नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने विपक्ष पर ‘राष्ट्र की भावना पर सीधा हमला करने’ और देश के ‘मेहनती नागरिकों पर आक्षेप लगाने’ का सोमवार को आरोप लगाया.
नड्डा ने भड़काऊ भाषण और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के संयुक्त बयान के जवाब में यह टिप्पणी की.
नड्डा ने देश के नागरिकों के नाम लिखे एक पत्र में कहा कि विपक्षी दलों की ‘वोट बैंक की राजनीति, विभाजनकारी राजनीति और चयनात्मक राजनीति की परखी गई या मुझे कहना चाहिए कि धूल में मिली और जंग खा चुकी सोच अब काम नहीं कर रही’ क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ पर जोर दिए जाने से भारतीय सशक्त बन रहे हैं तथा उन्हें और ऊपर उठने के लिए पंख मिल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि विकास की राजनीति की तरफ बढ़ने की कोशिश का, खारिज किए जा चुके और हताश दल कड़ा विरोध कर रहे हैं और वे एक बार फिर वोट बैंक एवं विभाजनकारी राजनीति का सहारा ले रहे हैं.
नड्डा ने कहा, ‘भारत में आज दो अलग-अलग शैलियों की राजनीति देखी जा रही है- (पहली) राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के प्रयास, जो उसके काम में दिख रहे हैं और (दूसरी) राजनीतिक दलों के समूह की तुच्छ राजनीति, जो उनके कर्कश शब्दों में दिखाई दे रही है.’
उन्होंने कहा कि देश के युवा अवसर चाहते हैं, बाधाएं नहीं, वे विकास चाहते हैं, विभाजन नहीं. उन्होंने कहा कि सभी धर्मों, आयु वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों के लोग गरीबी को हराने और भारत को प्रगति की नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए मिलकर सामने आए हैं.
नड्डा ने कहा, ‘मैं विपक्ष से आग्रह करूंगा कि वह अपना तरीका बदले और विकास की राजनीति को अपनाए.’
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद वोट बैंक की राजनीति करने वालों की आंखें खुल जानी चाहिए. ज्ञात हो कि पांच राज्यों में से उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों में भाजपा ने जीत दर्ज की.
उन्होंने कहा कि इन चुनावों में भाजपा की शानदार जीत दर्शाती है कि देश में अब लोगों का रुझान सत्ता विरोधी नहीं बल्कि सत्ता के पक्ष में है और वे विकास की राजनीति करने वालों को सम्मानित कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कई सालों के बाद राज्य सभा में 100 सदस्यों के आंकड़े को पार करने वाली भाजपा पहली पार्टी बनी है. पार्टी को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चुनावों में भी शानदार सफलता हासिल हुई.
उन्होंने कहा, ‘विपक्ष को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि क्यों दशकों तक देश पर शासन करने वाले दल अब इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह गए हैं.’
उन्होंने कांग्रेस शासित राजस्थान के करौली में एक धार्मिक जुलूस के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा का भी जिक्र किया और विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि इस मामले पर उनकी चिंताजनक चुप्पी के पीछे क्या मजबूरी है.
उन्होंने कई ऐसे दंगों का भी जिक्र किया, जो विपक्ष, खासकर कांग्रेस के शासन में हुए. उन्होंने विपक्ष शासित तमिलनाडु और महाराष्ट्र में हुई विभिन्न घटनाओं का भी उल्लेख किया.
भाजपा अध्यक्ष ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1966 में गौ हत्या पर प्रतिबंध की मांग को लेकर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करने वाले साधुओं पर हुई गोलीबारी, 1984 के सिख विरोधी दंगों को ‘जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है’ कहकर न्यायोचित ठहराने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बयान, 1969 के गुजरात, 1980 के मुरादाबाद, 1984 के भिवंडी और 1989 के भागलपुर दंगों का भी उल्लेख किया और विपक्ष पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा, ‘याद दिलाना जरूरी है कि यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ही था, जिसका नियंत्रण गैर संवैधानिक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के पास था और जो सबसे भयानक सांप्रदायिक हिंसा कानून लेकर आया था. वोट बैंक की राजनीति के खातिर संप्रग इस स्तर तक गिर गया था. इसी प्रकार दलितों और जनजातियों के खिलाफ सबसे अधिक हत्याकांड भी कांग्रेस के ही शासन में हुए.’
उल्लेखनीय है कि विपक्ष के 13 नेताओं ने देश में हुई हालिया सांप्रदायिक हिंसा और घृणापूर्ण भाषण संबंधी घटनाओं को लेकर शनिवार को गंभीर चिंता जताई थी और लोगों से शांति एवं सद्भाव बनाए रखने की अपील की थी. विपक्षी नेताओं ने इन मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘चुप्पी’ पर भी सवाल उठाया था.
संयुक्त बयान में 13 विपक्षी दलों ने कहा कि वे ‘क्षुब्ध’ हैं कि भोजन, वेशभूषा, आस्था, त्योहारों और भाषा जैसे मुद्दों का इस्तेमाल सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा समाज का ध्रुवीकरण करने के लिये किया जा रहा है.
यह बयान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत 13 नेताओं ने जारी किया था.
नड्डा ने पत्र के माध्यम से विपक्ष शासित राज्यों में हाल की कुछ घटनाओं का उल्लेख किया और उन पर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में वहां की सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों ने देश के एक प्रख्यात संगीतकार को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उनके विचार एक राजनीतिक दल और उसके सहयोगियों से मेल नहीं खाते थे.
नड्डा का इशारा संगीतकार इलैया राजा की ओर था. राजा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर से की थी. इसे लेकर समाज के कुछ वर्गों ने नाराजगी जाहिर की थी.
भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘क्या यह लोकतांत्रिक है? किसी के विचार अलग हो सकते हैं, फिर भी हम साथ रहते हैं लेकिन अपमान का रास्ता क्यों?’
महाराष्ट्र के कुछ मंत्रियों को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा भ्रष्टाचार और उगाही के साथ ही अपराधियों से साठगांठ के आरोप में गिरफ्तार किए जाने का उल्लेख करते हुए नड्डा ने सवाल किया कि क्या यह चिंताजनक नहीं है कि देश की वित्तीय राजधानी में एक ऐसा गठबंधन है जिसके मंत्रियों में ‘उगाही’ की प्रवृत्ति है.
नड्डा ने कहा कि भारत का विकास एक अहम पड़ाव पर है और इसकी अर्थव्यवस्था को ‘खुली और पारदर्शी’ के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए सुधारों से ‘आर्थिक समृद्धि’ बढ़ी है और तेजी से गरीबी मिट रही है.
उन्होंने कहा कि देश जब 2047 में अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा, तब वह कैसा होगा, इसके बारे में सोचने और योजना बनाने का यह अवसर है.
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र नरेश
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