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Saturday, 4 May, 2024
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संदेशखाली पर हाईकोर्ट आदेश के बाद ड्रामा: CID कार्यालय पहुंची CBI शाहजहां के बिना लौटी

कलकत्ता HC ने 5 जनवरी को ईडी टीम पर हुए हमले की CBI जांच के आदेश देते हुए सीआईडी को टीएमसी नेता की हिरासत केंद्रीय एजेंसी को सौंपने का निर्देश दिया. बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की.

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कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर 5 जनवरी को संदेशखाली के पास तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के मजबूत नेता शेख शाहजहां के आवास पर छापेमारी के दौरान हुए हमले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच का आदेश दिया — जो कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार के लिए एक बड़ा झटका है.

आदेश पारित करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणम ने राज्य पुलिस के नेतृत्व वाली सीआईडी को शाम 4:30 बजे तक शाहजहां की हिरासत केंद्रीय एजेंसी को सौंपने का भी आदेश दिया.

कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की सुरक्षा में सीबीआई अधिकारी शाहजहां को हिरासत में लेने के लिए कोलकाता में सीआईडी मुख्यालय पहुंचे. हालांकि, करीब दो घंटे बाद सीबीआई की टीम बिना किसी ताकतवर अधिकारी के सीआईडी कार्यालय से निकल गई.

पश्चिम बंगाल सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की है, जिस पर बुधवार को सुनवाई होने की संभावना है. फिलहाल, शेख शाहजहां कोलकाता में सीआईडी की हिरासत में हैं.

ईडी अधिकारियों पर हमले का मामला सीबीआई को सौंपा जाना राज्य के लिए झटका है क्योंकि अब तक राज्य पुलिस शेख शाहजहां के खिलाफ ईडी अधिकारियों पर हमले समेत सभी मामलों की जांच कर रही थी. मंगलवार के कोर्ट के आदेश के साथ, मुख्य न्यायाधीश ने राज्य पुलिस की भूमिका को पूरी तरह से खत्म करते हुए जांच की जिम्मेदारी पूरी तरह से सीबीआई पर स्थानांतरित कर दी है.

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संयोग से पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले सीबीआई से सामान्य सहमति वापस ले ली थी, जिसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि बंगाल के भीतर जांच करने के लिए, सीबीआई को राज्य सरकार से सहमति लेनी होगी.


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दयनीय स्थिति : HC

दिप्रिंट द्वारा देखे गए कलकत्ता हाई कोर्ट के मंगलवार के आदेश में कहा गया है, “हमारे मन में यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि यह विश्वास हिल गया है और जो मामला हाथ में है, उसे जांच के लिए सीबीआई को सौंपने की आवश्यकता से बेहतर कोई मामला नहीं हो सकता है.यह एक दयनीय स्थिति है जब हम ईडी द्वारा लगाए गए आरोप को सुनते हैं कि उन्हें उनकी शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर की प्रति भी नहीं दी गई थी…और वे रिट याचिका दायर करने के बाद ही प्रमाणित प्रति सुरक्षित कर पाए थे.”

ईडी ने कोर्ट के समक्ष दावा किया कि उसके अधिकारियों पर हमले के लिए आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत एफआईआर की मांग करने के बावजूद, पुलिस ने इस धारा को शामिल नहीं किया. केंद्रीय एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने अदालत में हलफनामा दाखिल करने तक एफआईआर की एक प्रति साझा नहीं की, जहां ईडी के कोलकाता जोन के उप निदेशक ने अपने अधिकारियों पर हमले के संबंध में शिकायत दर्ज कराई, वहीं नज़ात थाने ने ईडी अधिकारियों के खिलाफ जवाबी एफआईआर दर्ज की.

कोर्ट के 19 पृष्ठों के आदेश में कहा गया, “इस प्रकार, ईडी ने तर्क दिया कि उनके अधिकारियों को राजनीतिक कारणों से शाहजहां के इशारे पर एफआईआर नंबर 7 में झूठा फंसाया गया है. इसके अलावा, यह तर्क दिया गया कि राशन सामग्री के वितरण घोटाले में शामिल राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रभाव के कारण, राज्य पुलिस दबाव बनाने और चल रही जांच में बाधा डालने के लिए पूरी प्रक्रिया को विफल करने के लिए सभी कदम उठा रही है.”

इसमें कहा गया है: “यह तर्क दिया गया है कि राज्य पुलिस द्वारा की गई कोई भी जांच न तो उद्देश्यपूर्ण होगी और न ही निष्पक्ष होगी और इसे न्याय का पूर्ण गर्भपात कहा जा सकता है. इस तथ्यात्मक पृष्ठभूमि में ईडी ने सभी मामलों को सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग की.”

शेख शाहजहां और ईडी अधिकारियों पर हमला

शेख शाहजहां — तृणमूल जिला संयोजक जिसे 29 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था और अब पार्टी द्वारा निलंबित कर दिया गया है — और उसके सहयोगियों पर संदेशखाली निवासियों ने जमीन हड़पने, जबरन वसूली, राजनीतिक बाहुबल और महिलाओं के शोषण का आरोप लगाया है.

55 दिनों तक फरार रहने के बाद शाहजहां को न सिर्फ संदेशखाली का गुस्सा झेलना पड़ रहा है, बल्कि 5 जनवरी को ईडी अधिकारियों पर हुए हमले में भी उसे मुख्य आरोपी बनाया गया है.

5 जनवरी को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) घोटाला मामले में शाहजहां के आवास पर छापेमारी के दौरान भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद ईडी के तीन अधिकारी घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.

पिछले महीने ईडी ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसमें मामले की जांच के लिए सीबीआई और पश्चिम बंगाल पुलिस की संयुक्त विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया था. पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए ईडी ने मुख्य न्यायाधीश की पीठ से मामले की जांच केवल सीबीआई से कराने का निर्देश देने की मांग की.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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