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Friday, 19 April, 2024
होमदेश‘वंदे मातरम्’ का आदेश जारी होने के बाद भी महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारी फोन पर ‘हैलो’ बोलकर जवाब दे रहे

‘वंदे मातरम्’ का आदेश जारी होने के बाद भी महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारी फोन पर ‘हैलो’ बोलकर जवाब दे रहे

तमाम कर्मचारियों को यह समझ ही नहीं आ रहा कि इस बदलाव को कैसे अपनाएं और अपनी पुरानी आदत कैसे छोड़ें, जबकि कुछ तो सरकार के 1 अक्टूबर के प्रस्ताव से अनजान ही हैं. राज्य में मंत्री मुनगंटीवार का मानना है कि ‘धीरे-धीरे बदलाव आएगा.’

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मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तरफ से 14 अगस्त को अपने कैबिनेट सहयोगियों को विभागों का आवंटन किए जाने के कुछ ही घंटों बाद नवनियुक्त संस्कृति मंत्री भाजपा के सुधीर मुनगंटीवार सुर्खियों में आ गए थे.

दरअसल, उन्होंने घोषणा की थी कि महाराष्ट्र सरकार के सभी कर्मचारी अब फोन का जवाब ‘नमस्ते’ के बजाये ‘वंदे मातरम्’ कहकर देंगे.

मुनगंटीवार का यह आइडिया चर्चा और बहस का विषय तो बना ही विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना भी की, और 1 अक्टूबर तक, इस संबंध में एक सरकारी प्रस्ताव भी ले आया गया.

अब जबकि करीब एक माह होने वाला है, विवादों में घिरी इस घोषणा और सरकारी प्रस्ताव पर अमल होता नजर नहीं आ रहा. कोई भी मंत्रालय (राज्य सचिवालय) में फोन करके जान सकता है कि थॉमस एडिसन का ‘हैलो’ अभी भी अभिवादन का तरीका बना हुआ है.

दिप्रिंट ने महाराष्ट्र सरकार के कम से कम सात विभागों की आधिकारिक फोन लाइनों को फोन किया और पाया कि तमाम कर्मचारियों को यह समझ ही नहीं आ रहा कि बदलाव को कैसे अपनाएं और अपनी पुरानी आदत कैसे छोड़ें, जबकि कुछ तो सरकार के 1 अक्टूबर के प्रस्ताव से अनजान ही हैं.

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आवास विभाग के एक कर्मचारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि मेरे विभाग के लिए ऐसा कोई नियम बनाया गया है. शायद यह केवल संस्कृति विभाग के लिए है.’

इस बीच, नाम न छापने की शर्त पर शिक्षा विभाग के एक कर्मचारी ने कहा, ‘हां, मैंने नए नियम के बारे में सुना है. लेकिन इस बदलाव में कुछ समय लगेगा. मैं अपने अधीनस्थों से बतौर अभिवादन ‘वंदे मातरम्’ बोलने को कहता हूं. लेकिन आदतन मुंह से ‘हैलो’ ही निकलता है.

वित्त, राजस्व, शहरी विकास, लोक निर्माण, कृषि विभागों के साथ-साथ मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अंदर भी स्थिति बहुत अलग नहीं नजर आई.

सीएमओ में फोन का जवाब देने वाले ऑपरेटर ने कहा कि सरकारी प्रस्ताव विभाग की तरफ से जारी नहीं किया गया और उन्हें पता नहीं कि यह अनिवार्य था या नहीं.

वहीं, दिप्रिंट की तरफ से संपर्क करने पर मुनगंटीवार ने कहा कि यह प्रस्ताव लोगों से ‘वंदे मातरम्’ कहकर अभिवादन करने की एक अपील मात्र था.

उन्होंने आगे कहा, ‘यह शब्द (हैलो) 100 सालों से अधिक समय से इस्तेमाल हो रहा है और किसी पुरानी आदत को बदलना इतना आसान नहीं होता है. लेकिन हम अपील के साथ ‘वंदे मातरम्’ का इस्तेमाल बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, और बदलाव धीरे-धीरे आएगा.’


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बाकायदा प्रस्ताव लाया गया

मुनगंटीवार के अगस्त में किए गए ऐलान को राज्य कैबिनेट का भी समर्थन मिला और सामान्य प्रशासन विभाग ने 1 अक्टूबर को सरकार की तरफ से बाकायदा प्रस्ताव जारी कर दिया.

मुनगंटीवार ने कहा था, ‘भारत को आजादी मिले 75 साल हो गए हैं और इस उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए सरकारी कार्यालयों में सभी अधिकारी और कर्मचारी फोन पर बातचीत की शुरुआत ‘हैलो’ की जगह ‘वंदे मातरम्’ के साथ करेंगे.’

प्रस्ताव में कहा गया कि लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए कर्मचारियों को उनसे मिलने आने वालों का अभिवादन वंदे मातरम् कहकर करना चाहिए.

सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, स्थानीय निकायों, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों आदि पर लागू इस प्रस्ताव में आगे कहा गया, ‘‘हैलो’ शब्द पश्चिमी संस्कृति की नकल है, जिसका न कोई अर्थ है और न ही इसमें स्नेह जैसा कोई भाव है. इसका इस्तेमाल केवल औपचारिकता में किया जाता है. ‘वंदे मातरम्’ बोलने से बेहतर माहौल बनेगा और सकारात्मक ऊर्जा भी मिलेगी.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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