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Sunday, 23 June, 2024
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प्याज की माला पहनकर महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे NCP विधायक, कीमतों में गिरावट पर राहत की मांग की

प्याज की फसल की भारी पैदावार के कारण अन्य राज्यों में भी इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है. इससे किसान काफी परेशान हैं.

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नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक मंगलवार को सिर पर प्याज लेकर और प्याज की माला पहनकर, प्याज की उचित कीमत की मांग करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे.

इससे पहले सोमवार को प्याज के कम थोक मूल्य के कारण किसानों ने नासिक के लासलगांव कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) में नीलामी रोक दी थी. इसके बाद महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

प्याज की कीमतों में धीरे-धीरे गिरावट के कारण, किसानों ने लासलगांव एपीएमसी में अपना आंदोलन शुरू कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप प्याज की नीलामी रुक गई. संगठन की मांग है कि प्याज को सही दाम पर बेचा जाए जबकि उन्हें सिर्फ 1 रुपये किलो या 2 रुपये किलो की कीमतों पर बेचा जा रहा था, जिस कारण नीलामी बंद कर दी गई.

प्याज की फसल की भारी पैदावार के कारण अन्य राज्यों में भी इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है.

एक किसान, जो साइट पर विरोध कर रहा था, ने कहा कि उन्हें प्याज उगाने के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ की लागत आती है, जबकि वे नीलामी में बेची गई उपज के लिए केवल 10,000 रुपये से 20,000 रुपये कमाते हैं. उन्होंने कहा कि नौबत यहां तक आ गई है कि किसान आत्महत्या पर विचार कर रहे हैं. मोदी सरकार को किसानों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए.

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले स्वाभिमानी शेतकरी संगठन (एसएसएस) ने प्याज की कीमतों में गिरावट का हवाला देते हुए शिर्डी-सूरत हाईवे पर चक्का जाम किया था. किसानों ने अपनी हड़ताल के दौरान सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए प्याज और अंगूर को जमीन पर बिछा दिया था.

इसी तरह का विरोध सोमवार सुबह देखा गया जब किसान संघ ने राज्य और केंद्र दोनों सरकारों और नाफेड (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया.

प्याज ही नहीं अन्य सब्जियां भी कम दामों पर बिक रही हैं, जिससे किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसी तरह की एक अन्य घटना में, येवला तालुका कुसूर गांव के एक किसान अंबादास साहेबराव निकम ने अपने मवेशियों को 10,000 रुपये का बैंगन खिलाया, क्योंकि उसे अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल रहा था.


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