नई दिल्ली: अगस्त 2020 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन समारोह में भाग लेने और इस साल नवंबर में केदारनाथ मंदिर में आदि शंकराचार्य की 12 फुट ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन करने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 800 करोड़ रूपये की लागत से बने काशी-विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का आज वाराणसी में उद्घाटन करने जा रहें हैं.
अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान यह तीसरी बार होगा जब पीएम मोदी प्राचीन हिंदू मंदिरों से संबंधित किसी प्रमुख पुनर्विकास या निर्माण कार्यों का उद्घाटन करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों से कुछ ही वक्त पहले होने वाले इस उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए देश भर से लगभग 2,000 साधु-संत वाराणसी में उपस्थित होंगे. इनमें सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रमुख, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, योग गुरु बाबा रामदेव, माता अमृतानंदमयी, दयानंद सरस्वती महाराज, अवधेशानंद महाराज जैसे प्रमुख धर्मगुरु शामिल हैं. उनके साथ ही भाजपा का लगभग सारा शीर्ष नेतृत्व वहां मौजूद होगा, जिसमें मोदी कैबिनेट के आधे मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और उनकी पत्नियां तथा यूपी सरकार के सभी मंत्री शामिल होंगे.
प्रधानमंत्री का कार्यक्रम
अपने वाराणसी आगमन के तत्काल बाद पीएम मोदी क्रूज बोट के जरिए ललिता घाट के रास्ते काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर पहुंचेंगे. वहां पहुंचने के बाद वह एक कमंडल में गंगा नदी का पवित्र जल भर पैदल चलकर मंदिर के गर्भगृह तक जाएंगे. मुख्य मंदिर स्थित भगवान भोलेनाथ (शिव) की मूर्ति का जलाभिषेक करने के बाद, पीएम मंदिर के अंदर होने वाली दो घंटे की पूजा में भाग लेंगे. इस जलाभिषेक को देश भर की पवित्र नदियों से एकत्रित जल द्वारा किया जाएगा.
शाम को पीएम एक भव्य गंगा आरती में शामिल होंगे. भाजपा शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अपनी पत्नियों के साथ वहां मौजूद रहेंगे.
उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी राज्य में पार्टी के सुशासन के मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए प्रधान मंत्री अपनी वाराणसी यात्रा के दौरान भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन में भी शामिल होंगे.
इस बीच, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार भी 16 दिसंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर के प्राचीन और भव्य परिसर के अंदर राज्य कैबिनेट की बैठक आयोजित करके अपने स्वयं के विकास मॉडल का प्रदर्शन करेगी क्योंकि वह भी चुनाव से पहले भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद की आश में हैं.
इसके आलावा 17 दिसंबर को देशभर के महापौरों (मेयरों) का सम्मेलन भी वाराणसी में होना निर्धारित है. मोदी इस सम्मेलन को वर्चुअल रूप से संबोधित करेंगे और सभी महापौर अपने-अपने शहरों में किए गए कुछ बेहतरीन कार्यों के बारे में प्रेसेंटेशन देंगे. इसक बाद 24 दिसंबर को पीएम फिर एक बार वाराणसी में हीं आयोजित होने वाले कृषि वैज्ञानिकों के एक सम्मेलन को संबोधित करेंगे. इस अवसर पर वह पूर्वांचल के किसानों से भी बातचीत करेंगे.
दिप्रिंट से बात करते हुए यूपी भाजपा के उपाध्यक्ष दयाशंकर राय ने कहा, ‘काशी विश्वनाथ मंदिर देश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जिसका न केवल पूर्वांचल क्षेत्र के लिए अत्यधिक महत्व है बल्कि यह पूरे हिंदू समाज के लिए आस्था के मुख्य स्तंभों में से एक है. पहले हम कहते थे मंदिर वही बनाएंगे और अब राम मंदिर उसी जगह पर बन रहा है. राम मंदिर 2024 से पहले तैयार हो जाएगा. अयोध्या का पुनर्विकास इस तरह से किया जा रहा है कि जब इसका निर्माण पूरा हो जाएगा तो यह एकदम से नया शहर दिखेगा.’
इसी बारे में भाजपा महासचिव तरुण चुग ने कहा, ‘सारे देश के लिए यह बड़े सौभाग्य की बात है कि उसे मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिला है, जिन्होंने अपने कार्यकाल में हिंदू धर्म के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार की पहल की है. अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने का संघर्ष कई शताब्दियों से चल रहा था लेकिन किसी भी प्रधानमंत्री को इसके निर्माण का सौभाग्य नहीं मिला. पीएम ने केदारनाथ धाम के दर्शन कर आदि शंकराचार्य के मंदिर का उद्घाटन किया. अब बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कर रहे हैं जो तीन सौ सालों में रानी अहिल्या बाई के बाद किसी ने नहीं किया.’
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शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि पीएम मोदी हिंदू धर्म के आस्था के केंद्र को पुनर्जीवित कर रहे हैं जो कई वर्षों से अपमानित होता रहा हैं.
मोदी की ‘धर्म पुरुष’ की छवि को मजबूत करने के लिए इस मौके का इस्तेमाल करेगी भाजपा
भव्य उद्घाटन समारोह के अलावा भी भाजपा ने वाराणसी में एक महीने के दौरान 30 कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, जो 13 दिसंबर से शुरू होकर मकर संक्रांति (14 जनवरी तक) के दिन तक मनाया जाएगा.
भाजपा मन की बात की तर्ज पर भव्य काशी-दिव्य काशी कार्यक्रम (जो 13 दिसंबर को होगा) का सीधा प्रसारण करने के लिए पूरे देश में – मंडल से लेकर बूथ स्तर तक – 51,000 स्थानों पर एलईडी स्क्रीन लगाएगी. पार्टी की योजना देश भर के 20,000 मंदिरों में इस कार्यक्रम को प्रसारित करने की भी है.
पार्टी द्वारा किये जा रहे अन्य आयोजनों में वाराणसी के पांच लाख घरों में काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रसाद का वितरण करने के लिए समिति का गठन, प्रसाद के रूप में लड्डू के साथ-साथ मंदिर निर्माण से संबंधित सभी जानकारी वाली एक पुस्तिका बांटना, 11 लाख दीयों के साथ शिव दीपावली मनाना (जो इस दिवाली पर अयोध्या में जलाये गए दीयों की संख्या से भी अधिक होगी), लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रभात फेरी निकालना आदि शामिल हैं.
भाजपा वाराणसी में एक युवा सम्मेलन भी आयोजित करेगी, जो 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के अवसर पर शुरू होगा और 14 जनवरी को समाप्त होगा.
भाजपा नेताओं का कहना है कि वे इस अवसर का उपयोग पीएम मोदी की ‘धर्म पुरुष’ वाली छवि को मजबूत करने के लिए करना चाहते हैं.
राय कहते हैं, ‘जब करोड़ों लोग पीएम मोदी को केदारनाथ में एक मंदिर का उद्घाटन करते हुए और काशी में भव्य मंदिर परिसर को समर्पित करते हुए देखते हैं, तो हमारे समर्थकों के साथ-साथ आम लोगों का भी मोदी के प्रति विश्वास और भी मजबूत हो जाता है. वे महसूस करते हैं कि इतने सालों से यह काम अटका पड़ा था पर किसी ने पहल नहीं की, यह सिर्फ़ मोदी की इच्छाशक्ति का परिणाम है कि इतने कम समय में मंदिरों का गौरव वापस लौट रहा है.’
राय आगे कहते है, ‘केवल जनेऊ पहनने से कोई हिन्दु नहीं हो जाता. कांग्रेस सरकारों में एक मंदिर बनवाया हो तो बताइये? जब अयोध्या, काशी,केदारनाथ,विन्धयवासिनी सब मोदी के ज़िम्मे है तो हिन्दू किसे वोट देगा? ‘
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के राजनैतिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर कौशल किशोर मिश्रा कहतें है, ‘मोदी की विकास पुरूष की छवि धर्म पुरुष के रूप में हिन्दुओं में और प्रगाढ़ होगी जिसका चुनावी फ़ायदा बीजेपी को मिलना तय है.’
पूर्वांचल के पास है सत्ता की चाभी
प्रधानमंत्री की आगामी वाराणसी यात्रा एक वर्ष के भीतर पूर्वी उत्तर प्रदेश की उनकी पांचवीं यात्रा है, और यह पूर्वांचल में भाजपा के द्वारा किये जा रहे भारी निवेश की एक छोटी सी बानगी है.
अक्सर कहा जाता है कि दिल्ली में सत्ता में वापसी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. इसी तरह यूपी में सत्ता में वापसी का रास्ता पूर्वांचल क्षेत्र से होकर गुजरता है. भाजपा के दो सबसे बड़े नेता – मोदी और योगी – इसी क्षेत्र से चुने गए थे.
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्वांचल क्षेत्र की कुल 164 सीटों में से 115 सीटों पर जीत हासिल की थी. समाजवादी पार्टी केवल 17 सीटें और बसपा 15 सीटें जीत सकी थी. इसके विपरीत, भाजपा ने 2012 में इस क्षेत्र से केवल 12 सीटें जीती थीं और पार्टी को पुरे राज्य में सफलता के लिए संघर्ष करना पड़ा था उस समय सरकार बनाने वाली सपा ने इस इलाके से 85 सीटें जीती थीं. ऐसे में पूर्वांचल में अपना किला बचाना बीजेपी के लिए ‘करो या मरो’ वाली हालत से कम नहीं है.
राय कहते हैं, ‘जिस तरह भाजपा सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, कुशीनगर और आजमगढ़ में हवाईअड्डे, मेडिकल कॉलेज स्थापित करने जैसे विकास कार्य किए हैं, वह सब यह स्पष्ट करता है कि हमारी सरकार पूर्वांचल जैसे पिछड़े क्षेत्र के लोगों के जीवन को बदलने के अभियान में पिछले पांच सालों में भारी निवेश किया है, यह सब दिखाता है कि मोदी वही करते हैं जो वे कहते हैं.’
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