नई दिल्ली: दिल्ली में हुए दंगों को लेकर संसद में हुई चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार और गृह मंत्री पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि दंगों को लेकर कोई कह रहा है कि हिंदू जीता, कोई कह रहा मुस्लिम जीता. दंगे में किसी की जीत नहीं होती, बल्कि इंसानीयत की हार होती है.
इसके बाद उन्होंने कहा, ‘तू पढ़ ले मेरी गीत मैं पढ़ लू तुम्हारा कुराण, जो है अल्लाह वही है भगवान.’ उन्होंने कहा कि गांधी जी ने भी शायद यही इस रूप में कहा था, ‘रघुपति राघव राजा राम, सबको सनमति दे भगवान. ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सनमति दे भगवान.’ अगर ये छोटी सी बात हम सीख लें तो देश में कभी दंगा नहीं होगा.
उन्होंने ये भी कहा कि मनमोहन सिंह ने सिख दंगों के लिए माफ़ी मांगी थी. मनमोहन सिंह की भावना से सोनिया गांधी ने भी सहमति जताई थी. मामले पर नानावटी कमिशन बना और हाई प्रोफ़ाइल लोगों को जेल भेजा गया. जिसके बाद उन्होंने कहा कि दिल्ली के दंगे को रोकने की कोशिश की जाती तो इसे रोका जा सकता था.
कहां थे अमित शाह तीन दिन
रंजन ने आगे कहा, ‘यहां ना तो पुलिस की कमी है और ना ही अर्धसैनिक बलों की. यहां संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट है. फिर भी ये घटना क्यों घटी, वो भी लगातार तीन दिनों तक. इसका जवाब कौन देगा?’ उन्होंने कहा कि जवाब सरकार और गृहमंत्री को देना होगा. उन्हें बताना चाहिए कि तीन दिन वो कहां थे.
इस दौरान उन्होंने रोम के जो राजा नीरो का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब रोम जल रहा था तब नीरो बांसूरी बजा रहे थे. उन्होंने कहा, ‘आज लगता है कि हमारे देश में नीरो आ गए हैं. जब दिल्ली जल रहा था तो नीरो मुरली लेकर गुजरात चले गए थे ट्रंप की मेजबानी करने.’
अधीर रंजन ने भाजपा पर आरोप लगाया कि जिन इलाक़ों में दंगा हुआ वहां भाजपा को वोट नहीं मिला. उन्होंने आगे कहा, ‘दंगों के दौरान गृहमंत्री ने कई मीटिंग की. लेकिन इनमें से कोई मीटिंग दिल्ली दंगों पर नहीं थी. ये लापरवाही नहीं तो क्या थी?’ उन्होंने ये भी कहा कि भारत को महान बनाने की बात करते हैं. बात-बात में पाकिस्तान को उड़ा देते हैं, सब इसका समर्थन करते हैं.
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उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, ‘दिल्ली दंगों में 25,000 करोड़ जान-माल का नुकसान हुआ. पुलिस कंट्रोल रूम में दंगों से जुड़े 14,000 कॉल आए. कोई जवाब नहीं मिला. इस पर गृह मंत्री जवाब दें. अजीत डोभाल जैसे ही ज़मीन पर गए तो दंगे रुक गए. हमारे नेशनल सेक्योरिटी एडवाइज़र को क्यों उतरना पड़ा? वो सीधे पीएमओ को रिपोर्ट करते हैं. इसका मतलब ये है कि क्या पीएमओ को गृह मंत्रालय पर भरोसा नहीं है. इसका जवाब इन्हें देना पड़ेगा.’
उन्होंने सवाल किया, ‘हम बालाकोट में हमला कर सकते हैं तो क्या राष्ट्रीय राजधानी में एक दंगा नहीं रोक सकते. वो भी तब जब बार-बार वहां पर हेट स्पीच दिया जा रहा है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट तक आपको फटकार लगाते हैं. फटकार लगाने वाले जज का रातों रात तबादल करके कोर्ट पर सर्जिकल स्ट्राइक किया जाता है.’
अधीर रंजन ने अनुराग ठाकुर के भाषण को भी सदन में उठाया और कहा कि अब देश में गोली मारो सालों को जैसा नारा लग रहा है. अगर ये ग़लत है तो गृहमंत्री इसपर क्यों नहीं बोलते. उन्होंने सरकार पर कई ऐसे जजों को भी निशाना बनाने का भी आरोप लगाया जिन्होंने सरकार के पक्ष में निर्णय नहीं दिया. जजों का नाम लिए जाने का भाजपा ने विरोध किया.
उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अंकित शर्मा के परिवार तक से नहीं मिलने गए. इन्हें कोरोना के डर को दरकिनार करके मास्क लगाकर दंगा पीड़ित इलाके में जाना चाहिए था. इस दौरान उन्होंने शाह के इस्तीफे, हेट स्पीच देने वालों के ख़िलाफ़ एफआईआर, हाई कोर्ट के किसी वर्तमान जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच हो जैसी मांगे की.
कट्टरपंथी सोच का नतीजा है अंकित शर्मा की मौत
अधीर रंजन के जवाब में भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी उठीं और उन्होंने मुसोलिनी से तुलना की. मीनाक्षी ने कहा, ‘दंगे में जो भी मारा गया वो भारतीय था. बांग्लादेशी कोई मरा हो तो मुझे नहीं पता. हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इसकी चर्चा करनी चाहिए थी. लेकिन इसपर राजनीति हो रही है. अंकित शर्मा को 400 बार चाकू मारा गया. पोस्टमॉर्टम में उसकी अतड़ियां बाहर निकाली गई है.’
शर्मा की हत्या का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं कहना चाहती हूं कि इस तरह की घृणा और नफरत एक कट्टरपंथी सोच वाला ही कर सकता है. सीलमपुर में एक आईएसआईएस के एक मॉड्यूल का पता चला है. इसमें पीएफआई की फंडिंग भी शामिल है. एक अमेरिकी नागरिक ने भारतीय राष्ट्रवाद को ख़त्म करने के लिए एक बिलियन का फंड दिया है.’
आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जिस संस्था को फंड दिया है उसके सदस्य हर्ष मंदर हैं. हर्ष मंदर एनएसी के सदस्य थे. उन्होंने कहा, ‘मुझे बताने की ज़रूरत नहीं कि एनएसी किसने बनाया था.’ उन्होंने कहा कि ताहिर हुसैन के छत पर गुलेल का इस्तामल हुआ. ईंटों के ज़खीरे का इस्तेमाल किया गया. एसिड का भी इस्तेमाल किया.
इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंसा की घटनाएं 24 तारीख को 12 बजे से शुरू 25 तारीख को 36 घंटे के अंदर रोक दी गईं. करावल नगर और शिव विहार में सोची समझी इस हिंसा से जुड़े मामलों में अल्पसंख्यकों को कोई नुकसान नहीं हुआ. बहुसंख्यकों के दुकान-मकानों को बहुत नुकसान हुआ.
‘स्कूल से आ रही छोटी बच्चियों को निर्वस्त्र किया गया. छतों पर खड़े होकर गंदी हरकतें की गई.’ लेखी ने इस दौरान कपिल मिश्रा का भी बचाव किया और कहा कि इन सबके लिए अनुराग ठाकुर के 20 जनवरी और प्रवेश वर्मा के 28 फरवरी के बयान को दोष दिया गया.
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उन्होंने कहा, ‘सीएए के विरोध में सबसे पहले जेएनयू के छात्र खड़े हुए. फिर जामिया वाले खड़े हुए. 14 दिसंबर को रामलीला मैदान में सोनिया जी ने आर-पार की लड़ाई की बात कही. प्रियंका ने कहा कि घर से नहीं निकलने वाले कायर होते हैं. इन सबके बाद 15 दिसंबर से लोग सड़कों पर उतरते हैं.’
उन्होंने कहा कि इसके बाद उमर खालिद ट्रंप की यात्रा के दौरान सड़क पर उतरने की बात कही. इस दौरान लेखी ने 15 करोड़ के 100 करोड़ पर भारी पड़ने वाले बयान का भी ज़िक्र किया.
वह आगे बोलीं, ‘मुझे ये सोच कर ज़रूर दुख होता है कि जहां हम विकास की राजनीति करना चाहते हैं, लेकिन ये हमें ऐसा करने नहीं देते. यहां के नेता अफवाहें फैलाकर देश तोड़ना चाहते हैं. लोगों को सीएए खूब समझ आता है. लेकिन वो लोगों को इसपर गुमराह कर रहे हैं.’
कांग्रेस के समय के दंगे
उन्होंने कांग्रेस कार्यकाल में हुए दंगों के बारे में कहा, ‘कुछ लोगों का बस्तियां जलाने में अहम रोल रहा है. देश में दंगों का आंकड़ा कुछ इस तरह से है: नेहरू के समय 243 दंगे हुए, इंदिरा के राज में 337 दंगे हुए, राजीव के समय 291 दंगे हुए, 1094 में से कांग्रेस काल 800 से ऊपर यानी 73 प्रतिशत से ज़्यादा दंगे हुए.’
उन्होंने कहा कि 18 बड़े दंगे कांग्रेस या इनके साथी पार्टियों के कार्यकाल में हुए हैं. एक बड़ा अपवाद गुजरात है. गुजरात में हर साल दंगे होते थे लेकिन 2002 के बाद वहां कोई दंगा नहीं हुआ. उन्होंने कहा, ‘राजीव गांधी का पेड़ गिरने वाला बयान इन्हें याद करना चाहिए.’
गृहमंत्री अमित शाह का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, ‘गृहमंत्री ने मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, सीएम अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा से मुलाकात की और उन्हें तमाम तरह के निर्देश दिए. दिल्ली पुलिस को सशक्त करने के लिए एसएन श्रीवास्तव को नियुक्त किया गया. उच्च अधिकारियों संग बैठक की गई और स्थिति का अंकलन किया गया. कई समीक्षा बैठकें की गईं.’
अपने बयान के अंत में उन्होंने कहा कि गृहमंत्री जो कर रहे हैं उन्हें वो काम रखना चाहिए. वो राष्ट्रनिर्माण का काम कर रहे हैं.
डीएमके नेता टीआर बालू से सीएए समर्थकों पर फोड़ा हिंसा का ठीकरा
इस दौरान डीएमके नेता टीआर बालू ने कहा कि दिल्ली दंगों पर ब्रिटेन, इंडोनेशिया, ईरान, तुर्की, मलेशिया जैसे देशों में सड़क से संसद तक इसकी चर्चा हो रही है. उन्होंने कहा, ‘शाहीन बाग़ में 88 दिनों से धरना चल रहा है. वहां कोई दिक्कत नहीं हुई. पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे हो जाते हैं.’
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि शाहीन बाग़ में सीएए विरोधी लोग हैं जबकि दंगा प्रभावित इलाकों में सीएए समर्थक जाकर सीएए विरोधियों से भिड़ गए. इस दौरान उन्होंने कपिल मिश्रा को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने मीडिया वालों पर हमलों की घटनाओं का भी ज़िक्र किया.
टीएमसी के सौगत राय ने मांगा शाह का इस्तीफ़ा
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने अपनी बात की शुरुआत गांधी जी की हत्या से की. उन्होंने कहा, ‘एक हिंदू सनकी ने जब गांधी जी की हत्या की थी तब दिल्ली में दंगे हुए थे. आज फिर गांधी जी की हत्या हुई है.’ उन्होंने कहा कि मिनाक्षी लेखी ने संसद में हेट स्पीच दी है. उन्होंने खुले तौर पर कपिल मिश्रा का साथ दिया है.
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने इसे सुनियोजित नरसंहार करार दिया है. उन्होंने कहा, ‘गृहमंत्री तक ने ये कहा कि इतने ज़ोर से बटन दबाओ की शाहीन बाग में करंट लगे. ऐसा बोल के भी वो हार गए. इसका बाद कपिल मिश्रा ने दिल्ली पुलिस की भी नहीं सुनने की धमकी दी.’ उन्होंने भी शाह के इस्तीफे की मांग की.
बिहार में भाजपा संग सरकार चला रही नीतिश की जेडीयू के राजीव रंजन सिंह (ललन) ने कहा कि सभ्य समाज में उसका स्थान नहीं है जो दिल्ली में हुआ. इससे देश का विकास प्रभावित होता है. इसकी जितनी निंदा की जाए कम है. फ
उन्होंने कहा, ‘सीएए नागरिकता लेने नहीं, देने का कानून है. इसमें कौन सा विरोध है. अल्पसंख्यक समुदाय के बीच सीएए को लेकर भ्रम फैलाया गया है. सीएए को एनआरसी से जोड़ा जा रहा है. पीएम ने इसे एनआरसी को लेकर कहा है कि अभी एनआरसी का कोई सवाल नहीं है.’
मायावती की बसपा के रितेश पांडे ने कहा कि एनएसए डोभाल दिल्ली पुलिस के निष्पक्ष होने की बात करते हैं, क्या वो बताएंगे कि क्या दिल्ली पुलिस निष्पक्ष है? उन्होंने कहा कि अगर ये दिल्ली पुलिस के जानकारी में हुआ तो सरकार की असफलता है अगर अंजाने में हुआ तो ये अराजकता है. मायावती की मांग ये है कि सरकार इन दंगों की न्यायिक जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी करवाए.
भगवंत मान ने कहा- 1984 में तीन दिन फौज नहीं गई थी, इस बार तीन दिन पुलिस नहीं आई
1984, 2002 और अभी के दंगों पर खींचतान को लेकर आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने चर्चा के दौरान कहा कि ये कोई मुकाबला नहीं है कि एक दूसरे के दंगे गिनवाएं. इसमें इंसान मरता है. उन्होंने कहा, ‘कपिल मिश्रा को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया. तीन दिन तक दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी.’
उन्होंने ये भी कहा कि चुने हुए सीएम के दफ्तर में पहुंचने में तो दिल्ली पुलिस काफी तेज़ी दिखाती है. 1984 में तीन दिन फौज नहीं गई थी, इस बार तीन दिन पुलिस नहीं आई. दिल्ली चुनाव में आप काम की बात कर रही थी और भाजपा वाले गोली मारने की बात कर रहे थे. ये उसी का परिणाम है.