हैदराबाद: मुसलमानों की अच्छी-खासी आबादी वाले पुराने हैदराबाद को ‘मिनी पाकिस्तान’ बताने, रोहिंग्या मुसलमानों को ‘आतंकवादी’ करार देते हुए उन्हें गोली मार देने और 2018 में फिल्म ‘पद्मावत’ की स्क्रीनिंग वाले सिनेमाघरों को जलाने का आह्वान करने वाले ठाकुर राजा नवल सिंह लोध का विवादों से काफी पुराना नाता रहा है. अपने विवादित बयानों के चलते वह पहले भी कई राजनीतिक तूफानों की चपेट में आ चुके हैं.
पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ कथित मुस्लिम विरोधी टिप्पणी और बयानों को लेकर हैदराबाद में गिरफ्तारी के तुरंत बाद भाजपा ने तेलंगाना के विधायक सिंह को मंगलवार को पार्टी से निलंबित कर दिया.
20 अगस्त को शहर में आयोजित कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के शो को लेकर उन्होंने यह टिप्पणी की थी. राजा सिंह ने इस कार्यक्रम का विरोध किया और फारूकी पर अपने शो के दौरान हिंदू देवताओं का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कार्यक्रम स्थल को जलाने की धमकी भी दी थी.
भाजपा की ओर से विधायक का निलंबन पत्र उनके खिलाफ दर्ज कम से कम दो एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किए जाने के कुछ घंटे बाद आया.
सिंह ने मंगलवार को अपनी गिरफ्तारी के समय कहा, ‘मैं अपने समुदाय की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाऊंगा. मैं मरने को भी तैयार हूं. मैं वीडियो का दूसरा भाग भी अपलोड करूंगा.’ इसके तुरंत बाद शहर के पुराने हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.
मंगलवार शाम एक स्थानीय अदालत ने उन्हें जमानत दे दी.
सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील पुराने शहर हैदराबाद के गोशामहल से विधायक राजा सिंह के लिए विवाद कोई नई बात नहीं है.
टाइगर राजा सिंह के रूप में जाने जाने वाले विधायक ने खुद को ‘हिंदू धर्म’ का रक्षक बताया. अपने 2018 के चुनावी हलफनामे में उन्होंने जानकारी दी थी कि उनके खिलाफ 43 आपराधिक मामले दर्ज हैं- 2014 में दर्ज मामलों की संख्या से दोगुनी.
वह अपने ध्रुवीकरण वाले भाषणों के लिए भी जाने जाते हैं. अकेले 2018 में उनके खिलाफ हेट स्पीच और बिना अनुमति के रैलियां करने के लिए लगभग 15 मामले दर्ज किए गए थे. 2020 तक, उनके खिलाफ 60 आपराधिक मामले लंबित थे. इनमें से ज्यादातर मामले नफरत फैलाने वाले बयानों को लेकर थे.
यह भी पढ़ें: ‘चिन्ह नहीं लेकिन विचारधारा है’: शिवसेना की कलह का इस्तेमाल कर MNS को फिर खड़ा करने में जुटे राज ठाकरे
हेट स्पीच और फेसबुक प्रतिबंध
राजा सिंह को उनके सांप्रदायिक भड़काऊ भाषणों के लिए जाना जाता है. 2019 में उन्हें मंगलहट पुलिस स्टेशन की ‘राउडी शीटर्स’ की सूची में शामिल किया गया था.
2013 में भाजपा से जुड़ने से पहले राजा सिंह अविभाजित आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी का हिस्सा थे.
उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार के रूप में गोशामहल सीट से 2014 का विधानसभा चुनाव (तत्कालीन अविभाजित आंध्र में) लड़ा और जीता. उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट को बरकरार रखा.
2015 में सिंह को हैदराबाद पुलिस ने शहर के उस्मानिया यूनिवर्सिटी में प्रस्तावित बीफ फेस्टिवल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद हिरासत में लिया गया था.
लगातार विवादों से घिरे रहने के बावजूद राजा सिंह की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई. 2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहर में एक जनसभा को संबोधित किया और भाजपा के सभी उम्मीदवारों का परिचय दिया, तो राजा सिंह के नाम पर सबसे ज्यादा तालियां बजीं और जयकारे लगे थे.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव के दौरान उनके लिए प्रचार करने वालों की लिस्ट में भी वह शामिल थे.
सिंह का नाम इस साल फरवरी में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के समय एक और विवाद में सामने आया था. वायरल हुए एक वीडियो में वह कहते नजर आए कि आदित्यनाथ ने भाजपा को वोट नहीं देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बुलडोजर तैयार किया हुआ है. ये ऐसे शब्द थे जिन्होंने भारत के चुनाव आयोग को उन्हें नोटिस भेजने के लिए मजबूर कर दिया.
सबसे बड़े विवादों में से एक फेसबुक पर उन्हें बैन करना रहा. 2020 में फेसबुक, जिसे अब मेटा कहा जाता है, ने हेट स्पीच पर अपनी नीति का उल्लंघन करने के लिए अपने तमाम प्लेटफॉर्म्स से उन्हें बैन कर दिया था.
फेसबुक ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि फेसबुक की सामग्री नीति भारत में सत्तारूढ़ पार्टी के अनुकूल है. रिपोर्ट में भारत में शीर्ष सार्वजनिक नीति के अधिकारियों ने भाजपा से जुड़े कम से कम चार व्यक्तियों और समूहों पर हेट स्पीच पर अपने स्वयं के नियम लागू नहीं करने के लिए सरकार-व्यावसायिक संबंधों का हवाला दिया था.
रिपोर्ट में जिन हेट स्पीच का जिक्र किया गया था, उसमें से एक सिंह का अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का कथित आह्वान था.
सिंह ने अपनी ओर से यह कहते हुए अपना बचाव किया कि उन्होंने तो 2019 में फेसबुक छोड़ दिया था. इसलिए उन पर बैन नहीं लगाया जा सकता है.
2018 में उन्होंने दावा किया कि वह और उनके स्वयंसेवक न केवल अपनी जान देने के लिए तैयार हैं, बल्कि गायों की रक्षा के लिए जान ले भी सकते हैं. उसी साल उन्होंने घोषणा की थी कि वह ‘गौ रक्षा पर ध्यान केंद्रित करने’ के लिए भाजपा से इस्तीफा दे रहे हैं. उस समय उन्होंने पार्टी पर उनके सामाजिक काम के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं देने का आरोप लगाया था. हालांकि भाजपा ने उस समय उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: उत्तर भारत में लिंगानुपात में दिख रहा सुधार, दक्षिण भारत की स्थिति खराब: प्यू रिसर्च