scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमराजनीतिअब ‘वंशवाद’ का मुद्दा खत्म होने के बाद खड़गे की कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए क्या है BJP की रणनीति

अब ‘वंशवाद’ का मुद्दा खत्म होने के बाद खड़गे की कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए क्या है BJP की रणनीति

भाजपा नेताओं का कहना है कि फोकस अभी भी गांधी परिवार पर रहेगा और वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले ‘रिमोट कंट्रोल’ नैरेटिव को आगे बढ़ाएंगे.

Text Size:

नई दिल्ली: कांग्रेस का नेतृत्व अब एक गैर-गांधी के हाथ में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता इस पर मंथन करने में जुट गए हैं कि विपक्षी दल के खिलाफ हमले के लिए उनकी अगली रणनीति क्या होगी.

राहुल गांधी के पार्टी की कमान—परोक्ष या सीधे तौर पर अध्यक्ष के नाते—संभालने की स्थिति में सत्ताधारी पार्टी के लिए उन्हें आम लोगों की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं से अनजान एक खास परिवार के वंशज और नेतृत्व का कोई गुण न रखने वाले ‘पप्पू’ करार देते हुए घेरना आसान था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भाजपा नेता कांग्रेस को चलाने वाले ‘परिवार’ पर तंज कसते रहते कि उसके विपरीत भाजपा में आम कार्यकर्ता तक कैसे शीर्ष पदों पर पहुंच सकते हैं.

अब, जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बन चुके हैं, दिप्रिंट से बातचीत करने वाले कई बीजेपी नेताओं ने बताया कि अब वे नए सिरे से अपनी रणनीति तैयार करने में लगे हैं. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि वे गांधी परिवार को निशाना बनाना जारी रखेंगे.

खड़गे बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष चुन लिए गए. पार्टी नेता प्रमोद तिवारी ने दिल्ली में नतीजों की घोषणा करते हुए बताया कि उन्होंने शशि थरूर को 1,072 वोट की तुलना में 7,897 वोट हासिल किए. कर्नाटक के वरिष्ठ राजनेता खड़गे 137 साल पुरानी पार्टी का नेतृत्व संभालने वाले केवल तीसरे दलित हैं.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस में कुछ भी बदलने वाला नहीं है. अब हमारे पास एक वंश और एक उसके आदेशों का पालन करने वाली प्रजा होगी. गांधी परिवार खड़गे को जो कुछ करने के लिए कहेगा, वह बस वही करेंगे. साथ ही यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान क्या हुआ था, जब फाइलें 10 जनपथ (सोनिया गांधी का दिल्ली स्थित आवास) में मंजूरी के लिए भेजी जाती थीं. इसलिए हकीकत में कुछ भी बदलने वाला नहीं है. वह और कुछ नहीं बल्कि रिमोट से नियंत्रित अध्यक्ष होंगे.’

‘रिमोट कंट्रोल’ वाला नैरेटिव

बीजेपी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान की तरह ही व्यापक स्तर पर ‘रिमोट-कंट्रोल’ नैरेटिव को आगे बढ़ाने पर फोकस कर रही है.

बीजेपी के नेशनल इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रभारी और पश्चिम बंगाल के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा, ‘आज, राहुल गांधी महज एक सांसद हैं लेकिन जिस तरह से पूरी पार्टी उन पर और उनकी भारत जोड़ो यात्रा पर निर्भर है, यह बताता है कि वह पार्टी में सर्वेसर्वा की हैसियत में बने रहेंगे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यही नहीं, खड़गे के रूप में किसी वृद्ध को नियुक्त करना कांग्रेस के लिए बिल्कुल भी प्रेरक विकल्प नहीं है, जिसे नए खून और नई सोच की जरूरत है—यह एक ऐसी यथास्थितिवादी व्यवस्था है जो सिर्फ गांधी परिवार की सेवा करती है. वह भी उन्हीं में से एक हैं. पूरी प्रक्रिया अशोक गहलोत के साथ शुरू हुई, फिर दिग्विजय सिंह पर पहुंची और अंतत: खड़गे पर आकर टिकी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘पूरा चुनाव एक तमाशा है क्योंकि गांधी परिवार को अपनी पसंद के उम्मीदवार को निर्वाचित कराना था और यह कुछ ऐसा है जिसे शशि थरूर ने भी जाहिर किया. उन्होंने मुकाबला बराबरी का न होने की शिकायत की है. वास्तव में, उन्होंने बताया कि कैसे प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों ने उनका सहयोग नहीं किया, लेकिन खड़गे के प्रति उनका रुख सम्मानजनक रहा.’

मालवीय ने कहा, ‘इसके अलावा, यह नहीं भूलना चाहिए कि कैसे बतौर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान भी सभी फैसले सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तरफ से लिए जाते थे. अगर गांधी परिवार मनमोहन सिंह—जिन्होंने देश के सर्वोच्च राजनीतिक पद के लिए गोपनीयता की शपथ ली थी—के दफ्तर के प्रोटोकाल का उल्लंघन कर सकता है तो खड़गे तो महज कांग्रेस अध्यक्ष ही होंगे.’


यह भी पढ़ें: ‘चालू खाता घाटा, विश्व स्तर पर बढ़ती खाद्य कमी’- मोदी सरकार ने रबी फसलों के लिए क्यों बढ़ाया MSP


गांधी परिवार पर फोकस, खड़गे की दलित पहचान को लेकर सजग

हालांकि, बीजेपी के एक वर्ग ने तर्क दिया कि उनका पूरा ध्यान, विशेषकर चुनावों के दौरान, गांधी परिवार और वो भी खासकर राहुल गांधी को ‘निशाने’ पर लेने पर ही केंद्रित होगा, क्योंकि यह जनभावना को ज्यादा प्रभावित करता है. लेकिन साथ ही खड़गे की दलित पहचान को देखते हुए उन्हें अपनी रणनीति पर फिर से विचार भी करना पड़ सकता है.

बीजपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘खड़गे को अध्यक्ष चुनकर कांग्रेस एक दलित चेहरे को सामने लाई है. एससी/एसटी समुदाय के बीच भाजपा, खासकर पीएम की आउटरीच को देखते हुए उनका उपहास उड़ाना या उन्हें ‘रिमोट-कंट्रोल’ करार देने का दांव उल्टा पड़ने की भी गुंजाइश है. इसलिए पार्टी के नेताओं और प्रवक्ताओं को, खासकर न्यूज डिबेट के दौरान अपने शब्दों को बेहद सावधानी से चुनना होगा.’

एक अन्य नेता ने कहा कि ‘रिमोट-कंट्रोल’ अध्यक्ष वाले नैरेटिव के माध्यम से गांधी परिवार पर निशाना साधने पर फोकस रहेगा, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ नई रणनीति बनानी होगी कि यह बात जनता के दिमाग में बैठाई जा सके.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान ने कहा, ‘मुझे लगता है कि गांधी परिवार का ही कोई सदस्य कांग्रेस पार्टी का चेहरा बना रहेगा. यह कमोबेश स्पष्ट ही है और अतीत में भी हमने देखा है कि कांग्रेस पार्टी के किसी गैर-गांधी अध्यक्ष के साथ कैसा व्यवहार किया गया.’

उन्होंने कहा, ‘हमें अब भी याद है कि कैसे कांग्रेस पार्टी के पूरे नेतृत्व के सामने जाने-माने नेता सीताराम केसरी—जो बिहार के अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के एक सम्मानित नेता थे—का अपमान किया गया था. यह न केवल सीताराम केसरी बल्कि देश की पूरी ईबीसी आबादी का अपमान था. यह कांग्रेस पार्टी की सामंती और अभिजात्य मानसिकता को दर्शाता है.’

पासवान ने कहा, ‘हमें कांग्रेस में किसी मौलिक बदलाव की उम्मीद नहीं है क्योंकि कोई निर्णय लेने की धुरी यह परिवार ही बना रहेगा. इसलिए हम कांग्रेस पर उन मुद्दों को लेकर हमला करेंगे जो देश के आम लोगों से जुड़े हैं और साथ ही पार्टी की आंतरिक समस्याओं पर केंद्रित होंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: खड़गे के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालते ही शशि थरूर ने कहा, ‘कांग्रेस का पुनरुद्धार शुरू हुआ’


share & View comments