नई दिल्ली: शिवसेना के बागी विधायक और महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे के प्रति उनके साथी विधायकों के बढ़ते समर्थन के बीच कहा जा रहा है कि भाजपा ने भी राज्य में सरकार बनाने में सफल होने की स्थिति पर उनके लिए ऑफर तैयार कर रखा है.
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, शिंदे को—2019 की ‘बगावत’ के खिलाड़ी रहे एनसीपी नेता अजीत पवार की तरह—उपमुख्यमंत्री की कुर्सी और उनके साथी बागी विधायकों के लिए नौ विभागों की पेशकश की गई है.
सूत्रों ने बताया कि शिंदे ने अपने सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे के लिए केंद्र सरकार में एक मंत्रालय की मांग भी की है, लेकिन इस पर बाद में गौर किया जाएगा.
यद्यपि भाजपा का मानना है कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने से महज एक कदम दूर रह गई है लेकिन फिलहाल अपने पत्ते चलने में वो पूरी सावधानी बरत रही है—और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के अपने आप ही गिरने का इंतजार कर रही है.
बताया जा रहा है कि वेट एंड वाच रणनीति अपनाने की एक वजह यह भी है कि शिंदे खेमे के पास दलबदल विरोधी कानून के दायरे में आने से बचने लायक संख्या बल जुट जाए, ताकि मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसा रास्ता न अपनाना पड़े.
इन दोनों ही राज्यों में 2019 और 2020 बागी विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और फिर भाजपा ने सदन में घटे संख्याबल के बीच अपना बहुमत साबित कर दिया. इसके बाद इस्तीफा देने वाले विधायकों की सीटों के लिए उपचुनाव हुए.
गौरतलब है क दलबदल विरोधी कानून के तहत यदि कोई भी विधायक किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता है, उसकी विधानसभा सदस्यता खो जाती है. हालांकि, यदि दो-तिहाई विधायक किसी पार्टी को छोड़ देते हैं, तो अलग हुए समूह को किसी अन्य पार्टी के तौर पर मान्यता मिल जाती है और विधायकों को अपनी विधानसभा सदस्यता नहीं गंवानी पड़ती है.
माना जाता है कि शिवसेना के 30 से अधिक विधायक शिंदे के साथ भाजपा-नीत सरकार वाले असम में डेरा डाले हैं, और कुछ निर्दलीय भी उनके साथ हैं, जिससे महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार सियासी संकट में आ गई है.
एमवीए शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठबंधन है और बगावती गुट की मुख्य मांगों में एक यह भी है कि शिवसेना बाकी दोनों के साथ गठबंधन तोड़ दे.
288 सदस्यीय सदन में एमवीए के कुल 152 विधायक हैं. शिवसेना के पास 54 विधायक हैं, जिनमें से दो-तिहाई 37 होंगे. भाजपा सूत्रों ने कहा कि हालांकि, शिंदे 44 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हैं, इसमें निर्दलीय भी शामिल हैं.
भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘हमारे पास निर्दलीय और शिवसेना के बागी विधायकों सहित बहुमत है. लेकिन हम निर्दलीयों पर निर्भर रहने के बजाय शिवसेना के 37 बागी विधायकों का स्पष्ट समर्थन चाहते हैं. आप निर्दलीय के बल पर इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकते.’
भाजपा सूत्रों ने बताया कि शिंदे को दो-तिहाई के आंकड़े तक पहुंचने के लिए शिवसेना के एक या दो और विधायकों के समर्थन की जरूरत है.
सदन में 106 विधायकों वाली भाजपा ने इस सप्ताह के शुरू में विधान परिषद चुनावों में अपने पांच उम्मीदवारों के लिए 134 वोट हासिल किए, जिसमें निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों के अलावा कथित तौर कुछ वोट एमवीए खेमे से हासिल हुए माने जा रहे हैं.
इस बीच, भाजपा सांसद मनोज कोटक ने कहा है कि पार्टी ‘सरकार बनाने के लिए बेताब नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘समय आने पर हम अपना कार्ड खोलेंगे. स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है क्योंकि उद्धव ठाकरे ने अभी इस्तीफा नहीं दिया है. हालांकि, एमवीए अपने आप ही टूट रहा है.’
महाराष्ट्र भाजपा के महासचिव सुजीत ठाकुर ने कहा, ‘पार्टी एक फूलप्रूफ योजना के साथ आगे बढ़ रही है.’
उन्होंने कहा, ‘अभी राज्यपाल के पास जाने का समय नहीं आया है (सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए).’
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‘सरकार गठन पर बातचीत’
भाजपा के शीर्ष नेताओं ने दिप्रिंट से बातचीत में इसकी पुष्टि की कि पार्टी शिवसेना के बागी विधायकों को हर तरह की सहायता प्रदान कर रही है और महाराष्ट्र में सरकार गठन पर बातचीत भी शुरू कर दी गई है.
अगर योजना सफल रही तो पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद सौंपा जा सकता है.
ऊपर उद्धृत वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘फडणवीस और भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए बागी नेताओं के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि उद्धव खुद ही अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.’
उन्होंने कहा, ‘नहीं तो, एक या दो दिन में हम अपना अगला कदम उठा लेंगे. हम नहीं चाहते कि ऐसा लगे कि भाजपा ने एमवीए सरकार गिरा दी है. ऐसा लगना चाहिए कि सरकार शिवसेना में अंदरूनी कलह के कारण गिरी.’
शिंदे को दिए गए ऑफर के बारे में बात करते हुए, भाजपा के एक दूसरे नेता ने कहा कि उन्हें उपमुख्यमंत्री पद और लगभग नौ विभाग (अन्य विधायकों के लिए) देने का वादा किया गया है.
महाराष्ट्र में मंत्री रहे उक्त नेता ने कहा, ‘वह अपने बेटे श्रीकांत शिंदे के लिए भी मंत्री पद (केंद्र सरकार में) चाहते हैं. लेकिन इस पर बाद में गौर किया जाएगा. इसके अलावा, उन्हें डबल-इंजन सरकार के माध्यम से सारी शक्तियां और सुविधाएं मिलेंगी.’
मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसा फॉर्मूला नहीं
भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी ने यह तो तय कर लिया है कि महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने के लिए मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसा रास्ता नहीं अपनाने जा रही है, क्योंकि इस राज्य में राजनीतिक समीकरण काफी ‘अप्रत्याशित’ हैं.
2020 में मध्यप्रदेश में तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और 22 कांग्रेस विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी और विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था.
इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बहुमत गंवा दिया और इस्तीफा दे दिया. भाजपा ने सदन की कम संख्या में बहुमत साबित किया और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बन गई.
इसके बाद कांग्रेस के पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हो गए और उनमें से कई उपचुनावों में भाजपा के टिकट पर फिर जीत हासिल करने में सफल भी रहे.
कर्नाटक में भी यही फॉर्मूला अपनाया गया, जहां कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के 17 विधायकों ने बगावत के बाद विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद बतौर मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की वापसी हुई, और 12 विधायक बाद में भाजपा के टिकट पर फिर से चुने गए.
नेता ने आगे कहा, ‘जहां तक महाराष्ट्र का सवाल है तो दो-तीन दर्जन विधायकों के इस्तीफे के बाद उनकी फिर से जीत सुनिश्चित होने के बारे में दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता. इसलिए हम चाहते हैं कि शिंदे का समूह अलग हो जाए. यह बाद में तय किया जाएगा कि वे भाजपा में शामिल होंगे या नहीं.’
नेता ने यह भी कहा कि विधानसभा ने अभी ‘अपना आधा कार्यकाल ही पूरा किया है और ऐसे में कई विधायक अभी फिर चुनाव में जाने से हिचकिचा रहे हैं.’
‘सटीक निशाना’
भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी को भरोसा है कि एमवीए की सरकार गिरेगी अवश्य. क्योंकि मुख्यमंत्री का भाषण इस बात का सबूत है कि सरकार के पास न तो संख्या है और न ही खुद को बचाने की कोई रणनीति.
मुख्यमंत्री ठाकरे न बुधवार को अपने फेसबुक लाइव संबोधन में कहा था, ‘अगर आप यही चाहते हैं तो मैं अभी इस्तीफा देने को तैयार हूं और जब आपको मुझ पर भरोसा ही नहीं है तो इस एफबी लाइव के बाद मैं आज ही वर्षा से मातोश्री शिफ्ट हो रहा हूं.’
हालांकि, उन्होंने कहा कि जो विधायक उनका इस्तीफा चाहते हैं, उन्हें खुद सामने आकर उनसे सीधे तौर पर यह बात कहनी चाहिए.
इस भाषण को उद्धव ठाकरे के शिव सैनिकों को विद्रोहियों के खिलाफ खड़े करने और खुद को भाजपा की पॉवर पॉलिटिक्स के शिकार के तौर पर पेश करने की कोशिश माना जा रहा है.
भाषण के बारे एक भाजपा नेता ने कहा, ‘राजनीति में भावनाओं का कोई मतलब नहीं होता है.’
सूत्र ने कहा, ‘उनका विधायक दल टूटने के कगार पर है, वह जंग हार चुके राजा की तरह संबोधित कर रहे थे.’
ऊपर उद्धृत दूसरे वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी ‘सरकार बनाने से बस एक कदम दूर है.’
नेता ने आगे कहा, ‘हमें मध्य प्रदेश में सिंधिया की तरह ही शिवसेना को तोड़ने के लिए एक मजबूत नेता की जरूरत थी. हमने शिंदे को इसके उपयुक्त पाया. हमने कई महीनों तक उनकी नाराजगी और महत्वाकांक्षाओं का आकलन किया. अब हम सिर्फ एक कदम दूर हैं, दो-तीन विधायकों का इंतजाम करना कोई बड़ी बात नहीं है.’
यह पूछे जाने पर कि यदि शिंदे आवश्यक संख्या बल नहीं जुटा पाते हैं तो नेता ने कहा, ‘अगर फ्लोर टेस्ट में एमवीए अल्पमत में आ जाता है तो भाजपा कुछ समय के लिए राष्ट्रपति शासन की मांग कर सकती है.’
इस बीच, फडणवीस—जो भाजपा सूत्रों के मुताबिक शिंदे गुट के साथ बातचीत कर रहे हैं—ने पूरी प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए नारायण राणे और रावसाहेब दानवे जैसे करीबी सहयोगियों से भी मुलाकात की है.
फडणवीस खेमे के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि भाजपा के लिए महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश करना अब ‘केवल कुछ ही समय की बात है.’
फडणवीस ने कहा, ‘योजना एक सटीक निशाने के साथ आगे बढ़ने की है. हमारी रणनीति पिछले विधानसभा चुनाव (और गठबंधन सरकार बनाने) के जनादेश का पालन नहीं करने के लिए उद्धव (ठाकरे) को सबक सिखाने की है’
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शिवसेना में टूट की वजह केवल आंतरिक मुद्दे नहीं हैं. बल्कि ‘शिवसेना के कई विधायकों पर प्रवर्तन निदेशालय का दबाव’ भी काम कर रहा है.
शिवसेना के बारे में अध्ययन करने वाले संजय पाटिल का कहना है, ‘शिंदे के साथ जाने वाले कई विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ ईडी ने जांच शुरू कर रखी है और जिनकी संपत्ति ईडी ने कुर्क की है, जैसे यामिनी जाधव और प्रताप सरनाइक आदि.’
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