बेंगलुरु: इस महीने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रचंड बहुमत हासिल करने के दो हफ्ते बाद, नवगठित राज्य मंत्रिमंडल में लगभग 34 मंत्रियों को पोर्टफोलियो सौंपे गए, जब राज्य के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सोमवार की सुबह सूची को मंजूरी दे दी.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जहां वित्त विभाग अपने पास रखा है, वहीं डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार को सिंचाई और बेंगलुरु शहर विकास विभाग सौंपे गए हैं.
सिद्धारमैया खुफिया, कार्मिक और प्रशासनिक मामलों, इलेक्ट्रॉनिक्स सूचना प्रौद्योगिकी जैव प्रौद्योगिकी (आईटी/बीटी) और बुनियादी ढांचा विकास विभागों के साथ-साथ अन्य सभी गैर-आवंटित विभागों का भी नेतृत्व करेंगे.
2015 और 2017 के बीच पिछली सिद्धारमैया सरकार में गृह मंत्रालय संभालने वाले जी परमेश्वर ने इसे नई कैबिनेट में भी बरकरार रखा है.
शिवकुमार द्वारा सुरक्षित बेंगलुरु शहर विकास पोर्टफोलियो महत्वपूर्ण है, क्योंकि बेंगलुरु शहर कर्नाटक में सबसे ज्यादा और देश में सबसे बड़ा राजस्व जनरेटर है.
राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के पिछले चार वर्षों के दौरान, 2019 से 2013 तक ये विशेष पोर्टफोलियो सीएम के पास रहा था.
ब्रुहट बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) सितंबर 2020 से नगर निगम एक निर्वाचित परिषद के बिना है और शिवकुमार अब बेंगलुरु विकास प्राधिकरण (बीडीए), बेंगलुरु मेट्रो, सीवरेज बोर्ड सहित भारत की आईटी राजधानी से संबंधित सभी एजेंसियों के प्रभारी होंगे.
कर्नाटक विधानसभा के चुनाव 10 मई को हुए थे और परिणामों की घोषणा 13 मई को की गई थी— कांग्रेस ने 224 विधानसभा सीटों में से 135 पर जीत हासिल की. इसके बाद मुख्यमंत्री का फैसला करने पर लगभग चार दिनों की गहन चर्चा हुई, जिसमें सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों के समर्थक और उनके संबंधित नेता जोर दे रहे थे.
स्थिति के बारे में जागरूक लोगों ने दिप्रिंट को बताया, हालांकि, कहा तो ये भी जा रहा है कि शिवकुमार लगभग दो साल बाद सरकार की बागडोर संभालेंगे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने इस आशय की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है.
इसने पहले ही सिद्धारमैया और शिवकुमार के नेतृत्व वाले खेमे के बीच बढ़ते तनाव को बढ़ा दिया है. पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि नवगठित कैबिनेट में सीएम और डिप्टी सीएम के समर्थकों ने अपने-अपने खेमे से अधिक प्रतिनिधित्व का दावा करते हुए वर्चस्व की लड़ाई जारी रखी हुई है.
सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया अपने कई समर्थकों को अहम मंत्रालय दिलाने में कामयाब रहे हैं. हालांकि, विरोधी खेमे ने इसे मानने से इनकार कर दिया.
नाम न छापने की शर्त पर सिद्धारमैया के एक समर्थक ने कहा, “हमने अपनी सूची में से लगभग 32-33 (मंत्रियों) को मंजूरी दे दी है.”
शिवकुमार खेमे ने हालांकि, एक अलग गणना की पेशकश की है.
शिवकुमार कैंप के एक व्यक्ति ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “हमें अपने लगभग 10 लोग मिले और इतनी ही संख्या सिद्धारमैया के बारे में भी सच है. कुछ सदस्य हैं, जैसे एम.बी. पाटिल, कृष्णा बायरे गौड़ा, एच.के. पाटिल, प्रियांक खड़गे, अन्य जो हाई-कमांड के द्वारा नियुक्त हैं.”
दिप्रिंट ने कॉल और मैसेज के जरिए डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार से संपर्क की कोशिश की थी. उनकी प्रतिक्रिया मिलने के बाद कॉपी को अपडेट कर दिया जाएगा.
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पोर्टफोलियो पर लड़ाई
सूत्रों के अनुसार, सिद्धारमैया और शिवकुमार ने सीएम पद को लेकर लड़ाई की थी बाद में सिद्धारमैया को “मौखिक आश्वासन” के बाद यह पद दिया गया कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद बागडोर संभालेंगे.
गतिरोध को तोड़ने के लिए पार्टी आलाकमान ने शिवकुमार को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष पद को बनाए रखने और राज्य में एकमात्र डिप्टी सीएम होने जैसे भत्तों की पेशकश की.
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, दोनों के बीच प्रतिद्वंद्विता का असर कैबिनेट नियुक्तियों पर भी पड़ा है.
उक्त सिद्धारमैया समर्थक ने कहा कि आईटी/बीटी पोर्टफोलियो, वर्तमान में सीएम के तहत, एक अन्य कैबिनेट सदस्य को दिया जाएगा, क्योंकि आवंटन में कुछ बदलाव होने की उम्मीद थी, जिसमें दो रिक्तियां शेष थीं.
जिन लोगों को शिवकुमार के साथ उनकी लड़ाई में सिद्धारमैया के पक्ष में माना जाता था—जैसे विधायक एन. चालुवराया स्वामी, कृष्णा बायरे गौड़ा, रामलिंगा रेड्डी, के.जे. जॉर्ज, सतीश जरकीहोली और कई अन्य लोगों को प्रमुख पोर्टफोलियो मिले हैं.
उन्होंने कहा, “लक्ष्मी हेब्बलकर और एम.सी. सुधाकर समेत अधिकांश मंत्री हमारे पक्ष में हैं.” हालांकि, इस दावे को शिवकुमार खेमे ने खारिज कर दिया है.
अन्य कैबिनेट नियुक्तियों में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे को ग्रामीण विकास और पंचायत राज पोर्टफोलियो प्राप्त हुए, जबकि सतीश जारकीहोली और रामलिंगा रेड्डी को क्रमशः लोक निर्माण विभाग और परिवहन विभाग दिए गए हैं.
इस बीच कृष्णा बायरे गौड़ा को राजस्व विभाग सौंपा गया है.
सिद्धारमैया सरकार के नए मंत्रियों के लिए उनके काम में कटौती की गई है क्योंकि पहले उन्हें अपनी गारंटी को पूरा करने के तरीके खोजने होंगे, जिसमें 200 यूनिट मुफ्त बिजली, प्रत्येक महिला प्रधान परिवार के लिए 2,000 रुपये, बेरोजगारों के लिए 1,500-3,000 रुपये, स्नातक और डिप्लोमा धारक और 10 किलो मुफ्त चावल आदि शामिल हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन योजनाओं पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे और सरकार को उन्हें फंड देने के लिए “बेकार खर्च” में कटौती करनी होगी.
इस बीच राजनीतिक विशेषज्ञों और विपक्षी दलों ने पहले ही इन योजनाओं के राज्य पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव को लेकर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
विपक्ष के कई नेता जैसे पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा है कि कांग्रेस अपने चुनावी वादे से पीछे हट रही है. बोम्मई ने कांग्रेस सरकार को “रिवर्स गियर” भी कहा क्योंकि वे अपने वादों से पीछे हट रहे थे.
विपक्षी सदस्यों के एक वर्ग ने भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों और अन्य हिस्सों के लोगों से बिजली बिलों का भुगतान नहीं करने के लिए कहा है क्योंकि कांग्रेस सरकार ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली की गारंटी दी है.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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