नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 की रणभेरी बज गई है. राज्य में 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. वहीं नतीजे 11 फरवरी को आाएंगे. चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही दिल्ली में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अरोड़ा ने कहा कि 14 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी होगा, 21 जनवरी को पर्चा दाखिल करने की आखिरी तारीख होगी. 23 जनवरी को फार्म की स्क्रूटनी होगी और उम्मीदवार 24 जनवरी तक अपना नाम वापस ले सकते हैं. अरोड़ा ने बताया कि राज्य में 70 सीटें हैं. इनमें 58 सामान्य और 12 एससी सीटें हैं. कुल 13750 पोलिंग बूथों पर वोट डाले जाएंगे. चुनाव कराने के लिए 90 हजार कर्मचारियों की जरूरत होगी. गड़बड़ी रोकने के लिए मीडिया मॉनिटरिंग टीमें बनाई गई हैं. वहीं आयोग ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए खास इंतजाम किए हैं.
चुनाव आयुक्त ने बताया कि राज्य में कुल 1,46, 92136 वोटर्स हैं. कुल पुरुष वोटर 8055686 और महिला मतदाता 6635635 हैं. थर्ड जेंडर 815, एनआरआई 489, सर्विस वोटर्स 11556 हैं.
सीएम केजरीवाल के सामने प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती
वर्तमान में राज्य में आम आदमी पार्टी सत्ता पर काबिज है. इन चुनावों में राज्य के मुखिया अरविंद केजरीवाल की साख दांव पर लगी है. आप का मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के साथ है. 2015 के विधानसभा चुनावों में आप ने 67 सीटे जीतकर इतिहास रचा था. वहीं भाजपा को केवल तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस पार्टी का खाता भी नहीं खुला था. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 20 फरवरी 2020 को पूरा हो रहा है.
दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं. राज्य में आम आदमी पार्टी के मुखिया और सीएम अरविंद केजरीवाल को अपनी सत्ता बचाए रखने की चुनौती है. इस विधानसभा चुनाव में केजरीवाल का सीधा मुकाबला भाजपा के साथ ही है. राज्य में भाजपा करीब 21 साल से सत्ता से बेदखल है. ऐसे में भाजपा के सामने इन चुनावों में ज्यादा सीटें हासिल कर सत्ता पर काबिज होना किसी चुनौती से कम नहीं है.
हाल ही में दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक रैलियां कर चुके हैं. वहीं आम आदमी पार्टी के सीएम अरविंद केजरीवाल भी अपनी सरकार के पांच सालों का लेखा जोखा लेकर मैदान में उतर गए हैं. वे लोगों से उनके काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं. इसके अलावा दिल्ली में हाशिए पर पड़ी कांग्रेस पार्टी अपना अस्तित्व बचाने और दोबारा जनाधार पाने के लिए मैदान में उतर रही है.