ग़ुस्से में कुछ शब्द कह दिए गए होंगे, लेकिन मंशा वो नहीं थी. हम किसी पार्टी के साथ नहीं हैं, लेकिन हम उनका समर्थन करते हैं जो हिन्दू परंपरा और संस्कृति को मज़बूत करने के लिए काम करते हैं’.

एक स्थानीय साधू बाबा हठ योगी ने कहा, ‘धर्म संसद के दौरान किसी संप्रदाय को निशाना नहीं बनाया गया. अगर संविधान के अनुसार हम उस समुदाय के खिलाफ वास्तव में कार्रवाई करें, तो उनमें से बहुत सारे सलाख़ों के पीछे होंगे. जो लोग ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ के नारे लगाते हैं, उन्हें कुछ नहीं होता, लेकिन हमारी आलोचना की जा रही है’.


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ड्रग्स और विकास

तुष्टिकरण का नैरेटिव कुछ दूसरे मुद्दों की अनदेखी करता है, जिन्हें लेकर हरिद्वार के निवासी चिंतित नज़र आते हैं, जिनमें ड्रग्स और विकास शामिल हैं.

‘स्मैक-मुक्त हरिद्वार’ नामक एक अभियान के एक सदस्य विकास प्रधान ने कहा, ‘हरिद्वार के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा ड्रग्स का ख़तरा है. आम जनता वास्तव में इससे प्रभावित है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘स्मैक गलियों में बेंची जा रही है और युवा लोग उसका उपभोग कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि जन-प्रतिनिधि इस मुद्दे पर ज़ोर दें. कुछ महीने पहले हमने हरिद्वार में स्मैक के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था (जिसमें बीजेपी और कांग्रेस समेत सभी पार्टियों के सदस्य शामिल थे)’.

हरिद्वार शहर में स्मैक एक बड़ा ख़तरा बन चुकी है, जहां पुलिस ने पिछले कुछ महीनों में कथित रूप से कई बरामदगियां की हैं.

कुछ निवासियों ने कहा कि ड्रग्स का ख़तरा उनके लिए एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के लिए नहीं है.

एक निवासी जेपी भदोनी ने कहा, ‘नशा सबसे बड़ी प्रॉब्लम है, लेकिन, किसी के लिए ये महत्वपूर्ण नहीं है. कोई इन मुद्दों के बारे में बात नहीं करना चाहता, चूंकि उन्हें हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर वोट मिल सकते हैं’.

लेकिन, जुगरान ने कहा ‘सरकार इस मुद्दे को लेकर बहुत गंभीर थी और उसने अतीत में कुछ सक्रिय क़दम उठाए हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हरिद्वार न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां सारी दुनिया से लोग आते हैं. इस ख़तरे को समाप्त करने के लिए हमें अपने विशेष अभियानों को मज़बूत करने की ज़रूरत है. हरिद्वार एक तीर्थ नगरी है जहां हर 50-100 मीटर पर कोई मठ या मंदिर है. इसलिए सरकार के साथ साथ सिविल सोसायटी को भी एकजुट होकर साथ-साथ लड़ने की ज़रूरत है.’

विकास एक और मुद्दा है जिसकी यहां के निवासियों में अंदर तक गूंज सुनाई पड़ती है, जो गड्ढों की शिकायत करते हैं और आरोप लगाते हैं कि शहर का रख-रखाव बहुत ख़राब है और अनुपचारित सीवेज से गंगा प्रदूषित हो रही है.

भदोनी ने कहा, ‘भ्रष्टाचार शहर में एक बड़ा मुद्दा है. हम ख़राब सड़कों और प्रदूषित गंगा के मुद्दे उठाते आ रहे हैं, लेकिन लगता है किसी के कानों पर जूं नहीं रेंगती. आम लोग भी इन मुद्दों को उठा-उठाकर थक जाते हैं, क्योंकि कोई ख़ास काम नहीं होता’.

हरिद्वार के ही एक और निवासी सुशांत पाल ने आगे कहा, ‘ड्रग्स का ख़तरा और बेरोज़गारी प्रमुख मुद्दे हैं, जिन्हें तुरंत सरकार की तवज्जो की ज़रूरत है.’

लेकिन साधु अधीर कौशिक का दावा था कि ‘जब हम वोट करते हैं तो हम धर्म और राष्ट्रवाद के मुद्दों से निर्देशित होते हैं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हरिद्वार का विकास भी महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके पवित्र चरित्र से कोई समझौता किए बिना’.

एक वरिष्ठ बीजेपी पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी साधु समुदाय के समर्थन को लेकर आश्वस्त है. पदाधिकारी ने आगे कहा, ‘संत समाज ने हमेशा हमारा समर्थन किया है और हमें विश्वास है कि हमें उनका आशीर्वाद मिलेगा. आज के परिदृश्य में तुष्टिकरण और राष्ट्रवाद के मुद्दे कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं. हमें पहले उन पर फोकस करने की ज़रूरत है और हम उन्हीं को उजागर कर रहे हैं’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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