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Tuesday, 5 November, 2024
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आबकारी नीति मामले में AAP सांसद संजय सिंह के परिसरों पर ED के छापे, विपक्ष ने कहा- PM मोदी का डर

संजय सिंह पर आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की 2021-22 के लिए लायी गयी आबकारी नीति ने गुटबंदी को बढ़ावा दिया और कुछ डीलरों को फायदा पहुंचाया जिन्होंने इसके लिए कथित तौर पर रिश्वत दी थी.

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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले के संबंध में बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह के परिसरों पर छापे मारे.

अधिकारियों ने बताया कि मामले के संबंध में कुछ अन्य लोगों के परिसरों पर भी छापे मारे गए.

सिंह ‘आप’ से राज्यसभा सदस्य हैं. ईडी ने इस मामले में पहले उनके स्टाफ सदस्यों और उनसे जुड़े अन्य लोगों से पूछताछ की थी.

ED की छापेमारी पर संजय सिंह पिता ने कहा कि, “विभाग अपना काम कर रहा है, हम उनका सहयोग करेंगे.मैं उस समय का इंतजार करूंगा जब उन्हें मंजूरी मिलेगी.”

वहीं AAP की राष्ट्रीय प्रवक्ता रीना गुप्ता ने कहा कि, “यह सिर्फ PM मोदी का डर है क्योंकि संजय सिंह लगातार उनके और अडाणी के मुद्दे पर सवाल उठाते रहे हैं. मैं PM मोदी से कहना चाहती हूं कि हम सब अरविंद केजरीवाल के मजबूत सिपाही हैं हम डरने वाले नहीं हैं, चाहे वे ED-CBI या किसी को भी भेजें.”

राजद सांसद मनोज झा ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि, “अब ये सिलसिला चुनाव तक चलेगा. PM मोदी और अमित शाह की टीम ने ये बता दिया है कि 2024 के चुनाव की आधिकारिक घोषणा हो चुकी है. कल न्यूजक्लिक के ठिकानों व तमाम पत्रकारों पर और आज संजय सिंह के आवास पर छापेमारी हो रही है. हांडी भर चुकी है, फूटने वाली है.”

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा आप सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, “दिल्ली के शराब घोटाले में AAP सांसद संजय सिंह के यहां आज जांच एजेंसी ने छापेमारी की है. इस मामले में दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल और उनके कट्टर ईमानदार नेताओं के चेहरे बेकनाब होंगे. इन्होंने दिल्ली की जनता को लूटा है. चार्जशीट में पहले से संजय सिंह का नाम था.”

उनपर आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की 2021-22 के लिए लायी गयी आबकारी नीति ने गुटबंदी को बढ़ावा दिया और कुछ डीलरों को फायदा पहुंचाया जिन्होंने इसके लिए कथित तौर पर रिश्वत दी थी.

हालांकि ‘आप पार्टी’ ने इस आरोप का खंडन किया है.

दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से इस मामले की जांच कराने की सिफारिश करने के बाद इस नीति को रद्द कर दिया गया था. सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद ईडी ने धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत एक मामला दर्ज किया था.


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