नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में मतदाताओं को खरीदने के लिए प्रतिबंधित ड्रग्स का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया, जबकि तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में इसके लिए सोने और नकदी और असम में शराब का उपयोग किया गया.
दिप्रिंट को मिली चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में चुनाव खर्च पर्यवेक्षक की तरफ से 15 अप्रैल तक करीब 300 करोड़ रुपये का ड्रग्स, कैश, गोल्ड और मुफ्त बांटी जाने वाली अन्य चीजें—मोबाइल और पंखे से लेकर हिल्सा मछली तक—जब्त की गई हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी, जबकि तीन चरण का मतदान बाकी है, तक बरामद की गई राशि 2016 के विधानसभा चुनावों के दौरान हुई कुल बरामदगी का आठ गुना है—जब 44 करोड़ रुपये का अवैध सामान जब्त किया गया था. बंगाल में शनिवार को पांचवें चरण के लिए मतदान हुआ है.
रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 118.83 करोड़ रुपये के ड्रग्स या मादक पदार्थ जब्त किए गए वहीं, असम में 34.41 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त हुई है. वहीं, केरल और तमिलनाडु के लिए यह आंकड़ा क्रमश: 4 करोड़ रुपये और 2 करोड़ रुपये था. रिपोर्ट में इसका कोई उल्लेख नहीं है कि किस तरह के ड्रग्स जब्त किए गए हैं.
हालांकि, इसमें यह बताया गया है कि दक्षिणी राज्यों में अधिकतम बरामदगी सोने और नकदी की हुई थी.
बंगाल में मतदाताओं को लुभाने के लिए ड्रग्स, मोबाइल और हिल्सा
भारतीय चुनाव आयोग (ईसी) के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दलों की तरफ से मतदाताओं को खरीदने के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर नजर रखने के लिए आबकारी विभाग, आयकर विभाग, राज्य पुलिस और नारकोटिक्स ब्यूरो समेत 11 एजेंसियों को लगाया गया था.
चुनाव आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि एजेंसियों ने 118 करोड़ रुपये के ड्रग्स के अलावा 88 करोड़ रुपये की हिल्सा मछली, पंखे और मोबाइल जैसी चीजें, 50 करोड़ रुपये की नकदी, 30 करोड़ रुपये की शराब और 12 करोड़ रुपये का सोना बरामद किया है.
इसमें से तमाम बरामदगी बांग्लादेश सीमा के पास हुई जो अवैध धन के लिए सबसे आसान ट्रांसिज प्वाइंट है.
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘इससे साफ पता चलता है कि इन विधानसभा चुनावों में वोट खरीदने के लिए कितना पैसा बहाया जा रहा है. अभी बंगाल में चुनाव पूरा नहीं हुआ है और यह तो एक बहुत मामूली हिस्सा है. जांच पूरी होने के बाद अवैध धन का अंतिम आंकड़ा सामने आएगा. मतदाताओं को खरीदने के लिए ड्रग्स का उपयोग सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है.’
रिपोर्ट में इसका उल्लेख नहीं किया गया है कि इसमें कौन-सी पार्टी शामिल थी.
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तमिलनाडु, केरल में वोट खरीदने के लिए सोना-नकदी पहली पसंद
चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि मतदाताओं को खरीदने के लिए नकदी के इस्तेमाल की सूची में तमिलनाडु सबसे ऊपर है. तमिलनाडु में लगभग 236 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए हैं, जो इस समय चुनाव वाले चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में बरामद नगदी की तुलना में सबसे ज्यादा है.
तमिलनाडु के बाद पश्चिम बंगाल, जहां 50 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए, असम (27 करोड़ रुपये), केरल (22.58 करोड़ रुपये) और पुडुचेरी (5.52 करोड़ रुपये) का नंबर आता है.
तमिलनाडु में चुनाव के दौरान नकदी के अलावा, 176.46 रुपये मूल्य का सोना जब्त किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद केरल (50 करोड़ रुपये का सोना), पुडुचेरी (27.42 करोड़ रुपये), पश्चिम बंगाल (12.07 करोड़ रुपये) और असम (3.69 करोड़ रुपये) का नंबर रहा.
असम में शराब की सबसे ज्यादा मांग रही
असम, हालांकि, इस चुनावी मौसम में शराब की बरामदगी के मामले में सूची में सबसे ऊपर रहा. असम में 6 अप्रैल को अंतिम चरण के मतदान तक 41.97 करोड़ रुपये की शराब जब्त की गई थी.
इसके बाद पश्चिम बंगाल का नंबर था, जहां 30 करोड़ रुपये की शराब जब्त की गई थी. इस मामले में तमिलनाडु (5.27 करोड़ रुपये), केरल (5.16 करोड़ रुपये) और पुडुचेरी (70 लाख रुपये) इससे पीछे रहे.
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तमिलनाडु का रिकॉर्ड सबसे खराब
रिपोर्ट में बताया गया है कि चुनावों के दौरान अवैध धन के इस्तेमाल के मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड तमिलनाडु का रहा. राज्य में 6 अप्रैल को एक चरण में मतदान हुआ था लेकिन तब तक 446 करोड़ रुपये की नकदी और अन्य सामान जब्त किए गए थे. जबकि बंगाल 300 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर रहा, इसके बाद असम (122.34 करोड़ रुपये), केरल (84.91 करोड़ रुपये) और पुडुचेरी (36.95 करोड़ रुपये) का नंबर रहा.
इन चार राज्यों और पुडुचेरी में 2016 के विधानसभा चुनावों में कुल जब्ती 225.77 करोड़ रुपये की थी. यह अब तक चार गुना बढ़कर लगभग 1,000 करोड़ रुपये हो गई है. जबकि पश्चिम बंगाल में तीन चरणों के चुनाव अभी बाकी हैं.
केवल तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में हुई बरामदगी ही 2016 के चुनावों में बरामद कुल राशि से ज्यादा को चुकी है.
हालांकि, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) के त्रिलोचन शास्त्री ने दिप्रिंट को बताया कि चुनाव आयोग की तरफ से जारी आंकड़े तो बहुत मामूली हिस्सा हैं.
शास्त्री ने कहा, ‘राजनीतिक दलों की तरफ से मतदाताओं को खरीदने के लिए जमकर धन का दुरुपयोग होता है. ऐसा लगता है कि लोगों और राजनीतिक दलों के लिए अलग नियम हैं. क्या आप सोच सकते हैं कि अगर कोई व्यक्ति इतने अधिक ड्रग्स के साथ पकड़ा जाए तो क्या होगा? लेकिन राजनीतिक दलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जमीनी स्तर पर हर चुनाव पर्यवेक्षक और खुफिया एजेंसी को पता है कि क्या हो रहा है. पैसे का लेन-देन कैसे होता है, लेकिन वे आमतौर पर यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं और मामले की बहुत लंबे समय तक जांच नहीं करना चाहते. धन शक्ति के कारण हमारा लोकतंत्र खतरे में है. जिनके पास बहुत ज्यादा पैसा है वे पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं और खेल के मैदान की सूरत बदल सकते हैं.’
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