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Tuesday, 12 November, 2024
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‘हारने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों का भी स्वागत’: लोकसभा चुनाव में 350 सीटों के लिए BJP की योजना

भाजपा कई दलबदलुओं को शामिल कर रही है क्योंकि वह आगामी लोकसभा चुनाव में 50% वोट हासिल करके एक रिकॉर्ड बनाना चाहती है.

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नई दिल्ली: दो दिन पहले गुजरात में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के दो हज़ार से ज्यादा कार्यकर्ता और नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. इस हफ्ते की शुरुआत में आप की छत्तीसगढ़ प्रमुख कोमल हुपेंडी और पार्टी के कुछ अन्य प्रमुख पदाधिकारियों ने भाजपा में जाने की अटकलों के बीच इस्तीफा दे दिया था.

शनिवार को हरियाणा में कांग्रेस के पूर्व सांसद और आप नेता अशोक तंवर बीजेपी में शामिल हो गए.

भाजपा देश भर में अन्य पार्टियों से आए दलबदलुओं को पार्टी में शामिल करने पर जोर दे रही है क्योंकि उसका लक्ष्य आगामी लोकसभा चुनावों में 50 प्रतिशत वोट हासिल करना है — जो पहले कभी हासिल नहीं किया गया है.

सभी राज्यों में पार्टी नेताओं को संदेश भेजा गया है: राजनीति में कोई “दुश्मन” नहीं है, कोई भी नेता बहुत महत्वहीन नहीं है और यहां तक कि निर्दलीय — चाहे वे जीत रहे हों या नहीं — चुनाव नज़दीक आने पर उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए.

2019 में बीजेपी का वोटशेयर 37.4 था, जब उसने 303 सीटें जीती थीं. वे अपनी सीटों की संख्या 350 तक करना चाहती है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सत्ता में आना चाहते हैं.

पार्टी ने राज्य इकाइयों से — एक सर्कुलर के जरिए से जिसे दिप्रिंट ने देखा है — प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में प्रभावशाली नेताओं के बीच संभावित दलबदलुओं की एक सूची बनाने को कहा है. बिना किसी रोक-टोक के इस दृष्टिकोण में पार्टी ने नेताओं से पिछले 20 साल में चुनाव लड़ने वाले स्वतंत्र उम्मीदवारों को भी ध्यान में रखने को कहा है.

अपनी चुनावी तैयारियों के तहत पार्टी ने लोकसभा सीटों को भी 136 समूहों में विभाजित किया है. प्रत्येक क्लस्टर प्रमुख को 3-4 लोकसभा सीटों पर चुनाव तैयारियों की देखरेख करने और उन्हें भाजपा के पाले में लाने के लिए काम करने का काम सौंपा गया है.

मंगलवार को दिल्ली में क्लस्टर प्रमुखों की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनसे अपनी-अपनी सीटों पर विपक्षी नेताओं की पहचान करने को कहा जो प्रभावशाली हैं और भाजपा में शामिल हो सकते हैं.

राजस्थान बीजेपी के उपाध्यक्ष प्रभुलाल सैनी ने दिप्रिंट को बताया, “फोकस पार्टी का वोट शेयर बढ़ाने और राज्य की सभी लोकसभा सीटें जीतने पर है.” सैनी क्लस्टर प्रभारियों में से एक हैं, जो चित्तौड़गढ़, उदयपुर, बांसवाड़ा और डूंगरपुर सीटों की देखरेख करते हैं.

उन्होंने कहा, “पार्टी ने हमसे सभी प्रभावशाली नेताओं को शॉर्टलिस्ट करने को कहा है कि लोकसभा सीट पर कौन बीजेपी में शामिल होकर पार्टी को अजेय बना सकता है.”

पार्टी की चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए दिसंबर में एक बैठक के दौरान पीएम मोदी ने दलबदलुओं को लुभाने का संदेश भी भाजपा पदाधिकारियों को दिया था.

बैठक में भाग लेने वाले नेताओं ने उनके हवाले से कहा, “पार्टी को विपक्षी उम्मीदवारों को, यहां तक कि केवल 2,000 वोट हासिल करने वालों को भी दुश्मन के रूप में नहीं देखना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “राजनीति में दुश्मन जैसी कोई चीज़ नहीं होती. कार्यकर्ताओं को हमेशा अप्रयुक्त मतदाताओं की तलाश करनी चाहिए.”

इस संदेश के अनुरूप भाजपा ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है — जिसमें केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े और बी.एल. संतोष शामिल हैं — जिनका काम अन्य दलों के नेताओं की जांच करना और उन्हें बीजेपी में शामिल करना है.


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‘बीजेपी एक बड़ा जहाज है’

मंगलवार की बैठक में भाग लेने वाले एक पार्टी पदाधिकारी ने कहा कि उन्हें पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार, पंजाब और दक्षिणी राज्यों तक उन राज्यों में दलबदलुओं को शामिल करने के लिए अधिक प्रयास करने के लिए कहा गया है जहां पार्टी चुनावी या वैचारिक रूप से कमज़ोर है.

पदाधिकारी ने कहा, “लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जिन राज्यों में पार्टी मजबूत है, हम उन प्रतिद्वंद्वी नेताओं को छोड़ देंगे जो अपनी पार्टी से खुश नहीं हैं.” उन्होंने कहा, “इस तरह के दलबदल से न केवल विपक्ष का मनोबल गिरेगा और बीजेपी की जीत के लिए ‘माहौल’ बनेगा, बल्कि पार्टी के वोटशेयर में भी इजाफा होगा.”

“भाजपा एक बड़ा जहाज और दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और इसमें सभी के लिए सत्ता-साझाकरण की क्षमता है.”

मोदी सरकार के 10 साल में भाजपा ने कई विपक्षी नेताओं को शामिल किया है, जिनमें पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कोर टीम का हिस्सा माने जाने वाले नेता भी शामिल हैं.

इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आर.पी.एन. सिंह के अलावा हिमंत बिस्वा सरमा, पेमा खांडू, एन. बीरेन सिंह, नारायण राणे, कैप्टन अमरिंदर सिंह, राणा सोढ़ी, मनप्रीत बादल, दिगंबर कामत, एस.एम. कृष्णा, और आर.सी.पी. सिंह शामिल हैं.

इन नेताओं को लाने का मकसद पूर्वोत्तर के साथ-साथ कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार में भी बीजेपी को मजबूत करना है.

केरल में एक ऐसा राज्य जहां भाजपा महत्वपूर्ण प्रभाव डालने में विफल रही है, भाजपा ने के.जे. अल्फोंस, टॉम वडक्कन और कांग्रेस के दिग्गज ए.के. एंटनी के बेटे अनिल एंटनी को शामिल किया है.

बीजेपी के एक सूत्र ने कहा, “मिलिंद देवड़ा का इस हफ्ते की शुरुआत में बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाली एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी शिव सेना में शामिल होना, जिस दिन राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू किया था, यह भी “कांग्रेस के राजनीतिक माहौल को खराब करने” की एक सुनियोजित रणनीति थी.”, भाजपा के एक सूत्र ने कहा।

हालांकि, बीजेपी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि उन्हें सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि सभी पार्टियों के संभावित दलबदलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया है।


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‘सभी का स्वागत है’

आम चुनाव में आज तक किसी भी पार्टी को 50 फीसदी वोट नहीं मिले हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के तुरंत बाद हुए 1984 के चुनाव में उनके बेटे राजीव के नेतृत्व में कांग्रेस ने संसद की (तत्कालीन) 514 सीटों में से 404 सीटें हासिल कीं. 1962 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने 361 सीटें हासिल कीं, लेकिन दोनों ही मौकों पर वोटशेयर 40 के आसपास ही रहा.

2019 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने कुल मिलाकर 45 प्रतिशत वोट और 353 सीटें हासिल कीं — यह अब तक की सबसे अधिक संख्या है. भाजपा ने अपनी जीती हुई 224 सीटों पर 50 प्रतिशत वोटशेयर हासिल किया.

बीजेपी की रणनीति को और समझाते हुए पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, “प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में बड़े नेताओं के साथ हज़ारों साधन संपन्न समर्थक जुड़े होते हैं.”

नेता ने कहा, “अगर हम किसी सीट पर दूसरे स्थान पर रहने वाले को भाजपा में शामिल करने का प्रबंधन नहीं कर सकते हैं, तो हम दो-तीन अन्य लोगों से संपर्क कर सकते हैं, जो दूसरे स्थान पर रहे वोटशेयर के बराबर वोट जोड़ सकते हैं.”

उन्होंने कहा, “अगर आप निर्दलियों की सूची बनाएं, तो ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अच्छे खासे वोट मिले हैं.”

सर्कुलर में ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का भी आह्वान किया गया है, जिसमें पार्टी नेताओं से कहा गया है कि वे शहरों और गांवों दोनों स्तरों पर स्थानीय निकायों के सदस्यों के अलावा प्रधानों और उप प्रधानों को भी शामिल करने का प्रयास करें.

पार्टी के एक सूत्र ने कहा, “शहरी इलाकों में पार्टी की पकड़ बहुत मजबूत है. पार्टी गांवों और स्थानीय निकायों की सत्ता संरचनाओं में अधिक पकड़ चाहती है. कैडरों और नेताओं को गांवों में एक दिन बिताने के लिए कहा गया है, साथ ही भाजपा किसान मोर्चा को भी गांव के वोट हासिल करने के लिए कहा गया है.”

अन्य बातों के अलावा, मोर्चा को हर निर्वाचन क्षेत्र में किसान सम्मेलन आयोजित करने के लिए कहा गया है.

एक अन्य सूत्र ने कहा, “प्रधानमंत्री ने पार्टी नेताओं से कहा है कि वे नए नेताओं को शामिल करें, लेकिन पुराने नेताओं को न छोड़ें जो सक्रिय नहीं हैं. पार्टी नेताओं से कहा गया है कि वे उनसे मिलें, उनके साथ चाय या नाश्ता करें, उनकी शिकायतें सुनें और उन्हें पार्टी कार्यक्रमों में आमंत्रित करें ताकि वे भाजपा परिवार का हिस्सा महसूस कर सकें.”

नेता ने कहा, “हर नेता के समर्थक और प्रभाव होते हैं. पार्टी ने भाजपा की विस्तार योजनाओं के हिस्से के रूप में कार्यकर्ताओं से क्रिकेटरों और फिल्मस्टारों, लेखकों और धार्मिक प्रमुखों की सूची तैयार करने के लिए भी कहा है.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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