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Wednesday, 20 November, 2024
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दिलीप घोष को दोबारा बनाया गया पश्चिम बंगाल भाजपा का अध्यक्ष, विधानसभा चुनाव पर पार्टी की नज़र

प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर घोष के कार्यकाल के दौरान पश्चिम बंगाल में भाजपा ने काफी प्रगति की और पार्टी ने राज्य में 42 संसदीय सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की.

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने दिलीप घोष को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए प्रदेश इकाई का अध्यक्ष चुना. घोष को पश्चिम बंगाल में भाजपा के विकास का श्रेय दिया जाता है.

पार्टी की प्रदेश समिति की बैठक में पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष पद पर घोष को 2020-2023 के कार्यकाल के लिए निर्विरोध चुना गया क्योंकि इस पद के लिए नामांकन दाखिल करने वाले वह एकमात्र व्यक्ति थे.

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव ने उन्हें प्रमाणपत्र सौंपा.

शीर्ष पद के लिए घोष का पुन: निर्वाचन ऐसे समय में हुआ है जब कुछ दिन पहले ही उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर विवादित टिप्पणी की थी. घोष ने कहा था कि भाजपा शासित राज्यों में ‘सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को कुत्तों की तरह गोली मारी गयी’, इसकी उनकी पार्टी के साथ विपक्ष ने तीखी आलोचना की थी.

प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर घोष के कार्यकाल के दौरान पश्चिम बंगाल में भाजपा ने काफी प्रगति की और पार्टी ने राज्य में 42 संसदीय सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की.

प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए फिर से चुने जाने के बाद घोष ने कहा कि हमलोग राज्य में 2021 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए लड़ेंगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं लड़ाई जारी रखूंगा और तब तक नहीं रुकूंगा जब तक पश्चिम बंगाल में अगली सरकार नहीं बनेगी.’

विपक्ष पर निशाना साधते हुए घोष ने कहा, ‘ऐसे कई लोग हैं जो मेरी और मेरे बयानों की आलोचना करते हैं. मैं खुद स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अब भाजपा का समय आ गया है. इससे पहले वे (भाजपा के विरोधी दल) बोला करते थे और हम सुनते थे लेकिन अब हम बोलेंगे और वे सुनेंगे.’

प्रदेश भाजपा के सूत्रों के अनुसार अहम विधानसभा चुनाव से पहले घोष को फिर से यह जिम्मेदारी स्पष्ट करती है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का उनमें भरोसा है.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हमारे लिए सबसे अहम चुनाव होने वाले हैं. सिर्फ एक साल रह गया है, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का यह मानना है कि प्रदेश इकाई को दिलीप घोष जैसे नेता की जरूरत है. उनके विवादित बयानों को छोड़ दें तो पार्टी को आगे बढ़ाने में उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.’

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