नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा में लगातार चुनावी हार से जूझ रही कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) ने शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि “पूरी चुनावी प्रक्रिया” की अखंडता से “गंभीर रूप से समझौता” किया जा रहा है, फिर भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के खिलाफ पार्टी के कार्यकर्ताओं में मचे शोर के बीच, बैलेट पेपर की वापसी की मांग करने से परहेज़ किया गया.
कांग्रेस की शीर्ष फैसले लेने वाली संस्था — सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद, पार्टी ने घोषणा की कि वे भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की “पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली” के बारे में “सार्वजनिक चिंताओं” पर एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करेगी.
प्रस्ताव में कहा गया, “सीडब्ल्यूसी का मानना है कि संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक जनादेश है, जिसे चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली द्वारा गंभीर रूप से सवालों के घेरे में लाया जा रहा है. समाज के बढ़ते हुए वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं. कांग्रेस इन सार्वजनिक चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में लेगी.”
पार्टी द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस हफ्ते की शुरुआत में बैलेट पेपर की वापसी का आह्वान करते हुए कहा था कि इस मांग को पूरा करने के लिए एक आंदोलन शुरू किया जाना चाहिए. हालांकि, सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव से संकेत मिलता है कि पार्टी के सभी वर्ग इस तरह की अधिकतम मांग के साथ नहीं हैं.
बैठक में शामिल दो नेताओं ने कहा कि प्रस्ताव में बैलेट पेपर का कोई उल्लेख न करने का फैसला इस संबंध में एक ऐसा रास्ता खोजने के पार्टी के निरंतर प्रयासों का प्रतिबिंब है जो सभी को स्वीकार्य होगा.
नेताओं में से एक ने कहा, “ईवीएम हमारी चिंता का एक पहलू है. महाराष्ट्र के डेटा से पता चलता है कि मतदाता सूची तैयार करने के चरण से ही हेरफेर शुरू हो जाता है. अगर पार्टी की संगठनात्मक मशीनरी ज़मीन पर सक्रिय हो तो इसे रोका जा सकता है. बैलेट पेपर के सवाल पर कोई आम सहमति नहीं है. उदाहरण के लिए पी. चिदंबरम ने खुले तौर पर कहा है कि वे ईवीएम पर संदेह नहीं करते हैं. उन्होंने शुक्रवार को सीडब्ल्यूसी में अपनी बात को दोहराया.”
करीब पांच घंटे तक चली बैठक में अपने प्रारंभिक वक्तव्य में खरगे ने यह भी कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी इस मोर्चे पर कमज़ोर नज़र आई.
खरगे ने कहा, “हाल के चुनाव परिणाम यह भी संकेत देते हैं कि हमें राज्यों में अपनी चुनावी तैयारियां कम से कम एक साल पहले ही शुरू कर देनी चाहिए. हमारी टीमें समय से पहले मैदान में मौजूद होनी चाहिए. पहला काम मतदाता सूचियों की जांच करना होना चाहिए, ताकि हमारे समर्थकों के वोट हर कीमत पर सूची में रहें.”
चुनावी झटकों के मद्देनज़र “कड़े फैसले” लेने का आह्वान करते हुए खरगे ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को पार्टी की लगातार हार के लिए दोषी ठहराए जाने से बचाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि स्थानीय और क्षेत्रीय कारकों को ध्यान में रखते हुए अभियान तैयार किए जाने चाहिए.
खरगे ने पूछा, “आप राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं की मदद से कब तक चुनाव लड़ेंगे?” महाराष्ट्र में हार के बाद कई पर्यवेक्षकों ने कहा कि कांग्रेस को मुद्दों और नैरेटिव पर बहुत अधिक निर्भरता के कारण नुकसान उठाना पड़ सकता है, जिसका उसे लोकसभा चुनावों में फायदा मिला.
खरगे ने आगे कहा कि जब तक अंदरूनी कलह को नहीं रोका जाता, पार्टी अपने विरोधियों का मुकाबला करने में विफल रहेगी. पार्टी की हरियाणा इकाई में गुटबाजी उन कारणों में से एक थी, जिसने राज्य में उसके चुनाव अभियान को बाधित किया.
उन्होंने यह भी कहा कि अनुकूल माहौल “जीत की गारंटी नहीं है”.
खरगे ने कहा, “हम माहौल का लाभ क्यों नहीं उठा पा रहे हैं, इसका क्या कारण है? हमें मतदाता सूची तैयार करने से लेकर मतगणना तक दिन-रात सतर्क और सावधान रहना होगा.”
इस बीच, कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव में ईवीएम का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं था, जिसके साथ कथित छेड़छाड़ को पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में अपनी हार का मुख्य कारण बताया था. महाराष्ट्र में करारी हार के बाद पार्टी ने सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को हराने में अपनी असमर्थता के पीछे “लक्षित हेरफेर” को जिम्मेदार ठहराया था.
2018 में पार्टी के 82वें पूर्ण अधिवेशन में कांग्रेस ने एक राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें कहा गया था कि “चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग को प्रमुख लोकतंत्रों की तरह बैलट पेपर की पुरानी प्रथा पर वापस लौटना चाहिए”.
इस साल के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में पार्टी ने कहा था, “हम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की दक्षता और मतपत्र की पारदर्शिता को जोड़ने के लिए चुनाव कानूनों में संशोधन करेंगे. मतदान ईवीएम के माध्यम से होगा, लेकिन मतदाता मशीन से निकलने वाली मतदान पर्ची को वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) इकाई में जमा कर सकेगा. इलेक्ट्रॉनिक वोट टैली का मिलान वीवीपीएटी पर्ची टैली से किया जाएगा.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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