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Wednesday, 20 November, 2024
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आपातकाल के बंदियों की पेंशन बहाल करने के बाद अब एरियर का भी भुगतान करेगी शिंदे सरकार

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने महामारी के दौरान सरकार पर वित्तीय बोझ का हवाला देकर 2020 में इस पेंशन योजना को बंद कर दिया था जिसे गत जुलाई में फिर बहाल किया गया है. यह शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार की तरफ से पलटे गए कई फैसलों में से एक है.

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मुंबई: एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने इमरजेंसी के दौरान जेल की सजा काटने वालों की पेंशन बहाल करने के कुछ ही महीनों बाद अब एरियर भुगतान का भी फैसला किया है. लाभार्थियों को पिछली सरकार की तरफ से पेंशन योजना बंद किए जाने से लेकर इसको बहाल किए जाने तक की अवधि के दौरान का बकाया भुगतान किया जाएगा.

इससे संबंधित 21 अक्टूबर के सरकारी प्रस्ताव, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिंदे की बालासाहेबंची शिवसेना के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इस योजना के 3,339 लाभार्थियों को बकाया भुगतान के लिए 61.22 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. 1 अगस्त 2020 से 31 जुलाई 2022 तक की अवधि के लिए बकाया राशि का भुगतान किया जाना है.

गौरतलब है कि पूर्व में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार—जिसमें शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल थीं—ने जुलाई 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान सरकारी खजाने पर बोझ का हवाला देते हुए यह योजना बंद कर दी थी. शिंदे की अगुवाई वाली सरकार ने सत्ता संभालने के एक महीने के भीतर ही गत जुलाई में इसे बहाल कर दिया था.

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘मौजूदा सरकार की राय में, उचित यही होगा कि 2018 के फैसले के तहत जिन लाभार्थियों को पेंशन योजना का लाभ मिल रहा था, वो बिना किसी बाधा के जारी रहना चाहिए. जब सरकार ने योजना को बहाल करने का फैसला किया, तभी हमने कहा था कि हम योजना को बंद किए जाने की अवधि के दौरान का बकाया भुगतान करेंगे.’

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘लेकिन हमें लाभार्थियों की सही संख्या पता लगाने और बकाया राशि के आकलन के लिए कुछ ग्राउंडवर्क करना था. इसके लिए हमने जिला कलेक्टरों से डेटा जुटाया.

क्या है ये पेंशन योजना

1975-1977 के बीच आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों के लिए पेंशन योजना पहली बार 2018 में शुरू की गई थी. महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कई अन्य राज्यों की भाजपा सरकारों के नक्शेकदम पर चलते हुए यह कदम उठाया था.

इस योजना के तहत, एक माह से अधिक समय तक जेल में बिताने वालों को प्रति माह 10,000 रुपये की पेंशन मिलती है. ऐसे लोगों के निधन के बाद उनके जीवनसाथी को 5,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलेगी.

इसी तरह, एक माह से कम समय जेल में रहे लोगों को 5,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलती है, जबकि उनके निधन पर परिजनों को 2,500 रुपये की पेंशन का प्रावधान है.

पूर्व सरकार के कई फैसलों को पलटा

मौजूदा सरकार ने राज्य में पूर्व में सत्ता में रही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के आधा दर्जन से अधिक फैसलों को पलट दिया है, और पेंशन योजना भी उसी में से एक है.

शिंदे सरकार ने सबसे पहले जिन फैसलों को पलटा उनमें एक मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार डिपो बनाने की विवादास्पद योजना पर लौटना शामिल है, जिसे बतौर मुख्यमंत्री ठाकरे ने अक्टूबर 2020 में कांजुरमार्ग स्थानांतरित कर दिया था.

पिछले हफ्ते, शिंदे-फडणवीस सरकार ने महाराष्ट्र में जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सामान्य सहमति को भी बहाल कर दिया था. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच को लेकर एमवीए सरकार और भाजपा के बीच रस्साकशी के बाद सामान्य सहमति की व्यवस्था को रद्द कर दिया गया था.

मौजूदा सरकार ने पिछली फडणवीस सरकार के कुछ अन्य फैसलों को भी बहाल करने फैसला किया है, जिन्हें एमवीए सरकार ने रद्द कर दिया था. इनमें सरपंचों और नगरपालिका परिषद अध्यक्षों का सीधा चुनाव, कृषि उपज विपणन समिति चुनावों में किसानों को वोट देने का अधिकार, और फडणवीस की पसंदीदा जलयुक्त शिवार योजना भी शामिल है, जिसका उद्देश्य मिट्टी में नमी को बढ़ाना है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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