नई दिल्ली: कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के विरोध के बीच सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल एवं गैर सरकारी कामकाज के निलंबन से जुड़ा प्रस्ताव सोमवार को लोकसभा में रखा जिसे निचले सदन ने मंजूरी प्रदान कर दी.
विपक्षी दलों ने प्रश्नकाल के निलंबन का विरोध किया और सरकार पर सवालों से बचने का आरोप लगाया जिस पर सरकार ने कहा कि यह असाधारण परिस्थिति है जिसमें राजनीतिक दलों को सहयोग करना चाहिए.
संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत 14 सितंबर को हो गई है. कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए इस सत्र में सदन में कई बदलाव किए गए हैं. लोकसभा और राज्यसभा की कार्रवाई इस बार अलग-अलग समय पर आयोजित की जा रही हैं. मानसून सत्र कोविड से बचाव के सारे सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर आयोजित किया जा रहा है.यह सत्र 18 दिनों तक चलेगा.
रवि किशन ने उठाया ड्रग्स का मामला
इसी बीच भाजपा सांसद रवि किशन ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जारी जांच और ड्रग्स का मामला भी सदन में जोर-शोर से उठाया गया.
रवि किशन ने कहा, ‘देश में नशीले पदार्थों की तस्करी और नशे की लत की समस्या बढ़ रही है. देश के युवाओं को नष्ट करने के लिए षड्यंत्र रचे जा रहे हैं.इसमें हमारे पड़ोसी देश भी शामिल हैं.पाकिस्तान और चीन से ड्रग्स की तस्करी हो रही है, यह नशा पंजाब और नेपाल के रास्ते भारत लाया जा रहा है.’
रवि किशन ने फिल्म इंडस्ट्री को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा,’ड्रग की लत फिल्म इंडस्ट्री में भी है. कई लोगों को पकड़ा गया है, एनसीबी बहुत अच्छा काम कर रही है. मैं केंद्र सरकार से सख्त कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं.’
रवि किशन ने कहा, मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह दोषियों को जल्द गिरफ्तार कर, सजा देने के साथ-साथ, पड़ोसी देशों की साजिश का अंत करने की ओर कदम बढाए.’
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प्रश्नकाल को लेकर लोकसभा में मचा हंगामा
लोकसभा में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रश्नकाल संसद प्रणाली में होना बहुत जरूरी है. प्रश्नकाल ‘संसद की आत्मा’ है. इसे हटाकर लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश की जा रही है. अन्य विपक्षी दलों से असदुद्दीन ओवैसी और टीएमसी के कल्याण बनर्जी ने भी प्रश्नकाल की मांग को दोहराया.
उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के 73 साल के बाद सरकार प्रश्नकाल हटाकर लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रही है.
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रश्नकाल संसदीय कार्यवाही का एक महत्वपूर्ण अंग और अधिकारों के विभाजन का हिस्सा होता है . प्रश्नकाल स्थगित करना, इसे कमजोर करने का प्रयास है.
उन्होंने इस मुद्दे पर मतविभाजन कराने की मांग की .
सरकार की तरफ से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रश्नकाल के मुद्दे पर सरकार का बचाव भी किया. उन्होंने कहा, ‘असाधारण परिस्थितियों में संसद की कार्यवाही आयोजित करनी पड़ रही है. इसमें सभी दलों को सहयोग करना चाहिए.’
राजनाथ ने य़ह भी कहा कि सदन सिर्फ 4 घंटे के लिए ही चलेगा और मैंने अनुरोध किया था कि उसमें प्रश्नकाल न हो. आधे घंटे का एक जीरो आवर हो.
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘अधिकांश राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की सहमति के बाद ही यह फैसला किया गया था. मैं सभी सम्मानित सदस्यों से अनुरोध करना चाहता हूं कि असाधारण समय में संसद का सत्र हो रहा है. इसमें आप सभी का सहयोग चाहिए. लिखित प्रश्न के माध्यम से जो भी जानकारी चाहिए उसकी जानकारी मंत्री देंगे. शून्य काल के दौरान भी प्रश्न पूछ जा सकते हैं.’
विपक्षी दलों से सहयोग की अपेक्षा
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वैश्विक स्तर पर असाधारण परिस्थितियों में सभी से सहयोग अपेक्षित है. लोकसभा के नियमों एवं प्रक्रियाओं के तहत सभी को पर्याप्त समय और अवसर दिया जायेगा . सरकार ने भी इस पर सहमति जतायी है.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस संबंध में लोकसभा में प्रस्ताव रखते हुए कहा कि सरकार सवालों से भाग नहीं रही है और वह सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है.
सदन ने प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज के निलंबन से जुड़े प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की.
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि यह सही है कि असाधारण परिस्थितियों में सत्र का आयोजन हो रहा है लेकिन संसद के संचालन की प्रक्रिया संबंधी नियमों को देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि प्रश्नकाल को तभी स्थगित किया जा सकता है जब सदन में सर्वसम्मति हो .
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कह कि प्रश्नकाल संसद की कार्यवाही का बुनियादी हिस्सा है. सरकार विधेयक पास कराना चाहती है लेकिन लोग यह सुनना चाहते हैं कि सांसदों के प्रश्नों पर सरकार क्या जवाब देती है.
इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार चर्चा से नहीं भाग रही है और सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार है.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के काल में कई राज्यों में विधानसभा एक दिन के लिये आयोजित हुई जबकि संसद का सत्र 18 कार्यदिवस का रखा गया है.
जोशी ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र की दुहाई जो लोग दे रहे हैं, उन्हें 1975 में क्या हुआ था, उसे भी याद करना चाहिए .
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