नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को रिझाने के लिए पसीना बहा रही हैं, वहीं राष्ट्रीय राजधानी की महिलाओं का मानना है कि चुनाव घोषणा पत्रों में पार्टियों को महिलाओं की सुरक्षा तक सीमित होने के बजाय उनके बारे में अधिक बात करनी चाहिए.
विभिन्न आयु वर्ग की वयस्क महिलाओं का मानना है कि राजनीतिक पार्टियां मानती हैं कि उन्हें महिला मतदाताओं से केवल उनकी सुरक्षा और यौन अपराधों की रोकथाम के बारे में बात करनी चाहिए. हालांकि महिलाओं का कहना है कि उन्हें लैंगिक आधार पर नहीं सामान्य वोटर के तौर पर देखा जाना चाहिए.
सरिता विहार में रहने वाली 32 वर्षीय आईटी पेशेवर शायना कालरा ने कहा, ‘जब भी चुनाव होते हैं, वे (राजनीतिक पार्टियां) ‘महिलाओं की सुरक्षा’ पर अपनी उपलब्धियां बताने लगती हैं. क्या हम केवल सुरक्षा के लिए वोट बैंक का हिस्सा हैं जो वे देने में बुरी तरह से विफल हैं? क्या हमें पानी या बिजली या नौकरियों की जरूरत नहीं है? सभी दलों ने हमारी मांगों का सामान्यकरण किया है.’
मायापुरी में रहने वाली और घरेलू सहायिका रानी देवी (52) कहती हैं, ‘सबको सुरक्षा चाहिए लेकिन ज़मीनी मुद्दों का क्या? हमें कम से कम अब बसों में निशुल्क यात्रा करने को मिल रही है. हम सुरक्षा के वादों का क्या करेंगे? हमें वो दीजिए जो बाकी लोगों को मिल रहा है.’
एआरएसडी कॉलेज की छात्रा और मोती बाग निवासी रेखा गौतम (20) का कहना है, ‘यह वक्त है जब राजनीतिक पार्टियों को महिला मतदाताओं को अधिक परिपक्व महिलाओं के तौर पर देखना चाहिए, बजाय इसके कि वे उन्हें सुरक्षा का लोलीपॉप दें.’