संबलपुर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ओडिशा की ‘अस्मिता’ और स्वाभिमान के प्रति नवीन पटनायक के नेतृत्व वाले बीजू जनता दल (बीजेडी) के दृष्टिकोण से सहमत नहीं है — यही एक कारण है कि भाजपा ऐसा नहीं करती है. दिप्रिंट को दिए एक विशेष इंटरव्यू में केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि हम (भाजपा) बीजेडी के साथ गठबंधन करना चाहते हैं.
15 साल के बाद पश्चिमी ओडिशा की संबलपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रधान ने कहा, “पिछले 10 साल में बीजद ने राष्ट्रीय हित के लिए संसद में विभिन्न अवसरों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्थन दिया है. हम उनके आभारी हैं, लेकिन उनके ओडिया विरोधी दृष्टिकोण (और) बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से हम असहमत हैं. लोकतंत्र में लोगों की इच्छाओं को पूरा करना हमारा अधिकार और जिम्मेदारी है.”
उनका मुकाबला बीजद के प्रणब प्रकाश दास और कांग्रेस के दुर्गा प्रसाद पाढ़ी से होगा.
प्रधान ने आखिरी बार 2009 का विधानसभा चुनाव लड़ा था जब बीजद के रबी नारायण पाणि ने उन्हें पल्लाहारा सीट से हराया था. इससे पहले उन्होंने 2004 में देवगढ़ लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी.
प्रधान ने दिप्रिंट को बताया कि वे ओडिशा में भाजपा का मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं हैं.
प्रधान ने कहा, “हमने कुछ भी तय नहीं किया है…हमने जो तय किया है वह सामूहिक नेतृत्व दृष्टिकोण के साथ लड़ना है और मुझे विश्वास है कि ओडिशा के लोग वर्तमान सरकार को बदल देंगे.”
राज्य के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक प्रधान ने कहा कि भाजपा ओडिशा में भविष्य की पार्टी है.
उन्होंने कहा, “हम मौजूदा बीजद सरकार को हटाने की स्थिति में हैं. 2014 तक हम तीसरे स्थान पर थे, लेकिन 2019 में हमने कांग्रेस को पछाड़ दिया और राज्य में नंबर दो बन गए.”
प्रधान ने कहा कि भाजपा का वोट शेयर 2014 के लोकसभा चुनाव में 22 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 38 प्रतिशत हो गया.
उन्होंने कहा, “2014 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को 18 फीसदी वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रही, लेकिन 2019 में, यह प्रमुख विपक्षी दल बन गई और लोकप्रिय जनादेश के माध्यम से इसने 32 प्रतिशत (वोट) हासिल किया.”
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की उपस्थिति अब पश्चिमी ओडिशा से आगे बढ़ गई है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भाजपा आज अखिल ओडिशा पार्टी है. 2019 में हमने प्रतिष्ठित भुवनेश्वर और बालेश्वर लोकसभा सीटें जीतीं. हमने आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले में भी जीत हासिल की. इसलिए, यह कहना उचित नहीं है कि भाजपा पश्चिमी ओडिशा की पार्टी है. इस बार हम संसद की सभी 21 सीटें जीतने जा रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा का संगठनात्मक ढांचा मजबूत है और धीरे-धीरे इसे मजबूत किया जा रहा है.
प्रधान ने कहा, “हमारे राज्य में 36,000 मतदान केंद्र हैं. हमारा नारा है ‘बूथ जीता तो चुनाव जीता’. हम बहुत ज्यादा फोकस्ड हैं. ‘बूथ विजय अभियान’ चालू है…‘मोदी विजय अभियान’ चालू है.”
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‘5T मॉडल एक स्टंट’
25 साल से अधिक समय से राज्य में सत्ता में रही बीजद के प्रदर्शन को उन्होंने कैसा आंका, इस पर प्रधान ने कहा, “अगर हमारे जैसे लोकतंत्र में किसी को लोगों से जनादेश मिल रहा है, तो निश्चित रूप से यह उपलब्धि की बात है. मैं इसकी सराहना करता हूं और इसे पहचानता हूं, लेकिन पिछले 25 साल में उन्होंने इस तरह के बहुमत, इस तरह के निर्णायक जनादेश के साथ ओडिशा राज्य के लिए क्या किया?”
प्रधान ने कहा कि अगर वह बीजद के सत्ता में रहने के वर्षों को सरकार द्वारा लोगों की भलाई, स्वास्थ्य स्थिति, पेयजल, रोजगार की स्थिति, महिलाओं की सुरक्षा आदि के लिए किए गए कार्यों से जोड़ते हैं, तो वह “पूरी तरह से निराश” और “हताश” हो जाते हैं,
प्रधान ने पूछा, “एक बहुत बड़ा द्वंद्व है…एक तरफ, ओडिशा के लोग आप और आपकी पार्टी में बार-बार अपना विश्वास जता रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ, ओडिशा में सड़क की स्थिति, स्वास्थ्य क्षेत्र, बेरोज़गारी को देखिए…यहां खनिज संसाधनों, जल, वन संसाधनों और गुणवत्तापूर्ण कृषि योग्य भूमि की कोई कमी नहीं है. इन सभी फायदों के बावजूद, आप मनचाहा जीवन स्तर हासिल करने में असफल क्यों हो जाते हैं?”
केंद्रीय मंत्री ने नवीन पटनायक सरकार के प्रसिद्ध 5T (पारदर्शिता, टीम वर्क, प्रौद्योगिकी और परिवर्तन के लिए समयबद्धता) को नागरिक-केंद्रित शासन मॉडल कहा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि प्रशासन लोगों तक पहुंचने में किस हद तक कामयाब रहा है.
उन्होंने कहा, “अपनी विफलता को छुपाने के लिए उन्होंने एक स्टंट रचा है. सरकार की जिम्मेदारी क्या है? कैबिनेट अपने आप में हमारे संवैधानिक ढांचे द्वारा परिकल्पित एक टीम है…आज, 25 साल बाद अगर आप कहते हैं कि हम एक टीम हैं, हम समयबद्ध हैं, हम प्रौद्योगिकी के अनुकूल हैं, यह एक बड़ा विरोधाभास है.”
उन्होंने कहा कि 5T मॉडल पीछे से सत्ता हथियाने और अलोकतांत्रिक तरीके से शो चलाने के अलावा और कुछ नहीं है. उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में यह दुर्भाग्यपूर्ण है. कुछ लोग सोचते हैं कि वे जवाबदेही से ऊपर हैं. लोग इस स्टंट को स्वीकार नहीं करेंगे.”
ओडिशा के विकास में यूपीए और एनडीए सरकार के योगदान की तुलना करते हुए प्रधान ने कहा कि 2004 से 2014 तक कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले यूपीए ने केवल 3 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए. प्रधान ने कहा, “लेकिन 2014 से 2024 तक, जब एनडीए सत्ता में थी, पीएम मोदी ने राज्य को 18 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए. यह मूलभूत अंतर है.”
प्रधान ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, पीएम के दृष्टिकोण ने उज्ज्वला योजना के तहत अन्य राज्यों के साथ-साथ ओडिशा में महिलाओं के लिए स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन सुनिश्चित किया. उन्होंने कहा, इसके अलावा, पीएम आवास योजना के तहत ओडिशा में 34 लाख घर आवंटित किए गए.
शैक्षिक पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर हो रही आलोचना पर प्रधान ने कहा कि वह यह समझने में असफल हैं कि यह शोर किस बारे में है.
उन्होंने कहा, “अगर हम अपनी मातृभाषा को महत्व देते हैं, तो क्या यह गलत है? अगर हम देश के गुमनाम नायकों को पहचानना चाहते हैं तो क्या यह बुरी बात है? यदि हम कौशल-आधारित शिक्षा लागू कर रहे हैं (और) प्रौद्योगिकी-आधारित शिक्षा लागू कर रहे हैं, तो क्या यह विरोध का विषय है? जो लोग विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं, यह राजनीतिक है, प्रेरित है.”
प्रधान ने यह भी कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक, जो एकल उच्च शिक्षा नियामक का प्रस्ताव करता है, पर सभी प्रमुख कार्य और परामर्श पूरे हो चुके हैं. उन्होंने कहा, “जब नई सरकार बनेगी तो शुरुआती दिनों में इसे संसद में लागू किया जाएगा.”
(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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