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Saturday, 2 November, 2024
होमराजनीतिभाजपा के लिए राष्ट्रीय ध्वज और 'पाकिस्तान-चीन परस्त' के बीच की लड़ाई है जम्मू-कश्मीर के स्थानीय चुनाव

भाजपा के लिए राष्ट्रीय ध्वज और ‘पाकिस्तान-चीन परस्त’ के बीच की लड़ाई है जम्मू-कश्मीर के स्थानीय चुनाव

केंद्र शासित प्रदेश से हाल ही में लौटे तरुण चुग ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में तिरंगा कौन उठाएगा और कौन इसकी रक्षा नहीं करेगा, लड़ाई इसके बीच है.'

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के जिला विकास परिषद (डीडीसी) के लिए होने वाले महत्वपूर्ण चुनाव में जिसमें 20 जिलों के लिए 280 सदस्यों को चुना जाएगा- भाजपा का चुनाव प्रचार तिरंगे (राष्ट्रीय ध्वज) के आसपास ही रहेगा. डीडीसी के चुनाव 28 नवंबर से 19 दिसंबर के बीच होंगे.

नव-नियुक्त भाजपा के महासचिव तरुण चुग जिन्हें राम माधव की जगह जम्मू-कश्मीर का प्रभार दिया गया है, उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि पार्टी की ओर से उम्मीदवार ‘कौन तिरंगा ढोएगा ‘ और घाटी में राष्ट्रीय ध्वज के रखवाले की लाइन पर ही अपना चुनाव अभियान करेंगे.

केंद्र शासित प्रदेश से हाल ही में लौटे चुग ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में तिरंगा कौन उठाएगा और कौन इसकी रक्षा नहीं करेगा, लड़ाई इसके बीच है. पीडीपी के नेता खुलेआम कहते हैं कि जब तक अनुच्छेद-370 वापस नहीं आएगा वो राष्ट्रीय ध्वज नहीं लहराएंगे’.

उन्होंने कहा, ‘वो अनुच्छेद-370 की वापसी के लिए चीन और पाकिस्तान के समर्थन की ओर देख रहे हैं. लड़ाई राष्ट्रवादी ताकतों और जम्मू-कश्मीर में उपद्रव करना चाहते हैं, के बीच है. साथ ही जो उनके बीच भी है जो सामान्य हालत नहीं चाहते हैं. यह बेहद स्पेशल चुनाव है जहां एक तरफ भाजपा राष्ट्रीय ध्वज के लिए लड़ रही है वहीं दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान परस्त हैं.’

चुग ने ये भी दावा किया कि राज्य में गुपकर अलायंस के खिलाफ माहौल है. गुपकर अलायंस क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन है जिसमें नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में घूमते हुए हमने देखा कि लोग बदलाव चाहते हैं. लोगों ने अब्दुल्ला और महबूबा को देख लिया है और उस दौर में उनकी संपत्ति में इजाफे को देखा है.’ उन्होंने कहा, ‘गुपकर के साथ जाकर कांग्रेस ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है. मुझे एक बात बताइए कि अगर वो मजबूत हैं तो गठबंधन क्यों कर रहे हैं और बाहर से मदद क्यों मांग रहे हैं. ये उनकी घबराहट को दिखाता है.’

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांटे जाने के बाद ये वहां पहला चुनाव है इसलिए भाजपा सारे दांव लगा रही है.

गृह मंत्री अमित शाह ने गुपकर अलायंस को ‘गुपकर गैंग’ कहकर एक टोन सेट कर दिया है.

17 नवबंर को एक ट्वीट कर उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और आगे भी रहेगा. भारत के लोग अब राष्ट्र के हित के खिलाफ एक ‘ग्लोबल गठबंधन’ को बर्दाश्त नहीं करेंगे. गुपकर गैंग या तो देश के मूड के साथ खुद को मिला लें नहीं तो लोग उन्हें डूबा देंगे.’

चुग के अलावा पार्टी ने हिमाचल प्रदेश के प्रभारी अविनाश राय खन्ना, दिल्ली भाजपा के नेता आशीष सूद और केंद्र मंत्री अनुराग ठाकुर को भी चुनाव प्रक्रिया को देखने के लिए नियुक्त किया है.

अन्य नेता जो प्रचार के लिए जा सकते हैं उनमें केंद्र मंत्री जितेंद्र सिंह, स्मृति ईरानी, प्रताप सारंगी, मुख्तार अब्बास नकवी, वीके सिंह और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हैं.


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भाजपा की दोनों तरफ से ‘जीत’

भाजपा के लिए चुनाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे पूर्ववर्ती राज्य में सामान्य स्थिति की वापसी और अनुच्छेद-370 के निरस्त होने पर एक तरह से जनमत संग्रह का संकेत देते हैं.

जम्मू-कश्मीर भाजपा के उपाध्यक्ष ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी चाहे हारे या जीते, ये मोदी सरकार की जीत होगी.

नाम न बताने की शर्त पर भाजपा नेता ने कहा, ‘हम जम्मू क्षेत्र में मजबूत हैं जहां आधी सीटें हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि वहां हमारा प्रदर्शन अच्छा होगा.’ उन्होंने कहा, ‘अगर दोनों क्षेत्रों में हमारा प्रदर्शन अच्छा रहा तो जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में ये नई शुरुआत होगी. ये गुपकर अलायंस का भी अंत होगा. हालांकि अगर उन्हें सत्ता मिली और उनकी अच्छी सीटें आईं, खासकर नेशनल कांफ्रेंस की तो ये लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत होगी जो कि केंद्रशासित प्रदेश के लिए मोदी सरकार की सोच है. ये स्थिति के सामान्य होने का संकेत और अनुच्छेद-370 के बाद लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली की शुरुआत होगी.’

भाजपा के संगठन महासचिव अशोक कौल ने दिप्रिंट से कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग विकास चाहते हैं. कौल ने कहा, ‘केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद स्थिति सामान्य करने और विकास के लिए यहां लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. बीते एक साल में चीजे बदली हैं. लोग आतंकवाद से डरते हैं और ये चुनाव लोगों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति विश्वास बढ़ाएगा.’

पिछले साल ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल चुनाव के पहले टियर में भाजपा ने जम्मू में 148 में से 52 सीटें जीती थीं. घाटी की 128 सीटों में से भाजपा ने 18 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 109 सीटें जीतीं और कांग्रेस ने 1 सीट. हालांकि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था.

नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि भाजपा को ये नहीं मानना चाहिए कि उन्हें बढ़त है. ‘भाजपा बीडीसी चुनाव की तरह वॉकओवर की उम्मीद कर रही है जिसमें मुख्य राजनीतिक पार्टियों ने हिस्सा नहीं लिया था. लेकिन इस बार पार्टियां प्रचार कर रही हैं.’

भाजपा के जम्मू-कश्मीर में सह-प्रभारी आशीष सूद ने नेशनल कांफ्रेंस के दावों को खारिज किया. सूद ने कहा, ‘यहां भाजपा के प्रदर्शन की बात नहीं है बल्कि एनसी और पीडीपी के कैडर के बीच खुद तनातनी है. दोनों पार्टियां अरसे तक अलग-अलग लड़ी जिस कारण ये गठबंधन अस्थिर है.’

उन्होंने कहा, ‘दूसरा कारण जो भाजपा की मदद करेगा वो ये है कि दोनों की विश्वसनीयता जा चुकी है. लोग जानना चाहते हैं कि दोनों ने बीते छह दशकों में क्या किया.’

सूद ने कहा कि पार्टियों को समय के साथ अपना कथानक बदलना होगा. उन्होंने कहा, ‘चुनाव प्रक्रिया में शामिल न होना आत्महत्या की तरह होगा. हमने उन्हें इसमें शामिल होने पर मजबूर कर दिया. अभी या बाद में उन्हें प्रासंगिक बने रहने के लिए अपना कथानक बदलना ही होगा. ये भी भाजपा की ही जीत होगी.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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