नई दिल्ली: पीएम मोदी द्वारा देश के नाम किए गए पिछले संबोधन के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार इसपर आधारित आर्थिक घोषणाएं की. पिछले पांच दिनों में उससे जुड़ी विस्तृत जानकारी भी दी. रविवार की घोषणाओं को वित्त मंत्री ने सात बिंदुओं में तोड़कर पेश किया जिसमें प्रवासी मज़दूरों, स्वास्थ्य व्यवस्था, व्यापार जगत से लेकर राज्यों तक से जुड़ी नीति को साफ़ किया.
प्रवासी मज़दूरों के पलायन के मद्देनज़र वित्त मंत्री ने घोषणा करते हुए कहा, ‘मनरेगा के लिए पहले से 61,000 करोड़ का बजट है. घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों को ध्यान में रखते हुए अब 40,000 करोड़ का अतिरिक्त बजट दिया जा रहा है.’ वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि इससे अपने राज़्य लौट रहे प्रवासी मज़दूरों को काम मिलेगा.
प्रवासी मज़दूरों से ही जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कांग्रेस पर सीधा और राहुल गांधी पर अप्रत्यक्ष हमला किया. उन्होंने कहा, ‘मैं हाथ जोड़कर सोनिया गांधी जी से अपील करती हूं कि हमें अपने प्रवासियों के मामले में ज़्यादा ज़िम्मेदारी से बोलना और पेश आना चाहिए.’ निर्मला ने यह भी कहा कि प्रवासी मजदूरों की हालत ठीक नहीं हैं उनके इस हालात को देखकर हम सभी दुखी है इसपर राजनीति करना ठीक नहीं है.
स्वास्थ्य पर ज़्यादा खर्चेगी सरकार
घोषणाओं में राज्यों में कमज़ोर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भी सरकार में चिंता दिखी. वित्त मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर आधारभूत ढांचे को मज़बूत किया जाएगा और इसे महामारी से लड़ने लायक बनाया जाएगा.
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उन्होंने आश्वासन दिया कि स्वास्थ्य पर पहले ज़्यादा ख़र्च किया जाएगा. वेलनेेस सेंटरों को भी बढ़ावा दिए जाने की बात कही. भविष्य के लिहाज़ से उन्होंने कहा, ‘इंफेकसेस डिज़िज के लिए ज़िला स्तर के हॉस्पिटल को मज़बूत किया जाएगा और लैब्स को बेहतर बनाया जाएगा. नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन का भी ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे.’
शिक्षा को लेकर सरकारी कदम
कोविड ने एक देशव्यापी चर्चा को जन्म दिया है कि भविष्य की बेहतर तैयारी के लिए भारत को स्वास्थ्य और शिक्षा पर काफ़ी बल देना होगा. शिक्षा से संबंधित उठाए गए और उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पीएम-ई विद्या प्रोग्राम को जल्द लॉन्च किया जाएगा.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘दीक्षा पोर्टल के जरिए हर राज्य के लिए किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी और इसे ‘वन नेशन वन एजुकेशन’ के तौर पर विकसित किया जा रहा है. हर क्लास के बच्चों की पढ़ाई के लिए एक टीवी चैनल होगा. भविष्य की शिक्षा में टीवी और रेडियो का भरपूर इस्तेमाल होगा.’
ये जानकारी भी दी गई कि दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई के लिए विशेष ई-कॉन्टेंट तैयार किया जाएगा. वहीं, बजटीय घोषणा की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि टॉप की 100 यूनिवर्सिटी 31 मई से ऑनलाइन कोर्स शुरू करने की ओर कदम बढ़ा सकती हैं. बच्चों और शिक्षकों के लिए मेंटल हेल्थ के लिए मनोदर्पण प्रोग्राम की भी शुरुआत की जाएगी.
उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिए तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. स्वंय प्रभा के जरिए तीन डायरेक्ट टू होम चैनल मुहैया कराए जा रहे हैं. शिक्षा मंत्रालय ने इन चैनलों पर लाइव डिस्कशन, टेलिकॉस्ट, ब्रॉडकास्ट करने की व्यवस्था की है. राज्यों के बीच एयर टाइम शेयर करने को लेकर तालमेल बिठाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि ई-पाठशाला में 200 नई किताबें जोड़ी गई हैं और दीक्षा प्लेटफॉर्म पर 66 करोड़ हिट आए हैं.
कोविड, व्यापार और सरकार
इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि कोविड से प्रभावित होने वाले व्यापारों को लेकर सरकार क्या कर रही है. उन्होंने कहा, ‘कोविड की वजह से हुए कर्ज़ में डूबने वालों पर दिवालियापन की कार्रवाई नहीं होगी. एक साल तक कोई इंनसॉल्वेंसी की प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी. एमएसएमई पर दिवालियापन की कार्रवाई की सीमा को 1 लाख़ से बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया गया है.’
उन्होंने ये भी कहा कि कंपनी एक्ट में बहुत सी चीज़ों का गैर अपाधिकरण भी किया जा रहा है, जैसे सीएसआर या बोर्ड की रिपोर्ट में कोई कमी रह गई तो अब ये इस सूची में नहीं आएगा. कंपाउंडेबल ऑफेंस में भी बड़ा बदलाव लाया गया है. इससे न्यायालों और एनसीएलटी पर दबाव कम होगा. सात कांपाउडेंबल अपराध को समाप्त किया जाएगा.
इज़ ऑफ़ डुइंगी बिज़नेस को लेकर उन्होंने कहा कि कंप्लायंस बर्डन को कम करने के लिए समय रहते कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा, ‘कंपनियां अब अपनी बोर्ड मीटिंग, ईजीएम और एजीएम ऑनलाइन कर सकते हैं. पीएम केयर्स को सीएसआर के तहत मान्यता दी गई है.’
पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज़ पॉलिसी के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र प्राइवेट सेक्टर के लिए ख़ुला होगा. भारत सरकार एक नई नीति लाएगी जिसमें रणनीतिक क्षेत्र और अन्य के बीच अंतर किया जाएगा. रणनीतिक क्षेत्र में चार से ज़्यादा पब्लिक एंटरप्राइज़ नहीं होंगे. चार से ज़्यादा होने की स्थिति में इन्हें मर्ज कर दिया जाएगा. बाकी का निजीकरण किया जाएगा.
कोविड के दौर में केंद्र-राज्य तालमेल
राज्य सरकार और उनसे जुड़े संसाधन के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र की तरह राज्यों के बजट में काफ़ी कमी आई है. उन्होंने कहा, ‘हमने राज्यों को जितना हो सके सहायता मुहैया कराई है. केंद्र द्वारा राज्यों को 46,038 करोड़ दिया गया है.’
उन्होंने कहा कि रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के तहत राज्य को 12,390 करोड़ अप्रैल-मई में दिया गया. एसडीआरएफ़ के तहत 11,092 करोड़ से अधिक राज्यों को एडवांस में रिलीज़ किया गया. 4113 करोड़ स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को दिया है. आरबीआई द्वारा राज्यों की वेज एंड मीन्स लिमिट को 60 प्रतिशत तक बढ़ाया गया.
उन्होंने कहा कि राज्य अपने जीएसडीपी का 3 प्रतिशत तक कर्ज ले सकते हैं. राज्यों ने अब तक मौजूद क्षमता का महज़ 14 प्रतिशत ही कर्ज़ किया है. फिर भी इस क्षमता को बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है. इससे राज्यों के लिए 4.28 लाख़ करोड़ अतिरिक्त राषी मौजूद होगी.
इसके अलावा उन्होंने ब्रेक-अप के तहत ये जानकारी भी दी कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जो 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है उनमें कहां कितना पैसा ख़र्च हो रहा है.