नई दिल्ली: मणिपुर की पूर्व राज्यपाल अनुसुइया उइके इस बात से हैरान हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके और नागरिक समाज के सदस्यों के बार-बार अनुरोध के बावजूद संकटग्रस्त राज्य का दौरा क्यों नहीं किया.
उन्होंने बुधवार को दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में कहा, “राज्य के लोग चाहते थे कि प्रधानमंत्री आएं और वह अनुरोध करते रहे, जिन्हें मैं पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) को भेजती रही, लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्होंने दौरा क्यों नहीं किया.” राज्यपाल ने मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई आबादी और कुकी-जो आदिवासी समुदाय के बीच जारी जातीय हिंसा और “केंद्र द्वारा विश्वास बहाली” की ज़रूरत पर बात की.
फरवरी 2023 में कार्यभार संभालने के बाद इस साल जुलाई में मणिपुर राजभवन से सेवानिवृत्त हुईं उइके ने कहा कि कुछ महीनों की शांति के बाद इस महीने फिर से हिंसा भड़कने से वे बहुत आहत हैं.
मई 2023 से शुरू हुए संघर्ष काल में वे राज्यपाल के पद पर थीं और उनके अनुसार, “हिंसा का एकमात्र समाधान दोनों समुदायों के बीच आपसी विश्वास की बहाली है और केंद्र सरकार को इसे बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए”.
उइके ने आरोप लगाया कि “संघर्ष के पीछे अंतर्राष्ट्रीय हाथ है, यही वजह है कि केंद्र के प्रयासों के बावजूद हिंसा को रोका नहीं जा सका”. उन्होंने मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के अपने प्रयासों के बारे में भी बात की और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का बचाव किया, जिन्हें लगातार अशांति की स्थिति के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है.
उन्होंने राज्य के जिरीबाम जिले में 7 नवंबर को एक हमार महिला की नृशंस हत्या का ज़िक्र करते हुए कहा, “पारंपरिक रूप से मणिपुर समृद्ध संस्कृति और कला का राज्य रहा है. यह एक खूबसूरत राज्य है, लेकिन हाल ही में (नवंबर में) हुई हिंसा ने स्थापित शांति को बाधित कर दिया है. यह कैसे हुआ, मुझे नहीं पता, लेकिन मैं यह सुनकर बहुत स्तब्ध हूं कि कैसे एक महिला को मार दिया गया और जला दिया गया. मैं मणिपुर के सभी लोगों से स्थायी शांति के लिए विश्वास और आपसी विश्वास बनाने की अपील करती हूं.”
शिक्षिका और तीन बच्चों की मां, महिला को ज़ैरावन में उनके घर पर अज्ञात हथियारबंद लोगों ने कथित तौर पर बलात्कार के बाद जलाकर मार डाला.
उइके ने इस फरवरी में कहा था कि मणिपुर में हिंसा के कारण 3 मई 2023 को पहली बार भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
ज़ैरावन की घटना के बाद, नवीनतम हिंसक घटनाओं में जिरीबाम में छह मैतेई महिलाओं और बच्चों का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया और उनकी हत्या कर दी गई. हथियारबंद लोगों द्वारा घरों और दुकानों पर हमले और उसके बाद सीआरपीएफ चौकी और बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन पर लक्षित हमलों की भी खबरें आई हैं. हिंसा की ताज़ा लहर में मरने वालों की संख्या 20 तक पहुंच गई है, जिसमें कुकी-मैतेई संघर्ष के दोनों पक्षों के हताहत शामिल हैं.
मणिपुर के वर्तमान राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य हैं, जो असम के भी राज्यपाल हैं.
यह भी पढ़ें: मणिपुर में ‘भाजपा के भीतर पड़ी फूट’ — CM बीरेन सिंह का घटता जनाधार पार्टी के लिए सिरदर्द
‘मणिपुर के लोगों को प्रधानमंत्री से प्यार’
इस हफ्ते विपक्ष ने मणिपुर में अशांति को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने को कहा और प्रधानमंत्री के राज्य का दौरा न करने पर उनकी आलोचना की.
उइके ने दिप्रिंट से कहा, “मणिपुर के लोग प्रधानमंत्री मोदी से प्यार करते हैं क्योंकि उन्होंने पूरे पूर्वोत्तर के विकास के लिए काम किया है. मैंने इस क्षेत्र में कई जगहों का दौरा किया है और उनके नेतृत्व में विकास देखा है. जब संघर्ष शुरू हुआ, तो कई नागरिक समाज संगठन मेरे पास आए और अनुरोध किया कि प्रधानमंत्री राज्य का दौरा करें.”
उन्होंने कहा, “मैं उन अनुरोधों को पीएमओ को भेजती रही और मैंने इन नागरिक समाज के सदस्यों से भी कहा कि वह अपना अनुरोध सीधे पीएमओ को भेजें ताकि उन्हें याद दिलाया जा सके कि इस राज्य के लोग चाहते हैं कि वह दौरा करें लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया.”
उन्होंने आगे कहा, “इसके पीछे अन्य विचार हो सकते हैं क्योंकि गृह मंत्रालय और पीएमओ प्रतिदिन स्थिति की निगरानी कर रहे हैं.”
खरगे ने मंगलवार को अपने पत्र में उइके के शब्दों को दोहराया. “आप जानते ही होंगे कि मई 2023 से मणिपुर के लोगों की मांग के बावजूद प्रधानमंत्री ने राज्य का दौरा नहीं किया है. वहीं, दूसरी ओर लोकसभा में विपक्ष के नेता पिछले 18 महीनों में तीन बार मणिपुर आ चुके हैं और मैं खुद इस दौरान राज्य का दौरा कर चुका हूं. प्रधानमंत्री का मणिपुर आने से इनकार करना किसी की भी समझ से परे है.”
उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों का प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर से भरोसा उठ गया है कि वह उनके जान-माल की रक्षा नहीं करेंगे.
मणिपुर संघर्ष को “असाधारण” अनुपात की त्रासदी बताते हुए खरगे ने लिखा कि कांग्रेस का दृढ़ विश्वास है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा “जानबूझकर की गई चूक और कमीशन के कृत्यों” के परिणामस्वरूप “पूरी तरह से अराजकता, मानवाधिकारों का उल्लंघन, राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता और हमारे देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का दमन” हुआ है.
‘जब मैं गई, राज्य सामान्य स्थिति में लौट रहा था’
मणिपुर के राज्यपाल के रूप में अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, उइके, जो मणिपुर और केंद्र दोनों में सत्ता में मौजूद भाजपा से हैं, ने कहा कि जब उन्होंने फरवरी 2023 में कार्यभार संभाला था, तब चीज़ें सामान्य थीं, लेकिन गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर अशांति शुरू हो गई. अभी तक, चिन, कुकी, ज़ोमी, मिज़ो, हमार और नागा सहित आदिवासी समूहों को मणिपुर में एसटी का दर्जा प्राप्त है.
उस साल मार्च में मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश के बाद हिंसा भड़की थी, जिसमें मैतेई को एसटी का दर्जा देने का सुझाव दिया गया था. उइके ने कहा, “हाई कोर्ट के फैसले के बाद, केंद्र ने स्थिति से निपटने के लिए केंद्रीय बलों को भेजकर तेज़ी से कार्रवाई की. न केवल राज्य सरकार, बल्कि केंद्र भी स्थिति को संभालने में शामिल रहा है.”
उन्होंने कहा, “केंद्र ने डीजीपी स्तर और अन्य अधिकारियों को तैनात किया, जो मणिपुर को जानते हैं और जिनका वहां की स्थिति से निपटने का ट्रैक रिकॉर्ड है. राज्यपाल के पद पर रहते हुए मैं समय-समय पर केंद्र को स्थिति से अवगत कराती रहती थी. सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मैंने राजभवन के दरवाजे खोले और व्यक्तिगत रूप से महिला समूहों से बातचीत शुरू की, शिविरों का दौरा किया और समाज में विश्वास पैदा करने के लिए सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लिया. जब मैंने पद छोड़ा तो एक हद तक सामान्य स्थिति बहाल हो चुकी थी और शांति के मोर्चे पर सब कुछ आशाजनक लग रहा था.”
यह पूछे जाने पर कि केंद्र द्वारा भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती और गृह मंत्री (अमित शाह) द्वारा व्यक्तिगत रूप से मामलों को देखने के बावजूद शांति क्यों स्थापित नहीं हो सकी, उइके ने हिंसा के मद्देनज़र मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भारी अविश्वास को जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने कहा, “केंद्र के प्रयासों के बावजूद जो भरोसा टूटा है, उसे बहाल नहीं किया जा सका. पिछले महीने केंद्र सरकार ने दोनों समुदायों के विधायकों और नेताओं को बातचीत के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए दिल्ली बुलाया था, लेकिन ज्यादा प्रगति नहीं हुई.”
उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि म्यांमार की ओर से मणिपुर में अशांति के पीछे कोई अंतर्राष्ट्रीय साजिश है. मैंने अपने कार्यकाल के दौरान म्यांमार सीमा का दौरा किया था और केंद्र ने घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर बाड़ लगाने का काम शुरू कर दिया है. इसके अलावा, केंद्र दोनों समुदायों के बीच विश्वास बनाने के लिए प्रयास कर रहा है. प्राथमिकता जल्द से जल्द शांति स्थापित करने की होनी चाहिए.”
यह भी पढ़ें: मणिपुर जातीय संघर्ष और टूटे-फूटे सिस्टम से जूझ रहा है; सीएम, पुलिस, सेना एक-दूसरे से असहमत हैं
‘बीरेन सिंह को नहीं मिला ज़्यादा वक्त’
जब उइके से विपक्ष द्वारा राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में विफल रहने के लिए बीरेन के इस्तीफे की मांग और उन पर समस्या का हिस्सा होने के आरोप के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने मणिपुर के सीएम का बचाव किया.
पूर्व राज्यपाल ने कहा, “बीरेन सिंह को मणिपुर में काम करने का समय नहीं मिला क्योंकि राज्य में 2022 में चुनाव होने थे और एक साल के भीतर ही सरकार जातीय हिंसा को संभालने में व्यस्त हो गई. चूंकि, मणिपुर की समस्या बहुत जटिल है और यह केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है और केंद्र के पास उभरती स्थिति को संभालने के लिए सभी तंत्र हैं, इसलिए दोषारोपण से किसी की मदद नहीं होगी. वे (बीरेन सिंह) राज्य में सरकार के मुखिया हैं, इसलिए उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा, लेकिन चीज़ें कहीं ज़्यादा जटिल हैं.”
उइके ने आगे कहा कि राज्यपाल के तौर पर उन्होंने हमेशा केंद्र से जल्द से जल्द संकट को हल करने की अपील की थी क्योंकि मणिपुर में महिलाएं और बच्चे सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे थे, विकास और सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ था.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “जब 2023 की घटना हुई, जब मणिपुरी महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाने का वीडियो सामने आया और पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो मैंने राज्य के डीजीपी से पूछा कि कार्रवाई क्यों नहीं की गई और अपराधियों पर तुरंत मामला दर्ज करने को कहा. मैंने घटना की निंदा की और प्रधानमंत्री ने भी इसकी निंदा की. यह चौंकाने वाला और कठिन समय था. मैंने डीजीपी से कहा कि ऐसी घटनाएं फिर कभी नहीं होनी चाहिए और कानून का शासन स्थापित होना चाहिए.”
उइके, जो पहले 2019 से 2023 तक छत्तीसगढ़ की राज्यपाल रह चुकी हैं, ने यह भी कहा कि जब वे उस पद पर थीं, तो “राज्य में कांग्रेस सत्ता में थी”, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने “सत्ता संतुलन” के लिए प्रयास किए.
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच न्यूनतम राजनीतिक मतभेद होने चाहिए और उन्हें बिना किसी पूर्वाग्रह के काम करना चाहिए. मणिपुर में, भाजपा ने सरकार का नेतृत्व किया है, लेकिन स्थिति अशांत रही है.”
मणिपुर में हिंसा की ताज़ा घटना की न केवल विपक्ष बल्कि आरएसएस ने भी निंदा की है. इसने केंद्र और राज्य सरकारों से जल्द से जल्द चल रहे संघर्ष को “ईमानदारी से” हल करने को कहा है.
रविवार को अपनी मणिपुर इकाई द्वारा जारी एक बयान में आरएसएस ने कहा कि “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मणिपुर में 3 मई, 2023 से शुरू होने वाली 19 महीने की हिंसा अनसुलझी है”.
इसमें कहा गया है, “जारी हिंसा के कारण, निर्दोष लोगों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मणिपुर महिलाओं और बच्चों को बंदी बनाकर उनकी हत्या करने के अमानवीय, क्रूर और निर्दयी कृत्यों की कड़ी निंदा करता है. यह कृत्य कायरतापूर्ण है और मानवता और सह-अस्तित्व के सिद्धांतों के खिलाफ है. केंद्र और राज्य सरकार को जल्द से जल्द चल रहे संघर्ष को ईमानदारी से हल करना चाहिए.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: मणिपुर के 2 इलाकों से असम राइफल्स को हटाने को कुकी ने कहा- ‘पक्षपातपूर्ण, तुष्टीकरण’; मैतेई ने बताई ‘जीत’